मैहर मां शारदा की पवित्र धार्मिक नगरी के साथ पद्म विभूषण बाबा अलाउद्दीन खान संगीत साधना स्थली के रूप में जाना जाता है। 18 के दशक में महाराजा मैहर ब्रजनाथ सिंह जूदेव बाबा को रामपुर से मैहर लेकर आए और राजघराने का कलाकार बनाया। प्राकृतिक आपदा के चलते मैहर में महामारी फैलने के कारण महाराजा बृजनाथ सिंह जूदेव ने बाबा को आदेशित किया इन अनाथ बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए संगीत का ज्ञान दिया जाए। बाबा ने मेहर बैंड की स्थापना की। 1962 में बाबा ने जीवन के जब 100 वर्ष पूर्ण किए तब मध्य प्रदेश कला परिषद ने बाबा को भोपाल में सम्मानित किया। मैहर की जनता लालायित कि क्यों ना हम भी अपने बाबा का सम्मान अपने मैहर में करें। संगीत कलाकार मैहर में ही रहा करते थे, संगीत पूर्व से ही बच रहा था पर वह चारदीवारी के अंदर था। तत्कालीन उद्योग मंत्री एवं विधायक मैहर श्री गोपाल शरण सिंह जी ने मैहर के वरिष्ठ समाजसेवी श्री दीपचंद को बाबा के समारोह को भव्यता पूर्ण संपन्न कराने एवं सम्मान करने की जवाबदारी दी। 1962 शरद पूर्णिमा के दिन बाबा अलाउद्दीन खां संगीत समारोह की स्थापना मैहर में हुई एवं बाबा का सम्मान कर मेहर वासी हर्षित हुए। 1964 में दीपचंद जी के आग्रह पर पृथ्वीराज कपूर जी का आगमन बाबा के सम्मान करने हेतु मैंहर हुआ। 1975 तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी जी ने अलाउद्दीन खान एकेडमी मैहर मे बनाने की बात कही। और1978.79 में एकेडमी भोपाल में बन भी गई। पर मेहर का संगीत समारोह बंद भी हो गया। मैहर विधायक विजय नारायण राय जी के प्रयासों से एक बार पुनः मैहर संगीत समारोह 1980 में प्रारंभ हुआ प्रशासनिक सहयोग से होने वाले उक्त आयोजन का स्तर दिन प्रतिदिन घिरते देख मैहर की जनता ने सांस्कृतिक मंत्री विजयलक्ष्मी साधो जी से कार्यक्रम को भव्य बनाने का आग्रह किया। उन्होंने एक बार पुनः स्थानीय आयोजन समिति गठित की ने कलेक्टर अध्यक्ष पुलिस अधीक्षक उपाध्यक्ष श्री आशीष खान साहब उपाध्यक्ष श्री दीपचंद जैन सचिव श्री केशव प्रसाद चौरसिया सह सचिव डॉ कैलाश जैन कोषाध्यक्ष एवं श्री सुबोध चोपड़ा पंडित राम लखन जी पांडे एवं कोमल चंद जैन को सहयोगी सदस्य नियुक्त किया। 2003 में स्वर्गीय सिंघई दीपचंद जैन के स्वर्गवास के पश्चात कलेक्टर उमाकांत उमराव साहब के साथ मध्य प्रदेश कला परिषद ने, बाबा अलाउद्दीन खान संगीत समारोह स्थापना के उत्कृष्ट कार्य के लिए दीपचंद जी को सम्मानित किया। एवं उनके स्थान पर डॉ कैलाश जैन को सचिव नियुक्त किया एवं उनके पुत्र जयंत जैन को संगीत समारोह स्थानीय आयोजन समिति का सदस्य नियुक्ति किया। एवं 2003 का संगीत समारोह स्वर्गीय श्री दीपचंद जैन जी को समर्पित करते हुए। मध्य प्रदेश कला परिषद द्वारा श्री जैन को बाबा अलाउद्दीन खां संगीत समारोह की स्थापना के उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित कर, स्मारिका में उनकी स्मृतियों का आलेख किया। विगत 2 वर्ष पूर्व तक अलाउद्दीन खां संगीत समारोह भव्यता से स्थानीय आयोजन समिति के सहयोग से संपन्न होता रहा। भोपाल से टेंट का आना साउंड सिस्टम का भोपाल से आना फोटोग्राफर का भोपाल से आना स्थानीय आयोजन समिति के सहयोग के बिना कलाकारों का चयन करना शायद गले नहीं उतरता। आपको बता दें कई वर्षों से लगातार समारोह के पूर्व बाबा के निवास का रंग रोगन साफ सफाई का जिम्मा प्रशासनिक अधिकारियों का होता था। मैहर का आयोजन 17 18 19 मार्च 2023 निश्चित है पर आज दिनांक तक मैहर वासी इस जानकारी से अछूते हैं। ना कार्ड का पता न कहीं होल्डिंग्स दिख रहे। बाबा के बंगले साफ सफाई का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। कार्यक्रम स्थल मुख्य ग्राउंड जो बाबा की मजार से लगा हुआ है, वहां होता था। तीनों दिवस के कार्यक्रम के प्रारंभ में बाबा को मजार में चादर चढ़ाने के पश्चात कार्यक्रम की शुरुआत होती थी। पर इस वर्ष नगर पालिका के पीछे खाली मैदान को समारोह स्थल बनाया गया है जो अनुचित है। मध्य प्रदेश सरकार के साथ स्थानीय प्रशासन से विनम्र आग्रह है। इस विषय को संज्ञान में लेते हुए उचित कार्यवाही करें। जिन बाबा अलाउद्दीन खान साहब के एकेडमी के नाम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा बाबा अलाउद्दीन खां संगीत समारोह। मैहर मां शारदा की पवित्र धार्मिक नगरी के साथ पद्म विभूषण बाबा अलाउद्दीन खान संगीत साधना स्थली के रूप में जाना जाता है। 18 के दशक में महाराजा मैहर ब्रजनाथ सिंह जूदेव बाबा को रामपुर से मैहर लेकर आए और राजघराने का म्यूजिशियन बनाया। प्राकृतिक आपदा के चलते मैहर में महामारी फैलने के कारण महाराजा बृजनाथ सिंह जूदेव ने बाबा को आदेशित किया इन अनाथ बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए संगीत का ज्ञान दिया जाए। बाबा ने मेहर बैंड की स्थापना की। 1962 में बाबा ने जीवन के जब 100 वर्ष पूर्ण किए तब मध्य प्रदेश कला परिषद ने बाबा को भोपाल में सम्मानित किया। मैहर की जनता लालायित कि क्यों ना हम भी अपने बाबा का सम्मान अपने मैहर में करें। संगीत कलाकार मैहर में ही रहा करते थे, संगीत पूर्व से ही बच रहा था पर वह चारदीवारी के अंदर था। तत्कालीन उद्योग मंत्री एवं विधायक मैहर श्री गोपाल शरण सिंह जी ने मैहर के वरिष्ठ समाजसेवी श्री दीपचंद को बाबा के समारोह को भव्यता पूर्ण संपन्न कराने एवं सम्मान करने की जवाबदारी दी। 1962 शरद पूर्णिमा के दिन बाबा अलाउद्दीन खां संगीत समारोह की स्थापना मैहर में हुई एवं बाबा का सम्मान कर मैहर वासी हर्षित हुए। 1964 में दीपचंद जी के आग्रह पर पृथ्वीराज कपूर जी का आगमन बाबा के सम्मान करने हेतु मैंहर हुआ। 1975 तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी जी ने अलाउद्दीन खान एकेडमी मैहर मे बनाने की बात कही। और1978.79 में एकेडमी भोपाल में बन भी गई। पर मेहर का संगीत समारोह बंद भी हो गया। मैहर विधायक विजय नारायण राय जी के प्रयासों से एक बार पुनः मैहर संगीत समारोह 1980 में प्रारंभ हुआ प्रशासनिक सहयोग से होने वाले उक्त आयोजन का स्तर दिन प्रतिदिन घिरते देख मैहर की जनता ने सांस्कृतिक मंत्री विजयलक्ष्मी साधो जी से कार्यक्रम को भव्य बनाने का आग्रह किया। उन्होंने एक बार पुनः स्थानीय आयोजन समिति गठित की ने कलेक्टर अध्यक्ष पुलिस अधीक्षक उपाध्यक्ष श्री आशीष खान साहब उपाध्यक्ष श्री दीपचंद जैन सचिव श्री केशव प्रसाद चौरसिया सह सचिव डॉ कैलाश जैन कोषाध्यक्ष एवं श्री सुबोध चोपड़ा पंडित राम लखन जी पांडे एवं कोमल चंद जैन को सहयोगी सदस्य नियुक्त किया। 2003 में स्वर्गीय सिंघई दीपचंद जैन के स्वर्गवास के पश्चात कलेक्टर उमाकांत उमराव साहब के साथ मध्य प्रदेश कला परिषद ने, बाबा अलाउद्दीन खान संगीत समारोह स्थापना के उत्कृष्ट कार्य के लिए दीपचंद जी को सम्मानित किया। एवं उनके स्थान पर डॉ कैलाश जैन को सचिव नियुक्त किया एवं उनके पुत्र जयंत जैन को संगीत समारोह स्थानीय आयोजन समिति का सदस्य नियुक्ति किया। एवं 2003 का संगीत समारोह स्वर्गीय श्री दीपचंद जैन जी को समर्पित करते हुए। मध्य प्रदेश कला परिषद द्वारा श्री जैन को बाबा अलाउद्दीन खां संगीत समारोह की स्थापना के उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित कर, स्मारिका में उनकी स्मृतियों का आलेख किया। विगत 2 वर्ष पूर्व तक अलाउद्दीन खां संगीत समारोह भव्यता से स्थानीय आयोजन समिति के सहयोग से संपन्न होता रहा। भोपाल से टेंट का आना साउंड सिस्टम का भोपाल से आना फोटोग्राफर का भोपाल से आना स्थानीय आयोजन समिति के सहयोग के बिना कलाकारों का चयन करना शायद गले नहीं उतरता। आपको बता दें कई वर्षों से लगातार समारोह के पूर्व बाबा के निवास का रंग रोगन साफ सफाई का जिम्मा प्रशासनिक अधिकारियों का होता था। मैहर का आयोजन 17 18 19 मार्च 2023 निश्चित है पर आज दिनांक तक मैहर वासी इस जानकारी से अछूते हैं। ना कार्ड का पता न कहीं होल्डिंग्स दिख रहे। बाबा के बंगले साफ सफाई का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। कार्यक्रम स्थल मुख्य ग्राउंड जो बाबा की मजार से लगा हुआ है, वहां होता था। तीनों दिवस के कार्यक्रम के प्रारंभ में बाबा को मजार में चादर चढ़ाने के पश्चात कार्यक्रम की शुरुआत होती थी। पर इस वर्ष नगर पालिका के पीछे खाली मैदान को समारोह स्थल बनाया गया है जो अनुचित है। मध्य प्रदेश सरकार के साथ स्थानीय प्रशासन से विनम्र आग्रह है। इस विषय को संज्ञान में लेते हुए उचित कार्यवाही करें। जिन बाबा अलाउद्दीन खान साहब के एकेडमी के नाम पर करोड़ों रुपया की फंडिंग होती है। वहीं के यह हाल प्रशासन से विनम्र आग्रह है कि भ्रष्टाचारियों को संज्ञान में लेते हुए कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करें। यही बाबा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। विनम्र आग्रह है कि भ्रष्टाचारियों को संज्ञान में लेते हुए कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करें। यही बाबा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।