उज्जैन। शहर के ज्वेलर्स ने एक बार फिर ब्रिटिश काल से लागू धारा 411,,412 और 413 में संशोधन की मांग उठाई है। यह तीनों धाराएं ज्वेलर्स के लिए परेशानी का सबब बन गई है। चोरी की वारदातों में पकड़ाने वाले आरोपी जिस ज्वेलर्स की दुकान बता दे वह बर्बादी की कगार पर पहुंच जाते हैं। यह उनकी सबसे बड़ी समस्या बन गई है।
भारतीय दण्ड संहिता की ये तीन धाराएं चोरी अथवा डकैती का सामान खरीदने वाले व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करती है लेकिन पुलिस इन धाराओं का दुरुपयोग कर आभूषणों का व्यापार करने वाले व्यापारियों को पुलिस डराने धमकाने लगती है। अधिकांश मामलों में पुलिस प्रकरण को निपटाने के लिए चोरों की बात मानकर व्यापारियों के प्रतिष्ठान पर दबिश देकर अलग उन्हें बदनाम और बर्बाद करने का काम करती है।
इस बात की जांच भी नहीं की जाती कि किसी व्यापारी ने आभूषण सही तरीके से खरीदे हैं या नहीं। चूंकि आभूषण खरीदना बेचना ज्वेलर्स का व्यापार है लेकिन वे हमेशा कानूनन ईमानदारी से व्यापार करते हैं। यदि किसी व्यापारी ने इरादतन चोरी का सामान खरीदा है तो वह सही कीमत कभी नहीं देगा लेकिन यदि किसी व्यापारी ने सही कीमत और बिल लेकर आभूषण खरीदा है तो उसकी नीयत पर संशय नहीं किया जाना चाहिए। ज्वेलर्स का कहना है कि यदि चोर ने किसी व्यापारी को भ्रमित कर ज्वेलरी बेची है और पकड़ाया है तो ज्वेलरी बरामदगी के साथ राशि की भी बरामदगी होना चाहिए। ज्वैलर्स का कहना है कि वे अक्सर या तो किसी परिचित ग्राहक और ग्राहक के परिचित व्यक्ति से आभूषण खरीदते हैं या फिर आभूषणों के बिल प्राप्त कर। इसके अलावा पुलिस को यह भी देखना चाहिए कि आभूषण की सही कीमत अदा की गई है या नहीं। इससे स्पष्ट हो सकता है कि ज्वेलर्स ने जानबूझकर चोरी का सामान खरीदा है या चोर ने चालाकी से ज्वेलर्स को सामान बेच दिया। ज्वेलर्स ने कहा कि वे भी चाहते हैं कि चोरी का सामान खरीदने वाले लोगों पर कार्यवाही हो लेकिन ईमानदारी से व्यापार करने वाले ज्वेलर्स परेशान ना हो।