चुनावी संग्राम की रीत रखी कायम, भाजपा को अपनाया तो फिर नहीं छोड़ा,अब तक हुए 17 चुनाव में कांग्रेस ने 7 व भाजपा ने 8 बार चुनाव जीता
बुंदेलखंड भले ही मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की भौगोलिक लकीर से बंट गया हो लेकिन दोनों तरफ इसकी पहचान और अंदाज बदलता नहीं है। मध्य प्रदेश के हिस्से के बुंदेलखंड की भी वही कहानी है जो पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की है। यहां पानी की समस्या है, लेकिन यहां रहने वाले लोग रुखे नहीं हैं। यहां के खरे लोग किसी को जल्द नहीं स्वीकारते और जिसे अपना लेते हैं उसे आसानी से छोड़ते भी नहीं। यही रीत राजनीति में भी दिखाई देती है। बुंदेलखंड की प्रमुख लोकसभा सीट सागर में स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती दशकों में जनता लगातार कांग्रेस पर विश्वास जताती रही। वर्ष 1952 से 1984 तक अपवाद छोड़ कांग्रेस को जीत मिलती रही लेकिन वर्ष 1996 के बाद यह क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुका है।
वर्ष 1991 के बाद से नहीं जीती कांग्रेस
सागर लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 1951-52 से लेकर 2019 तक 17 चुनाव हो चुके हैं। वर्ष 1996 से यह क्षेत्र भाजपा के ही पास है। वर्ष 1996 से 2004 तक यहां से डा. वीरेंद्र कुमार खटीक लगातार जीतते रहे। परिसीमन होने के पश्चात वर्ष 2009 में चुनाव हुआ। सागर लोकसभा सीट से भूपेंद्र सिंह को मौका मिला और वे जीते। इसके बाद लक्ष्मीनाराण यादव व राजबहादुर सिंह सांसद बने। वर्ष 1996 के पहले 1989 में भी भाजपा के शंकर लाल खटीक चुनाव जीते, लेकिन 1991 में कांग्रेस के आनंद अहिरवार ने वापसी की। अब तक हुए 17 चुनाव में कांग्रेस ने सात व भाजपा ने आठ बार चुनाव जीता। वर्ष 1967 में भारतीय जनसंघ के राम सिंह अहिरवार व 1977 में भारतीय लोकदल के नर्मदा प्रसाद राय सांसद बन चुके हैं।
पेट्रोकेमिकल हब से विकास की आस
सागर लोकसभा क्षेत्र में उद्योग के नाम पर केवल बीना रिफाइनरी है। यहां अधिकांश बाहर के लोग ही काम कर रहे हैं। 14 सितंबर, 2023 को बीना रिफाइनरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेट्रोकेमिकल हब के लिए भूमिपूजन किया। भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) द्वारा बीना रिफाइनरी में 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाना है। इससे पूरे क्षेत्र के विकास की उम्मीद है। इससे रिफाइनरी का विस्तार होगा और कई सहायक कारखाने भी लगेंगे। रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
13 चुनावों में सागर के स्थानीय व्यक्ति ही बने सांसद
सागर लोकसभा सीट के साथ एक रोचक संयोग यह है कि यहां अब तक हुए 17 में से 13 चुनावों में सागर विधानसभा क्षेत्र यानी सागर के स्थानीय नागरिक ही सांसद चुने गए। केवल चार बार वर्ष 1971 व 1980 में कांग्रेस की सहोद्रा बाई राय, 1977 में रहली विधानसभा के ग्राम ढाना निवासी नर्मदा प्रसाद राय व 2009 में ग्राम बामोरा निवासी भूपेंद्र सिंह ही बाहरी व्यक्ति थे, जो सांसद चुने गए।
वर्ष 1967 के बाद सीट आरक्षित होने से बदले समीकरण
वर्ष 1967 में सागर लोकसभा क्षेत्र के एससी वर्ग के लिए आरक्षित होने की वजह से यहां के जातिगत समीकरण बदल गए। आरक्षण के चलते यहां से दो बार से सांसद बनते आ रहे ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी को सागर से विधानसभा का चुनाव लड़ना पड़ा। वे दो बार विधायक भी निर्वाचित हुए। परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में यह सीट फिर अनारक्षित घोषित हुई। इसके बाद के तीन सांसद ओबीसी वर्ग से आते हैं।
पार्षद से सीधे बने सांसद
इस लोकसभा क्षेत्र ने राजबहादुर सिंह को राजनीतिक रूप से शानदार ऊंचाई दी। वर्ष 2019 में सागर सीट से सांसद चुने गए राजबहादुर सिंह इससे पहले पार्षद रहे हैं। वे दो बार सागर नगर निगम में पार्षद रहे। पार्षद के साथ ही नगर निगम अध्यक्ष रहते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने का टिकट मिला और वे जीते भी।
विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन कुछ महीने बाद ही बने सांसद
वर्ष 2009 में सागर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले भूपेंद्र सिंह कुछ महीने पहले ही दिसंबर, 2008 में खुरई विधानसक्षा सीट से चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट मिला। वे जीत भी गए। भूपेंद्र सिंह ने सांसद रहते वर्ष 2013 में पुन: खुरई विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। इसके बाद वे लगातार तीन बार से विधायक हैं। मंत्री भी रहे।
चार बार सागर व तीन बार से टीकमगढ़ के सांसद हैं डा. वीरेंद्र सिंह
सागर निवासी वीरेंद्र खटीक सागर लोकसभा क्षेत्र से चार बार सांसद रहे ही। इसके बाद वर्ष 2009 से वे टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। वे वर्तमान में केंद्रीय राज्यमंत्री भी हैं।
8 विधानसभा क्षेत्र शामिल
सागर जिला- सागर, बीना, खुरई, सुरखी व नरयावली
विदिशा- कुरवाई, शमशाबाद व सिंरोज।