आप भी बना सकते है अपनी फसल के लिए षटरस: बाबूलाल दाहिया
मित्रो हमारे आयुर्वेद ग्रन्थों में मनुष्य के भोजन में षटरस का उल्लेख है। वे रस शायद
01. मीठा, 02. खट्टा, 03. कड़वा, 04. कशैला, 05. अम्ल, 06. छार हैं। पर जिस प्रकार हमें इतने तत्वों की जरूरत होती है उसी प्रकार पेड़ पौधे वनस्पतियों को भी। क्यों कि हमारी तरह ही छोटे- छोटे परमाणुओं से शारीरिक संरचना इन पेड़ पौधे वनस्पतियों की भी है।
हमारे देश के एक महान बैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बशु हुए हैं जिनने यह सिद्ध कर के ही दिखाया था कि, पेड़ पौधों में भी जान है और जिस तरह हमें जहर खाने से तकलीफ होती है उसी प्रकार पेड़ पौधों को भी? पर कितनी बड़ी बिडम्बना है कि हम तो अपने खाने के लिए भोजन में तरह – तरह के रस शामिल करते हैं किन्तु पौधों में यूरिया जैसा रसायन और तरह- तरह के कीटनाशी जहर डाल उससे उनका सुख चैन ही छीन लेते हैं।
शुरू -शुरू में जब 60-70 के दशक में रसायनिक खादों वाली खेती प्रचलित हुई तो कुछ समय तक मैं भी पहले अमोनियम सल्फेट, सुपरफास्ट और फिर यूरिया एवं डी.ए.पी . का उपयोग करता था। यहां तक कि एक बार बुबाई के समय डी.ए.पी.यूरिया मिश्रित गेहूं खेत में रखा था और हमारा हलवाहा अपनी बकरी लेता आया था जो वहीं पत्ती चर रही थी।
कुछ देर में बकरी आई और अपनी आदत के अनुसार खाद मिश्रित उस गेहूं को दो चार कौर खा गई। पर कुछ समय में ही उसके मुँह से लार गिरने लगी तथा वह जमीन में लोटती हुई मर गई। बाद में जब उसने उस के पेट को चीर कर देखा तो आँत में गलन आ गई थी।अब आप कल्पना कीजिये कि बुबाई के बाद जमे उस नाजुक पौधे के ऊपर क्या बीतती होगी जिसके खाने में षटरस होना चाहिए उसे हम दे रहे है सिर्फ छार और वह भी असंतुलित।
वैसे जिस खटरस की मैं बात कर रहा हूं उसके बनाने की तकनीक बड़ी ही सरल है। बस दो चीजों से ही वह बन जाता है।
01. गीला आंवला का फल 1 किलो, 02. मट्ठा 6 लीटर
आमले के फल को कूट कर एक मिट्टी के बर्तन या ड्रम में डाल दीजिए। फिर उसी में 6 लीटर मट्ठा डाल ढक कर 5 –6 दिन रखे रहने दीजिए , लीजिये आप का षटरस तैयार ।
बस जैसे ही पौधा 25 से 30 दिन का हो 15 लीटर पानी में 250 मिली लीटर मिला कर छिड़क दीजिये तथा इसी तरह दोबारा तिवारा 60 और नब्बे दिन में। फिर देखिए अनाज का परिपुष्ट पौधा और उसकी उपज।
आमला और मट्ठा शायद इसलिए मिलाया जाता है कि दुनिया में आमला और छाछ (मठ्ठा) ही ऐसे हैं जिनमें 5–5 रस दोनों में हैं । पर एक रस जो आमला में नही है वह मट्ठे में है और जो मट्ठे में नही है वह आमले में है। इसलिए जब दोनों को मिला दिया जाता है तो 6 रस पूरे हो जाते हैं।
लेखक: पद्मश्री बाबूलाल दाहिया