100 करोड़ रु. की सेल पर इनपुट टैक्स रिबेट देने से मना करने का मामला।
मध्य प्रदेश के एक वैट असेसमेंट के ऑर्डर को खारिज करने के मप्र हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हाई कोर्ट को उक्त असेसमेंट के खिलाफ सुनवाई करने का कोई अधिकार नहीं था। कहा कि जिस करदाता के प्रकरण में यह असेसमेंट का आदेश विभाग द्वारा पारित किया गया था, उस करदाता को न्याय अनुसार प्राधिकरण के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती देनी चाहिए थी।
यह मामला कमर्शियल इंजीनियर एंड बॉडी बिल्डिंग कंपनी लिमि. का है, जिसके वैट असेसमेंट में विभाग ने 28 फरवरी 2015 को आदेश जारी करते हुए 100 करोड़ की सेल पर इनपुट टैक्स रिबेट देने से मना कर दिया था। करदाता ने इसे चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी। इसका निर्णय जबलपुर स्थित हाई कोर्ट पीठ ने 5 अगस्त 2015 को दिया।
कोर्ट ने विभाग द्वारा जारी असेसमेंट ऑर्डर को खारिज कर दिया और करदाता के पक्ष में इनपुट रिबेट जारी करने का आदेश दे दिया। करदाता ने सीधे तीसरे चरण की अपील में हाई कोर्ट में मामला दर्ज कराया। देखा जाए तो हाई कोर्ट इस मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार तभी रखती है, जब कोई विशेष परिस्थिति निर्मित हो।