लोकसभा चुनाव में दल बदल, हजारों ने बसपा का छोड़ा साथ भाजपा और कांग्रेस का थामा दामन
मध्य प्रदेश में पिछले तीन दशक से बुंदेलखंड, चंबल, बघेलखंड और महाकौशल अंचल से विधायक चुनकर भोपाल भेजती रही बहुजन समाज पार्टी का ग्राफ तेजी से नीचे की ओर जा रहा है, इस अंचल से 2023 विधानसभा चुनाव मे बसपा एक भी सीट परजीत हासिल नहीं कर पायी है तो 2024 के लोकसभा चुनाव मे मजबूत प्रत्यासी चुनाव मेदान मे उतारने की स्थिति मे नजर नही आ रही है । बसपा भाजपा-कांग्रेस के बागियों पर निर्भर हो चुकी है, एसी स्थिति मे नब्बे के दशक मे बड़ी पार्टी के रूप मे उभरी बसपा का अस्तित्व धीरे -धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है । बुंदेलखंड, चंबल, बघेलखंड और महाकौशल को छोडकर अन्य दो सीटो ग्वालियर , मुरेना पर जब काँग्रेस को ही उम्मीदवार का चयन करने मे मुश्किल अटक रही है तो बसपा की स्थिति का स्वता अंदाजा लगाया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश से सटे चंबल अंचल मे 90 के दशक से बसपा व कुछ सपा का प्रभाव बढ़ा था भिंड जिले से बसपा व सपा के विधायक भी चुने जा चुके है 1993 मे बसपा के भिंड जिले दो विधायक मेहगाव से डॉ नरेश गुर्जर व गोहद से चतुरी लाल बरहदिया चुने गए थे, 1998 मे समाजबादी पार्टी से रसाल रौन से चुने गए और 2003 मे बसपा विभाजित हुई तो फूल सिंह बरैया की ससपा से मुन्ना नरवरिया मेहगाव से विधायक चुने गए थे उधर लोकसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डाले तो बसपा 1989 ,1996 1998 के चुनाव मे भाजपा की निकटतम प्रतिद्वंदी थी । वर्ष 1999 के चुनाव मे बसपा के ग्राफ गिरने के साथ काँग्रेस का ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ है, वर्ष 2009 मे भिंड लोकसभा क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के वाद बसपा का बोट एक लाख तिरानवे हजार सात सौ इकहत्तर से गिरकर 2014 मे तेतीश हजार आठ सौ दो पर पहुच गया ,हालांकि, मुरैना-भिंड में उसके प्रत्याशियों ने संतोषजनक प्रदर्शन कर जीत-हार के समीकरण बिगाड़ने मे तो कामयाव रही हैं।
मध्य प्रदेश मे बसपा का ग्राफ सुप्रीमो काशीराम के अस्वस्थ्य होने के साथ ही शुरू हो गया था, मध्य प्रदेश की राजनीति मे फूल सिंह बरैया दलित व पिछड़े बर्ग पर बसपा के अच्छी पकड़ रखने वाले नेता थे, शीर्ष नेत्रत्व की लढाई मे मायावती ने फूल सिंह बरैया को बहार का रास्ता दिखा दिया, फूल सिंह बरैया ने नई पार्टी ससपा बनाई मध्य प्रदेश मे एक दो विधायक भी चुन गए पर स्वयम फ्लाफ रहे, इसके वाद भाजपा मे शामिल हो गए लेकिन समाहित न हो पाने के कारण अब काँग्रेस मे है, कट्टर वादी जातीय राजनीति के चलते आए दिन विवादो मे घिरे रहते है । बसपा के कुछ नेता भाजपा और कुछ काँग्रेस मे शामिल हो चुके है । बर्तमान मे बसपा का अस्तित्व भाजपा व काँग्रेस के बागियो पर निर्भर है,भिंड- दतिया लोकसभा क्षेत्र से 1998 मे बसपा उम्मीदवार के रूप मे सर्वाधिक 193771 बोट हासिल करने वाले केदार नाथ काछी बर्तमान मे भाजपा मे है । वेसे तो पूरे अंचल मे बसपा 2024 लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार तय नही कर पायी है भिंड -दतिया लोकसभा क्षेत्र के भाजपा व काँग्रेस के उम्मीदवार घोषित होने के साथ चुनाव प्रचार अभियान मे जुट गए है, लेकिन बसपा अभी तक अपना उम्मीदवार तय नही कर पायी है।