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thekhabardarnews;त्योहारों के साथ सेहत के लिए भी खास है कार्तिक:10 अक्टूबर से 8 नवंबर तक कार्तिक महीना, पूजा-पाठ के साथ मंत्र जप और ध्यान जरूर करें

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कार्तिक महीना तीज-त्योहारों के नजरिए बहुत ही खास रहता है। इस महीने में करवा चौथ (13 अक्टूबर), पांच दिवसीय दीपोत्सव (22 से 27 अक्टूबर), छठ पूजा (30 अक्टूबर), देव उठनी एकादशी (4 नवंबर) और कार्तिक पूर्णिमा (8 नवंबर) को रहेगी। 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण भी होगा।

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रविवार, 9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है और ये आश्विन मास की अंतिम तिथि है, लेकिन इस दिन से कार्तिक मास के स्नान शुरू हो जाते हैं। अगले दिन यानी 10 अक्टूबर से हिन्दी पंचांग का आठवां महीना कार्तिक शुरू हो जाएगा। ये महीना 8 नवंबर तक रहेगा।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक हिन्दी पंचांग के आठवें महीने का नाम शिव के पुत्र कार्तिकेय स्वामी के नाम पर पड़ा है। ये समय शीत ऋतु की शुरुआत का है। ये महीना पूजा-पाठ के साथ ही सेहत के लिए भी खास है।

जप और ध्यान के लिए वरदान है कार्तिक मास

जिन लोगों का मन अशांत रहता है, उन लोगों को कार्तिक मास में जप और ध्यान जरूर करना चाहिए। ये समय जप और ध्यान के लिए वरदान की तरह है। इन दिनों में मौसम ऐसा रहता है, जिससे मन जल्दी एकाग्र हो जाता है और जप-ध्यान करने से अशांति दूर हो जाती है। ध्यान करने के लिए किसी शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए।

खान-पान और पहनावे पर भी दें ध्यान

अभी ठंड शुरू हो जाएगी। इन दिनों में खान-पान में ऐसी चीजें शामिल करें, जो शरीर को ठंड से लड़ने की ताकत देती है। गर्म केसर वाला दूध पीएं। मौसमी फल खाएं। साथ ही, इस महीने में पहनावे पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे कपड़े पहनें, जिनसे शरीर पर बाहरी ठंड का जरूरत से अधिक असर न हो, वर्ना सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारी हो सकती है।

कार्तिक मास में दान-पुण्य जरूर करें

इस महीने से शीत ऋतु शुरू हो रही है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान जरूर करें। त्योहारों का समय है तो जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, नए कपड़े, जूते-चप्पल का दान भी कर सकते हैं। इन दिनों में गायों की देखभाल के लिए भी दान जरूर करें।

कार्तिक महीने में सुबह-सुबह नदी स्नान करने की है परंपरा

कार्तिक महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दीप दान करने की परंपरा है। इसकी शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है। इसी वजह से कार्तिक माह में देशभर की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। स्नान घाट पर ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें।

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