सही कार्ययोजना बनाकर खेती का विकास करें, खेती के विकास की कलेक्टर नियमित मॉनीटरिंग करें
रीवा कलेक्ट्रेट के मोहन सभागार में कृषि विकास की संभागीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एसएन मिश्रा ने कहा कि रीवा संभाग में पिछले 10 वर्षों में सिंचाई के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है। संभाग की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार खेती है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होता है। कलेक्टर खेती के विकास के लिए लागू योजनाओं की नियमित मॉनीटरिंग करें। सही कार्ययोजना बनाकर खेती का विकास करें। खेती के विकास से ही इस पूरे क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। कृषि विकास के कम से कम एक घटक को लक्ष्य बनाकर उसमें प्रदेश स्तरीय सफलता प्राप्त करने का प्रयास करें।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि जिले की प्रमुख कृषि उपज मण्डी को आधुनिक बनाकर ई मण्डी की सुविधा किसानों को दें। संभाग में जिला और विकासखण्ड स्तर पर मिट्टी परीक्षण की सभी प्रयोगशालाओं को सक्रिय करें। मिट्टी में मुख्य रूप से जिंक, सल्फर जैसे पोषक तत्वों की कमी है। इनका उपयोग बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाएं। किसान माइक्रो न्यूट्रियंस पर थोड़ी सी राशि खर्च करके अधिक गुणवत्तापूर्ण तथा अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकेगा। कृषि वैज्ञानिक संभाग की मिट्टी, पानी और तापमान के अनुकूल फसलों तथा फसल तकनीकों की जानकारी किसानों तक पहुंचाएं। खेती का ज्ञान किसानों तक पहुंचकर ही सार्थक बनेगा। संभाग में कोदौ, कुटकी, अरहर, जौ, मक्का, सरसों, रामतिल आदि की फसलों को बढ़ावा दें। किसानों को जिन फसलों से अधिक लाभ होगा उसे किसान जरूर अपनाएंगे।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि अशोक वर्णवाल ने कहा कि अर्थव्यवस्था का आधार खेती है। इसके विकास के लिए सही कार्ययोजना तैयार करें। सभी कलेक्टर साप्ताहिक टीएल बैठक में इसकी समीक्षा करें। खेती के विकास की कार्ययोजना में सिंचाई के विकास, कृषि यंत्रीकरण, अधिक उत्पादन देने वाले बीजों का उपयोग, किसानों को सरलता से ऋण उपलब्धता, समर्थन मूल्य पर उपार्जन तथा फसल बीमा की सुरक्षा को शामिल करें। मौसम के पूर्वानुमान, प्रभावी कीट प्रबंधन, बीज की गुणवत्ता, खाद के उचित उपयोग तथा फसलों में जिंक, सल्फर जैसे माइक्रो न्यूट्रियंस के उपयोग को शामिल करके कार्ययोजना बनाएं। संभाग में कुपोषण का मुख्य कारण फसलों में आयरन की कमी है। इसे माइक्रो न्यूट्रियंस के उपयोग से दूर किया जा सकता है। संभाग के सभी जिलों में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार उर्वरक का उपयोग सुनिश्चित करें। मिट्टी के परीक्षण के लिए पीपीपी मोड पर विकासखण्ड स्तर पर शीघ्र ही प्रयोगशालाएं शुरू की जा रही हैं। कलेक्टर कृषि उत्पादन संघों की संख्या बढ़ाएं। इनके कार्यों की हर माह समीक्षा करें। एफपीओ के माध्यम से ही बीज उत्पादन तथा वितरण कराएं।
एसीएस ने कहा कि जिले की एक मण्डी को हाईटेक बनाकर उसमें अनाजों की आधुनिक तरीके से सफाई तथा ऑटोमेटिक पैंकिंग का प्लांट लगवाएं। किसानों को कैशलेस भुगतान की व्यवस्था करें। जमीन, फसल तथा किसान की रजिस्ट्री कराकर एग्री स्टेक की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके लागू होते ही किसान को 15 मिनट में किसान क्रेडिट कार्ड मिल जाएगा। मिलेट मिशन में कोदौ और कुटकी पर किसान को 10 रुपए प्रति किलो अतिरिक्त राशि दी जा रही है। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करें। सुपर सीडर और हैपी सीडर जैसे कृषि उपकरणों के उपयोग से नरवाई की समस्या का समाधान होने के साथ फसल की बोनी में 15 दिन की बचत होगी।
बैठक में संभाग के सहकारी बैंकों की आर्थिक स्थिति में सुधार, जैविक कीट नियंत्रण, इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम तथा स्केल ऑफ फाइनेंस की समीक्षा की गई। बैठक में सहकारी बैंकों के लंबित ऋणों की वसूली, सभी किसानों को क्रेडिट कार्ड जारी करने, कृषि के टर्म लोन की नियमित समीक्षा तथा कृषि फर्मों में बीज उत्पादन के निर्देश दिए गए। बैठक में कलेक्टर्स ने अपने जिले की कृषि कार्ययोजना प्रस्तुत की। बैठक में प्रमुख सचिव सहकारिता श्रीमती दीपाली रस्तोगी, प्रमुख सचिव कृषि एम सेलवेन्द्रन, कमिश्नर रीवा गोपाल चन्द्र डाड, कलेक्टर रीवा श्रीमती प्रतिभा पाल, कलेक्टर सीधी स्वरोचिष सोमवंशी, कलेक्टर सिंगरौली चन्द्रशेखर शुक्ला, कलेक्टर मऊगंज अजय श्रीवास्तव, कलेक्टर मैहर रानी बाटड, प्रभारी कलेक्टर सतना स्वप्निल वानखेड़े, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा कृषि विभाग के अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिक उपस्थित रहे।