पुलवामा हमले को याद कर के अभी भी जहन मे शहीदों के चेहरे सामने आ जाते है, याद आती है उन वीरों के सर्वोत्तम शहादत की तस्वीर, लेकिन राजस्थान सरकार शायद इस सहादत को भूल चुकी है तभी तो वीरों के वीरांगनाए दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है,इस हमले मे राजस्थान के तीन जवान रोहितास लांबा, हेमराज मीणा, जीतराम गुर्जर भी शहीद हुए थे, राज्य सरकार ने शहीदों के गाव मे शहीद स्मारक बनाने और परिजनों को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी लेकिन,सरकार द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर जब जयपुर पुलिस कॉमिश्नरेट के पास धरना दे रही थी, तो पुलिस द्वारा बल प्रयोग किया। जिसको लेकर वीरांगनाए राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पॉइलेट से मुलाकात करके अपनी व्यथा कथा सुनते हुए फुट फुट कर रोने लगी,और चोट के नीसान दिखाए, जिस पर सचिन पॉइलेट ने महिलाओ पर पुलिस द्वारा बलप्रयोग को निन्दाजनक बताते हुए उचित कार्यवाही की बात की तथा सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने के आश्वासन दिया, इससे एक दिन पहले भी वीरंगनाओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य सरकार की उदासीनता से आहत होकर इच्छामृत्यु की मांग की, वीरांगनाओ को बीजेपी राज्यसभा संसद किरोड़ी लाल मीणा का समर्थन प्राप्त है।
राजस्थान सरकार और पुलिस का शहीद के परिवारों के साथ पूरी तरह निन्दाजनक है, और किसी भी जगह होने वाली ऐसी घटना किसी भी सूरत मे माफी योग्य नहीं है, सरकार को जल्द ही किए गए वादे पूरे करने चाहिए, और दोषी पुलिसवालों पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए, क्युकी जो सरकार शहीदों का सम्मान नहीं कर सकती उस सरकार को सत्ता मे रहने का कोई हक नहीं ।