जबलपुर जिले में करोड़ों रुपए की धान खरीदी का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि 40 फीसदी धान के पंजीयन फर्जी हैं। उपार्जन के दौरान धान बेचने वाले 54 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था।
40 फीसदी में लगभग 60 फीसदी पंजीयन में तो आवेदन ही नहीं मिले हैं। यह जानकारी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से भोपाल से जबलपुर आई गोपनीय समिति की रिपोर्ट में सामने आई है। इस मामले में अब जल्द ही राज्य सरकार बड़ी कार्रवाई कर सकती है। जांच के दौरान कई बड़े अधिकारी और वेयर हाउस संचालक के नाम भी सामने आए हैं। जांच के दौरान टीम को और भी कई अहम जानकारी मिली है। पंजीयन करने वाले कई ऑपरेटर और उसके साथ काम करने वाले अन्य कर्मचारियों ने फर्जी पंजीयन करने का काम किया। ऑपरेटर में भी कई ऐसे हैं, जिनके वेयर हाउस चल रहे हैं और उन्होंने उसमें माल भरने के लिए फर्जी पंजीयन कराए।
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धान उपार्जन के दौरान एक गड़बड़ी यह भी मिली है कि सिकमीनामा में घोटाला हुआ है। खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर भोपाल से जांच टीम ने गोपनीय तौर पर कई अहम जानकारियां जुटाई हैं। टीम ने जिले के प्रशासनिक अधिकारी, फूड विभाग, विपणन विभाग को इस जांच की भनक तक नहीं लगने दी और गोपनीय तरीके से किसान और आम आदमी बनकर वेयर हाउस का निरीक्षण किया। अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में न सिर्फ किसानों के पंजीयन में फर्जीवाड़ा हुआ बल्कि सिकमीनामा में भी फर्जीवाड़ा किया। प्रदेश में जहां महज 4 से 5 प्रतिशत सिकमीनामा हुआ तो वहीं जबलपुर में यह संख्या 25 प्रतिशत से अधिक हो गई। इसमें कई ने फर्जी तरीके से जमीन अपने नाम कर ली।
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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की गोपनीय टीम की जांच में यह भी सामने आया है कि किसानों का फर्जी पंजीयन कराने से लेकर फर्जी सिकमीनामा बनाने का गिरोह काम कर रहा है। इसमें पंजीयन के दौरान फर्जी किसान, जमीन और धान का डाटा भी बेचा जा रहा है, ताकि फर्जी पंजीयन कराकर दूसरी धान को इससे जोड़कर बेचा जा सके। इसमें कुछ वेयर हाउस संचालकों से लेकर आपरेटर, सर्वेयर और यहां पर काम करने वाली समिति और स्व सहायता समूह के लोग हैं। इस गिरोह से जुड़े कई दस्तावेज भी मिले हैं। जल्द ही इनके खिलाफ एफआइआर हो सकती है। स्व सहायता बनाए गए, उनमें से अधिकांश में महिलाओं का नाम सिर्फ डमी के तौर पर किया गया, उसका संचालन वेयरहाउस मालिक कर रहे हैं।
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राज्य सरकार ने जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन को हटाते हुए दीपक कुमार सक्सेना को कलेक्टर बनाया है। दीपक कुमार सक्सेना संचालक खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण ,प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश राज्य भंडार के तौर पर काम कर चुके है, ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें जबलपुर में हुए धान फर्जीवाड़े की अच्छे से जानकारी है। शुक्रवार को जबलपुर कलेक्टर का पदभार ग्रहण करते हुए धान फर्जीवाड़े को लेकर उन्होंने अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी है। उन्होंने कहा कि उपार्जन तो अभी अच्छा चल रहा है, लेकिन जो शिकायत आ रही है उसमें कुछ में ही समस्या आई है। जांच में ये भी सामने आया है कि कुछ गोदामों में धान इकट्ठा हो गया है। जहां से कि किसानों का धान खरीदना है। ऐसे में अब कोशिश की जाएगी कि वास्तविक किसानों की पहचान हो जाए, किसानों की धान की जांच हो जाए और जो सही किसान है, उनकी धान की खरीदी हो जाए।
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शासन करेगा अब कुछ इस तरह से काम
- ब्लैक लिस्ट वेयरहाउस से धान काे संचालक की पंजीकृत वेयरहाउस पहुंचाया जाएगा।
- जिन किसानों ने वेयरहाउस में धान रखी है उसकी जांच के लिए टीम मौके पर जाएगी।
- कम्प्यूटर के आईपी एड्रेस से फर्जी पंजीयन कराने वालों की पहचान होगी।
- ब्लैक लिस्ट हुए वेयरहाउस संचालकों ने किस तरह किसानों से संपर्क किया जांच होगी।
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