भोपाल के इंटर नेशनल कन्वेंशान सेंटर में दूसरा राज्य खनिज मंत्री सम्मेलन हुआ। इसमें यूपी-बिहार सहित 20 राज्यों के मंत्री शमिल हुए। मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार सुबह 11 बजे कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पहला राज्य खनिज मंत्री सम्मेलन हैदराबाद में हुआ था।
खनिज मंत्री सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, ‘मैं यह मानता था कि माइनिंग विभाग काजल की कोठरी है। इसमें न जाने क्या होता होगा? इस कार्यक्रम में शामिल होने तक यही सोचता रहा लेकिन केंद्रीय खनन विभाग की प्लानिंग के बारे में जानकारी मिलने पर भरोसा हुआ है कि पारदर्शिता का काम तेज हुआ है। भारत सरकार खनन एजेंसियों को जोड़ने के लिए शुचिता को बढ़ाने का काम कर रही है। इस तरह के मामलों में सरकारों को आरोप से बचाने का काम केंद्र सरकार की नीतियां कर रही हैं।’
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह बात मंगलवार को 63वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की दो दिवसीय बैठक में कही। बैठक सोमवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में शुरू हुई थी। इसमें देश के 20 राज्यों के खनिज मंत्री जुटे।
सीएम ने कहा, ‘माइनिंग सेक्टर में खनन की अलग-अलग संभावनाओं की तलाश कर केंद्रीय खनन विभाग ने मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों को विकास के अवसर दिए हैं। उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है, स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित मेरा मध्यप्रदेश है। हमारे मध्यप्रदेश को परमात्मा ने सम्पदा का वरदान दिया है। जम्मू-कश्मीर में भारी मात्रा में लीथियम मिला है, इससे वहां भारी डेवलपमेंट की संभावना बनी है। एमपी में भी राज्य सरकार एजेंसियों के माध्यम से लीथियम की तलाश के लिए काम करेगी।