हाल ही में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेला, लेकिन उसे इस दांव के जरिए सफलता नहीं मिली है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है. जबकि दक्षिण के राज्यों में पहले कर्नाटक और फिर तेलंगाना में जबरदस्त जीत मिली है. इन दोनों राज्यों में एंटी सनातन और एंटी बिहार का मसला खूब चर्चा में रहा है।
अयोध्या में नए राम मंदिर में रामलला की मूर्ति का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह चर्चा में है. 22 जनवरी को कार्यक्रम है और सामने देश में लोकसभा चुनाव हैं. लिहाजा, अभी से राजनीतिक दलों के बीच सियासत की पिच तैयार की जाने लगी है. बुधवार को जैसे ही कांग्रेस ने राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का न्योता ठुकराया, बीजेपी आक्रमण मोड में आ गई. देशभर से बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और कांग्रेस को हिंदू विरोधी साबित करने की होड़ मच गई है. हालांकि, यह भी सच है कि 90 के दशक में कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में कानूनी तरीके या बातचीत के जरिए राम मंदिर निर्माण के लिए हामी भरी थी. इस लिहाज से तो उसे अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाना चाहिए था. लेकिन, यह दांव बताता है कि कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व से किनारा कर रही है .
दरअसल, हाल ही में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेला, लेकिन उसे इस दांव के जरिए सफलता नहीं मिली है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है. जबकि दक्षिण के राज्यों में पहले कर्नाटक और फिर तेलंगाना में जबरदस्त जीत मिली है. इन दोनों राज्यों में एंटी सनातन और एंटी बिहार का मसला खूब चर्चा में रहा. अयोध्या को लेकर यह बात निकलकर आई कि एक फैसले से पार्टी को केरल में झटका लग सकता है. उसे चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा. कर्नाटक, तेलंगाना जैसे राज्यों में सीटें कम हो सकती हैं. यहां कांग्रेस को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. उत्तरी, पश्चिमी और अन्य मध्य राज्यों में पार्टी कोई खास फायदा नहीं होगा, जहां बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है