Home Uncategorized आम आदमी पार्टी आगामी चुनावों मे साबित हो सकता है तुरुक का...

आम आदमी पार्टी आगामी चुनावों मे साबित हो सकता है तुरुक का इक्का

0

त्योंथर उत्तर प्रदेश की सीमा से लगई रीवा जिले की एक ऐसी भूगोलीय, समाजिक, संरचना जिसके इतिहास मे राम का वनवास है, तो वर्तमान मे आर्थिक विपन्नता झेलते, बिकास की राह जोहते लोग, और भविष्य मे संभावनाओं के सोपान गढ़ते युवा। जिसके अतीत मे “ज्योंथर छोड़ा, त्योंथर पाया” जैसा अनुपम वाक्य है, जो कभी अपनी घी की महक से राजघरानों को भी सुबासित करने का दमखम रखता था, जो कभी अड़गड़नाथ, पुरौना बाबा, जैसे साधकों की साधना स्थली हुआ करता था, आज वही त्योंथर घटिया राजनीति, स्वार्थ, दस्युओं, बेरोजगारों, भाईभतीजावाद से पिछड़ेपन का पर्याय बनता जा रहा है। जिसके युवाओं मे देश विदेश से लेकर कुशल प्रशासनिक अधिकारी बनने तक की क्षमता तो है, लेकिन क्षेत्र के नीति नियंताओं के बनाए व्यूह जल मे फस कर महज संभावनाओं तक सीमित रह जाते है, खैर कई इस कुचक्र से निकाल कर वैश्विक पटल पर अपनी छाप छोड़ते है, लेकिन यह नाकाफ़ी है। आज भी लोग एक ऐसे जन नायक दल की बात जोह रहे है, जो त्योंथर की तकदीर और तस्वीर दोनों बदलने की ताकत रख सके, जो संभावनाओ के सोपानों को हकीकत मे गढ़कर एक विकसित और समृद्ध त्योंथर का निर्माण कर सके। हालांकि अभी तक यह तलास जारी है, अगले चुनाओं मे भी कई चेहरे हमारे सामने आएंगे, आईए हम ऐसे ही किसी विकल्प की तलाश करने की कोशिश करते है।

त्योंथर विधानसभा, रीवा जिलों की अन्य विधानसभाओं से थोड़ा अलग है। कहा जाता है की, त्योंथर के हर घर मे नेता और दादा मिलते है और कही न कही यही त्योंथर की नियत भी है , जिससे ये आज भी संभावनाओ की राह देख रहा है, लेकिन इन नेताओं और दादाओं से इतर जो लोग राजनीति की धुरी बनते है, वही यहाँ के सर्वोसर्वा है, जीतने के पहले आपके कदमों मे, फिर जीतने के बाद आप उनके कदमों मे, होने को तो यहा ऐसे महान नेता भी हुए, जो अपने क्षेत्र के लोगों के लिए ईमानदारी से प्रयास करते आये हैं, जिन्होंने जनहित मे अपना जीवन समर्पित कर दिया। लेकिन अफसोस त्योंथर की नियत नही बदली जा सकी। एक बार चुनाव के रूप मे फिर मौका और माहौल है जब लोग नेतृत्वकर्ता चुनेंगे। त्योंथर मे मुख्य तौर पर काँग्रेस और बीजेपी सत्ता के धुरी पर रहते है, लेकिन यूपी सीमा से सटे होने के कारण यहा बीएसपी और सपा को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।और इस बार आप भी चुकने वालों मे नहीं दिख रही है।

2019 के चुनाव के बाद देश मे एक जो चीज जो बदली है, वो है BSP, SP और काँग्रेस का घटता जन सरोकार और देशभर मे आम आदमी पार्टी की बड़ती सक्रियता। निश्चित तौर पर 2023 मे त्योंथर का चुनाव भी इससे अछूता नहीं रहने वाला है, इस चुनाव मे अगर आम आदमी पार्टी से कोई ऐसा व्यक्ति चुनाव लड़ता है, जो शिक्षित और स्वच्छ छवि का होने के साथ साथ ऐसे वर्ग से आता हो जो विधानसभा मे जनसंख्या के मामले मे दूसरी वर्गों से 20 हो, तो निश्चित तौर पर आम आदमी पार्टी इस बार चुनाव मे तुरुक का इक्का बन सकती है। और चुनाव नहीं भी जीती तो, चुनाव के समीकरण तो बदलने मे कामयाबी हासिल कर ही लेगी। और पिछला ट्रैक रेकर्ड देखे तो, आप बेहतरीन विपक्ष की भूमिका मे रही है। संभवतः बहुजन समाज पार्टी से किसी ब्राह्मण या बहुजन समाज का कोई लोकप्रिय नेता चुनाव लड़ेगा जैसा की अब तक होता आया है, समाजवादी पार्टी से कोई पटेल या यादव या फिर बीजेपी काँग्रेस के कोई नाराज नेता जिन्हे उनके दल ने टिकट न दिया हो, अपनी किशमत आजमा सकते है, जैसे पिछले बार रीवा जिले मे कई रूठे नेता सपा के उम्मीदवार बने थे। बीजेपी की बात करे तो सामान्य तौर पर जीते विधायक का टिकट पर पहला अधिकार माना जाता है, लेकिन कई बार ये अधिकार छीन भी लिया जाता है, और त्योंथर मे अगर ऐसा हो, तो शायद लोगों को हैरानी नहीं होनी चाहिए। और अगर ऐसा हुआ तो पार्टी मे सब ठीक होते हुए भी भीतरघात हो सकता है, और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भी टिकेट की आस लगाए प्रत्याशी के समर्थको ने अगर पाला बदला तो, विरोधियों के वारे न्यारे होना तय है।ये दोनों ही चीजे बीजेपी की गले की फास बन सकती है। रही बात कांग्रेस पार्टी की पार्टी मे जिस तरह नवीनीकरण की बात हो रही है, और भारत जोड़ने, हाथ जोड़ने की कोशिश की जा रही ऐसे मे पार्टी हारे हुए प्रत्याशी की जगह स्थानीय निकाय के बाजी मारे हुए, या किसी ऐसे अनुभवी युवा के सहारे अपनी नैया पार लगाने की जुगत भिड़ा सकती है, जो त्योंथर का और अनुभवी होने के साथ युवाओं और बुजुर्गों के साथ सर उठा कर चल सकने वाला हो।यूपी से इम्पोर्ट प्रत्याशी भी किसी दल का चेहरा बन सकता है।ऐसे मे मुख्य चुनाव बीजेपी, कॉंग्रेस, और आप के बीच होता हुआ लग रहा है लेकिन, बीजेपी, कॉंग्रेस के भितारघात कही गेंद इनके पाले से दूसरे के गोलपोस्ट मे न डाल दे।ये तो बात हुई दलों की बात आईए करते है कुछ, जनता की बात …

खैर, अब जनता समझदार हो रही है, लेकिन खुद के लिए क्षेत्र के लिए नहीं, चुनाव के वक़्त पिता, पुत्र, भाई, परिवार सब एक जैसा नहीं सोचते, सब फायदे देखते है। दरअसल कमी सिर्फ नेताओं की नहीं जनता की भी है,कमी हमारी आपकी जनता की भी है, जो साम, दाम, दंड, भेद कैसे भी गलत चुनाव करती है, और फिर कोशती रहती है। नई पीढ़ी नई तो हो गई है, लेकिन सोशल मीडिया में दिन रात पोस्ट करते, ईमानदारी की दुहाई दे देकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों, सरकारी कर्मचारियों और सरकार की नाक़ में दम करने वाले युवा ही, जब चुनाव की बात आती है,तो माहोल वाले आदमी के पीछे भागते हैं। यहाँ कोरेक्स वाले माहोल की बात नहीं हो रही, बल्कि चुनावी माहौल की बात हो रही है। एक बार जहां चुनावी महोत्सव मे फ्री के मुर्गा, दारु, राजश्री, और कोरेक्स की हवा चलती है, तो पोस्ट पर पोस्ट चेपने वाले अधिकतर युवा नेता, बोटी फेकने वाले नेताओं के पीछे हो लेते है,और माता पिता, दादा दादी सब मानकर अपना और अपने लोगों का वोट उस शक्स को दे देते है, जिसके खिलाफ 5 साल पोस्ट पर पोस्ट की थी।

लोकल फॉर वोकल हमारे प्रधानमंत्री का मूल मंत्र है, फिर त्योंथर का चुनाव किसी बड़ी पार्टी के ही सर पर ताज क्यों सजायें? चुनाव तोबेहतर से सबसे बेहतर ढूंढकर चुनने का अवसर होता है,अगर पार्टी सही उम्मीदवार नहीं देती तो फिर जनता की भी कुछ ज़िम्मेदारी है,अपनी जिम्मेदारी समझ कर एक साथ कई ईमानदार व्यक्तियों के चुनाव लड़ना बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि सही लोग इकट्ठे नहीं मिल सकते। और अगर मिल पाए तो इससे बेहतर ही क्या, ऐसे इमानदार लोग जिनके पास पैसा हो, जो ईमानदारी से चुनाव लड़ें और अगर जीते तो त्योंथर के सपनों को साकार करने की पुरजोर कोशिश कर सके।अगर ऐसे लोग हारे तो भी कुछ नहीं जायेगा, क्योंकि इन्होने पैसे और पॉवर के लिए तो चुनाव लड़ा ही नहीं था, ज्यादा धन भी खर्च नहीं किया था।वर्ना चुनावों के मजे लेते रहे है,लेते रहिए जैसे जनता करती आई है। और कुछ दलों दिग्गजों के लिए आपसी सौहार्द बिगाड़ते रहिए, कोसते रहिए अपने भाग्य, नियति और नेताओं को।

कुछ सवाल छोड़ रहे है, जनता कब बदलेगी? त्योंथर कब बदलेगा? कब तक कोसते रहेंगे नेताओं को ? कब गढ़े जाएंगे त्योंथर के सपनों के सोपान? क्या 5 साल बाद फिर यही सवाल होंगे, और जबाब के नाम पर बस एक प्रश्नचिन्ह ?

अगली पोस्ट में त्योंथर से कुछ ऐसे व्यक्तियों के नाम खोजने की कोशश होगी जिन्हे विधायकी का चुनाव लड़ना ही लड़ना चाहिए, आप किसे देखते है चुनावों मे त्योंथर की तकदीर और तस्वीर बदनले वाला और क्यूँ,कमेन्ट करके जरूर बताएं, ताकि खोज सके हम उसे जिसे खोज रहा है त्योंथर अब तक। यहाँ तक आने के लिए धन्यबाद। और धन्यवाद इसके लिए भी आप त्योंथर के बारे सोचते है तभी तो यहाँ तक पहुचे है।

पोस्ट द्वारा : अनुपम अनूप.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

WhatsApp us

Exit mobile version