पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने की संभावना है, जिसके तहत उन्हें दक्षिण भारत के किसी राज्य की जिम्मेदारी मिल सकती है। 19 दिसंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ हुई मुलाकात के बाद, शिवराज ने स्पष्ट किया कि वह दक्षिण के राज्यों की यात्रा करेंगे, लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी का विवरण नहीं दिया। भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से संगठनात्मक बदलाव करने का निर्णय हुआ है, जिसके लिए दिल्ली में एक बैठक हो सकती है। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका भी स्थापित की जा सकती है। यह कहा जा रहा है कि इस बैठक के बाद ही मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, और 23 दिसंबर को नए मंत्रियों की शपथ ग्रहण की जा सकती है।
नरेंद्र सिंह तोमर की भूमिका तय हो चुकी है, लेकिन कैलाश और प्रहलाद की भूमिका अभी तय नहीं हुई है।
सूत्रों का कहना है कि बैठक में प्रदेश प्रभारी को लेकर भी चर्चा हो सकती है। केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव को भी नई जिम्मेदारी दे सकता है। राव को तीन साल पहले मप्र का प्रभारी बनाया गया था। उनके दिए एक विवादित बयान के बाद वे मप्र में ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आए। पूरा विधानसभा चुनाव भी उनकी गैरमौजूदगी में लड़ा गया।चुनाव में भाजपा ने 40 नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया था, लेकिन इस लिस्ट में मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव को ही जगह नहीं मिली थी।
- ये 5 दिसंबर की तस्वीर है। उस समय डॉ. मोहन यादव का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर तय नहीं था, लेकिन मुरलीधर राव ने उन्हें मिठाई खिलाई थी।
- दक्षिण भारत के लिए शिवराज को क्यों चुना?
- इसके जवाब में जानकार कहते हैं कि इसके पीछे भी बीजेपी का अपना फॉर्मूला है। एमपी के मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज दक्षिण के राज्यों में भी सक्रिय रहे हैं। वहां के मठ-मंदिरों में जाते रहे हैं। तमिलनाडु के साथ आंध्र और कर्नाटक के चुनाव में भी शिवराज सक्रिय रहे।
तमिलनाडु को साधने के लिए डॉ. एल मुरुगन को एमपी से राज्यसभा भेजा गया था। सूत्र बताते हैं कि दक्षिण के राज्यों के संगठन में उनकी अच्छी पकड़ है। भाजपा के एक पदाधिकारी के मुताबिक शिवराज को दक्षिण भारत में सक्रिय करना भाजपा के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। दरअसल, भाजपा में शिवराज सिंह चौहान सॉफ्ट हिंदुत्व का चेहरा कहे जाते हैं। वे धार्मिक विवादों से बचते हैं इसलिए दक्षिण के राज्यों के लिए मुफीद कहे जा सकते हैं।
शिवराज की दो और भूमिकाएं हो सकती है
1. शिवराज बीजेपी का ओबीसी चेहरा हैं। जिस तरह से विपक्ष पिछड़े वर्ग के लोगों को उनका हक दिलाने के नाम पर जातीय जनगणना की मांग कर रहा है, भाजपा की तरफ से शिवराज मजबूत जवाब हो सकते हैं।
2. भाजपा प्रदेश की किसी सीट से लोकसभा चुनाव में शिवराज को उतार सकती है। यदि ऐसा होता है तो उन्हें पहले मोदी कैबिनेट में शामिल किया जाएगा। तोमर की जगह केंद्रीय कृषि मंत्री बनाए जा सकते हैं। वे खुद को किसान का बेटा कहते हैं।
रावत-रुपाणी हटे तो मिली थी नई जिम्मेदारी
त्रिवेंद्र सिंह रावत 2017 से 2021 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। उत्तराखंड चुनाव से करीब एक साल पहले बीजेपी ने सूबे में सीएम बदल दिया था। तब केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने पर बीजेपी की ओर से चलाए गए महासंपर्क अभियान के लिए त्रिवेंद्र को आजमगढ़, बलिया, देवरिया, बांसगांव और सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई थी। इसी तरह विजय रुपाणी 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। सीएम पद से हटने के बाद विजय रुपाणी संगठन में सक्रिय हैं। रुपाणी फिलहाल पंजाब और चंडीगढ़ के प्रभारी हैं।
फिलहाल अमरकंटक प्रवास पर शिवराजपूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा सत्र के अंतिम दिन सदन में मौजूद नहीं रहे। वे एक दिन पहले 20 दिसंबर को दो दिन के प्रवास पर सपरिवार अमरकंटक चले गए।
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