Home देश गायों की तस्करी , त्योंथर की आत्मा पर खतरा

गायों की तस्करी , त्योंथर की आत्मा पर खतरा

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Cow smuggling: threat to Tyonthar's soul

त्योंथर वो जगह जिसकी खुशबू में गायों की मौजूदगी छुपी है। गायें सिर्फ पशु नहीं, वो हमारी रीढ़, हमारी रोजी-रोटी और दूध-घी जैसी जरूरतों का सहारा हैं। लेकिन आज अपने ‘त्योंथर’ की आत्मा खतरे में है। गायों की तस्करी का काला कारोबार ‘त्योंथर’ की सांसें कमजोर कर रहा है। लावारिस पशु, जंगलों का आड़, सस्ते में मिलने वाली गायें तस्करों के लिए सोने का सौदा। विदेशों में गाय के मांस की कीमत आसमान को छूती है, और वहां तक पहुंचाने के लिए त्योंथर से होती है तस्करी की शुरुआत। नतीजा गांव की संस्कृति पर हमला। दूध-घी महंगे, किसान परेशान, जमीन बंजर… ये सिर्फ शुरुआत है। गायों की कमी, हमारी पहचान की कमी है।

हमारी संस्कृति में गाय का स्थान केवल एक पशु से कहीं ऊपर है? वे धर्म, कृषि, और हमारे जीवन का अभिन्न अंग रही हैं। आज त्योंथर में गायों की अवैध तस्करी एक गंभीर मुद्दा है। हमें मिलकर उनकी रक्षा करनी है!

गायों का महत्व

वेदों में “गाव विश्वस्य मातृका” – गाय पूरी दुनिया की माता है। महाभारत में “धर्मो रक्षति रक्षित: तस्माद् धर्मं परायणः । भव सर्वभूतेषु कृपालु सर्वेशां स्वस्थ कामय ॥” – धर्म की रक्षा ही धर्म है, इसलिए सदैव धर्म में रत रहो। सभी प्राणियों पर दया करो और उनके कल्याण की इच्छा करो।

स्लोक:

दधि ददाति पय: स्वर्गम्, घृतं शक्तिं च मेधयाम।

गोवृन्दे तदवस्थिते सर्वं सिध्यति मानवे ॥

अर्थ: गाय हमें दही, दूध, घी देती है जो हमें स्वर्ग, शक्ति और बुद्धि प्रदान करती है। गाय के पास रहने वाले मनुष्य को हर चीज सुलभ हो जाती है।

क्यों हो रही है गायों की तस्करी?

त्योंथर के बेसहारा पशुओं की अनदेखी और जंगलों की आड़ में छिपना आसान होने के कारण तस्करों के लिए यह काला धंधा सोने की खान बन गया है। गाय और बैल के मांस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में चिकन-मटन से कहीं ज्यादा है। यही वजह है कि त्योंथर से गायों को UP, बिहार, फिर पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक तस्करी की जाल बिछाई जाती है। दूध, दही, घी जैसी जरूरतें ये देश महंगे दामों में विदेशों से मंगाते हैं, ये उनका पाखंड है।

त्योंथर के लोगों को जानना होगा कि विदेशों में गाय और बैल के मांस की कीमत चिकेन, मटन से कई -कई गुणा ज्यादा होती है। हमारे यहाँ के गाय-बैल, बछड़े, प्यारी बछिया सब UP से बिहार, बिहार से पश्चिम बंगाल और फिर बांग्लादेश जहाँ से इन गौवन्शों के मांस को ऐसे देशों में भेजा जाता है, जहाँ गायों के मांस के लिए लोग आपस में मार-काट तक कर लेते हैं. आपको यकीन नहीं होगा, कई ऐसे देश हैं जहाँ गायों की देखभाल कर रहे लोग रायफल से तकवारी करते हैं। और गायों को बचानें के लिए मरते-कटते रहते हैं। हलाकि इस लिए नहीं की उन्हें गायों से या उनके दूध से प्यार है, बल्कि सिर्फ इसलिए क्योंकि गाय का मांस बहुत कीमती है और वो सिर्फ गायों को मारकर बेंचने के लिए गायों पालते हैं और उनकी इतनी देखभाल करते हैं।

इस अनैतिक कारोबार के घाव बहुत गहरे हैं

सांस्कृतिक क्षति: गाय हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। गायों की कमी से त्योंथर की सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुचेगा।

आर्थिक नुकसान: खेती-बाड़ी और डेयरी व्यवसाय के लिए गायें जरूरी हैं। उनकी कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, दूध-घी के दाम बढ़ जाते हैं।

पर्यावरणीय असंतुलन: गोबर खाद के अभाव में मिट्टी की उर्वरता कम होती है।

जीवन मूल्यों का ह्रास: गायों की तस्करी काले दिलों का ख़ूनी खेल है। इससे नैतिक ह्रास होता है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।

1. त्योंथर को बेसहारा पशुओं से मुक्ति दिलाएं:

हमारे जंगलों को गौवंशों का अभ्यारण बनाएं।

सड़क पर घूमते पशुओं को तुरंत जंगल पहुंचाएं।

मौजूदा गौशालाओं का सही से संचालन हो या फिर उन्हें बंद कर दिया जाए।

2. गाय-बैल की तस्करी रोके, गौवंशों का संरक्षण करें:

त्योंथर के जंगलों की निगरानी करें।

लोगों को गाय-बैल की तस्करी के खतरों और गौ-संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करें।

गाय-बैल की तस्करी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करें।

त्योंथर के विकास के लिए गायों का संरक्षण जरूरी है।

आइए, मिलकर त्योंथर को गौरवशाली बनाएं!

आइए, गायों के लिए अपना समर्थन दिखाएं

•    आवाज उठाओ: गांव-गांव जागो, लोगों को बताओ गायों के महत्व। स्कूलों में बच्चों को सिखाओ संस्कृति की जड़ें।

•    कानून का डर दिखाओ: सरकार से सख्त कानून की मांग करो। चोरों को पकड़ो, उन्हें सजा दिलाओ।

•    गोशालाओं को संवारो: पुरानी गोशालाओं को नया जीवन दो, बेसहारा पशुओं को वहां ले जाओ। सड़कों से गायों को जंगलों तक पहुंचाओ।

•    जंगलों की रखवाली करो: सीमा पर नजर रखो, आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करो। हर गाय की रक्षा, हर तस्कर को नाकाम।

•    ईमानदारी से जुड़ो: दिखावे का त्याग करो, गायों की सेवा में लगो। दान दो, समय दो, मेहनत दो।

युवाओं की ऊर्जा, महिलाओं की जागरूकता, पंचायतों की जिम्मेदारी और किसानों का एकजुट होना। यही तो ताकत है! मीडिया भी आवाज बने, तस्करी को उजागर करे, लोगों को जगाए। दूर रहने वाले भाई-बहन भी हाथ बढ़ा सकते हैं। गायों से बने उत्पाद खरीदो, गांव की मदद करो, बच्चों को संस्कृति बताओ। सोशल मीडिया पर आवाज उठाओ, जगाओ उम्मीद।

यह सिर्फ गायों की लड़ाई नहीं, हमारी लड़ाई है। हमारी संस्कृति, हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे पर्यावरण और हमारे नैतिक मूल्यों की लड़ाई। आओ, मिलकर त्योंथर को गायों का स्वर्ग बनाएं। एक ऐसा आदर्श जिससे पूरा देश सीखे! हर आवाज मायने रखती है, हर कदम बदलाव लाता है। साथ मिलकर त्योंथर को गायों की तस्करी से मुक्त कराएं!

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