मैहर स्थित माँ शारदा देवी मंदिर और उसकी गरिमा को सारवान बनाने में सबसे बड़ा योगदान माता पहड़िया के ठीक नीचे बसे गांव अरकंडी का रहा है इस गांव और गांव के लोगो ने माँ के मंदिर की ख्याति को अपनी सेवा और भक्ति से दूर दूर तक फैलाया । अरकंडी गांव जो कभी कोल्हाई गांव था जिसका अस्तित्व आल्हा अखाड़ा के पीछे से मिटा दिया गया कोल्हाई के बाद ये गांव जितनगर हुआ बाद में उदयपुर हुआ और फिर कही इस गांव को खुद का नाम मिला अरकंडी अरकंडी गांव बनते ही यहां खुद का सरपंच हुआ पंचायत हुई लेकिन जो सरपंच हुए वे इस गांव के विकास के लिए आने वाले योजनाओं के लिए काल शर्प के समान थे इस गांव के अस्तित्व के साथ साथ यहां योजना अंतर्गत आने वाली सड़क भवन खाद्यान समूह नाली निर्माण जल व्यवस्था इत्यादि सभी विकास योजनाओ का भक्षण कर गए गांव का अस्तित्व बना या नही बना इस गांव में लंबे समय तक सरपंच रहा गांव का पूर्व मुखिया आज करोड़ो की संपत्ति का मालिक है, अरकंडी गांव को अस्तित्व विहीन रखने में मंदिर समिति के अवैध अधिकारी निजी हितसाधक नेता और दुसित मानसिकता से जन्मी अवैध कार्यवाहियां रही है इसी कड़ी में इस गांव अरकंडी को नगरपालिका परिशिमन में नगरपालिका को सौंप दिया गया इस पर भी अधिकारियों और नेताओं की दूषित मानसिकता और सौतेले पन ने इस गांव और उसके नागरिकों के साथ छल करने में कोताही नही बरती गांव के निवासी नगरपालिका को और उनके आशियाने की जमीन अवैध कार्यवाहियों के माध्यम से समिति के खाते में डाल दी लगभग 70 वर्षो से सर्वाइव करता ये गांव अपने अस्तित्व को तलाशता रहा है।
अरकंडी नगरपालिका के परिशिमान में वार्ड नं 1 बना और इस गांव को सरपंच के बाद मिला पहला पार्षद, प्रमोद सिंह
प्रमोद सिंह एक ऐसा नाम जो इस अरकंडी गांव के बच्चे बच्चे की जुबान में है प्रमोद सिंह यह नाम जब अरकंडी के वार्ड नं एक बनते ही पहले चुनाव में पहला चेहरा बन सामने आया तब बहुत से उतार चढ़ाव बहुत से विरोध अवरोध के बाद सफलता हांसिल कर वार्ड नं 1 का पहला पार्षद बना, प्रमोद सिंह पार्षद बनते ही मानो इस गांव के लिए इस वार्ड के लिए समर्पित हो गया दिन रात वार्ड की समस्याओं को निपटाने में दौड़ता पार्षद धीरे धीरे इस गांव की मूल जड़ तक पहुंच ही गया और प्रमोद सिंह ने इस गांव के अस्तिव के लिये जो कूटनीति अपनाई वो धीरे धीरे कारगर होने लगे प्रमोद सिंह इस गांव के लिए वरदान की तरह साबित हुआ, जहां अरकंडी गांव के अस्तित्व को पूर्व सरपंचों और सेकेट्री की लोभी मानसिकता ने अपना भक्षण बना लिया था वही प्रमोद सिंह ने अपनी कूटनीति से इस गाँव मे सड़क पहुंचाया बंद मार्ग खुले पट्टा वितरण पानी पहुचाया और सबसे बड़ा काम रहा आवास योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हर गरीब का घर पहुंचाने का काम प्रमोद सिंह के सर रहा है, वार्ड 1 जहां प्रशासन की मानसिकता से सीधी टक्कर है गांव को पूरा अवैध बनाकर रखा गया है जहां कुछ भी कर पाना किसी साधारण व्यक्ति के बस का रोग नही है वहा पार्षद रहे प्रमोद सिंह निरंतर इस गांव के अस्तित्व को बनाने में अपना खून पसीना बहाते दौड़ते रहे और सफलता के रूप में अरकंडी वार्ड 1 एक लिए सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री आवास योजना ले आये लोगो को अस्तित्व में आने की आस जगी लेकिन अधिकारियों की दुसित मानसिकता ने इस गांव इस वार्ड का पीछा नही छोड़ा और मौखिक तानाशाही में मिल रहे आवास योजना को रोक दिया जो लगभग 3 वर्षो से रुका रहा लेकिन वास्तव में आज प्रमोद सिंह जो अब वार्ड नं 1 पार्षद नही है पूर्व पार्षद है लेकिन वे इस गांव के अस्तित्व के लिए आज भी जद्दोजहद कर रहे है और चुनाव के समय से ही उन्होंने वार्ड की जटिल समस्या आवास योजना को मुद्दा बनाया आवास योजना जिसको पुनः सुरु करने के लिए प्रमोद सिंह ने अदालत का भी दरवाजा खटखटाया और बाद में चुनावी मुद्दे के रूप में रखा और निरंतर इस वादे को पूरा कराने में अपनी ताकत लगा दी आज प्रमोद सिंह के अथक प्रयासों का नतीजा है कि वार्ड 1 में आवास योजना की तीसरी क़िस्त हितग्रहियों के खाते में आई है जिससे अरकंडी निवासी खासा उत्साहित है लेकिन अभी भी एक बड़ी लड़ाई मुबाय खड़ी है वो है इस वार्ड को उसका पूर्ण अस्तित्व मीले ताकि वार्ड में बसी 5 हजार की आवादी जो विकास के पटल से दूर है उनके बच्चों के निवास प्रमाण पत्र जाती आय सभी बाधित है और यह तभी संभव है जब इस वार्ड को उसका पूर्ण अस्तित्व मिले और इस क्षेत्र के निवासियों की बड़ी आस बन चुके प्रमोद सिंह से वार्ड के वासियो की उम्मीद जुड़ी है