मध्यप्रदेश के त्योंथर (Teonthar) के छात्रों और उनके परिवारों में आक्रोश है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU), रीवा द्वारा परीक्षा केंद्रों को रीवा में स्थानांतरित करने के मनमाने निर्णय ने गरीब छात्रों के सामने आर्थिक और सुरक्षा से जुड़ी बड़ी समस्याएँ खड़ी कर दी हैं। इसके पीछे के भ्रष्टाचार और वित्तीय लाभ के आरोपों ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है। पढ़ें पूरी खबर और जानें कैसे यह भ्रष्टाचार त्योंथर की शिक्षा प्रणाली को कमजोर कर रहा है।
Rewa Students की खबर: एपीएसयू का मनमाना निर्णय
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU Rewa), रीवा ने मनमानी तरीके से त्योंथर में मौजूद कॉलेजों की उपेक्षा करते हुए परीक्षा केंद्र रीवा में कर दिया है। इस निर्णय से आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों में काफी रोष है। उनका कहना है कि उनके अभिभावक उन्हें परीक्षा देने से मना कर रहे हैं क्योंकि इस महंगाई में वे बस का किराया और बच्चों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त खर्च नहीं उठा सकते।
APSU Rewa के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप
कुछ छात्राओं के अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय परीक्षा केंद्र को रीवा में करने के पीछे वित्तीय लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय ने त्योंथर के कॉलेजों में परीक्षा केंद्र के लिए मोटी रकम की मांग की होगी, जिससे यह सब किया गया है। यह आरोप पिछले कुछ वर्षों में देखे गए व्यापक पैटर्न के साथ मेल खाता है, जहां एपीएसयू पहले परीक्षा केंद्रों को रीवा में स्थानांतरित करता है, छात्रों और परिवारों के विरोध के बाद, फिर इन केंद्रों को त्योंथर के निजी कॉलेजों में स्थानांतरित कर दिया जाता है। इन निजी कॉलेजों पर छात्रों से नकल करने की अनुमति देने के लिए पैसे लेने के आरोप भी हैं।
सरकारी कॉलेजों में निष्पक्ष परीक्षा केंद्र की मांग
इस बार, त्योंथर के लोग न केवल परीक्षा केंद्र को रीवा से त्योंथर में बदलने की मांग कर रहे हैं, बल्कि वे यह भी चाहते हैं कि परीक्षा केंद्र निजी कॉलेजों को न देकर त्योंथर के सरकारी कॉलेजों में दिए जाएं। वास्तव में, त्योंथर के निजी कॉलेजों के छात्रों को स्वामी विवेकानंद कॉलेज, त्योंथर (Swami Vivekanand College, Teonthar) जैसे सरकारी कॉलेजों में भेजा जाना चाहिए। इस कॉलेज की टीम परीक्षा को सही ढंग से आयोजित करने के लिए सक्षम है और यह कॉलेज सभी संसाधनों से अच्छी तरह सुसज्जित है।
शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव
यह भ्रष्टाचार का चक्र शिक्षा प्रणाली को कमजोर करता है और योग्य छात्रों को नुकसान पहुंचाता है। एपीएसयू को स्थानीय कॉलेजों में परीक्षा केंद्र बनाए रखना चाहिए और परीक्षा के दौरान धोखाधड़ी को रोकने के लिए उनकी निगरानी करनी चाहिए। यदि यह भ्रष्टाचार जारी रहा, तो छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है जो फर्जी अंक प्राप्त कर स्नातक तो हो जाएंगे, लेकिन उनके पास आवश्यक ज्ञान और कौशल की कमी होगी।
विश्वविद्यालय परीक्षा मानकों के लिए कानूनी ढांचा
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, विश्वविद्यालयों को निष्पक्षता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए निजी कॉलेजों को परीक्षा केंद्र के रूप में बढ़ावा नहीं देना चाहिए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम, 1956 की धारा 4(1) के अनुसार, विश्वविद्यालयों को विश्वविद्यालय शिक्षा को बढ़ावा देना और समन्वित करना, शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों को बनाए रखना अनिवार्य है। इसके अलावा, यूजीसी (निजी विश्वविद्यालयों में मानकों की स्थापना और रखरखाव) विनियम, 2003 इस बात पर जोर देते हैं कि निजी कॉलेज शिक्षा और परीक्षा में गुणवत्ता और निष्पक्षता से समझौता नहीं कर सकते।
त्योंथर के छात्रों और अभिवावकों के लिए अपील
मैं त्योंथर के लोगों और छात्रों से अपील करता हूं कि वे इस तरह के भ्रष्टाचार का विरोध करें और अपने अधिकारों के लिए खड़े हों ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें।
#JournalistVijay द्वारा लिखित
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