मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट फाइनल होते ही तय हो गया है कि इंदौर में पहली बार पूरा होल्ड कैलाश विजयवर्गीय का रहेगा। उनके कद का कोई नेता अब यहां राजनीति की मुख्य धारा में नहीं है। 15 साल बाद भाजपा ने मुख्य शहर के किसी विधायक को प्रदेश में बतौर कैबिनेट मंत्री जगह दी है। इससे पहले, 2010 में महेंद्र हार्डिया को राज्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा था।
कैलाश विजयवर्गीय के लिए यह रोल नया नहीं है। 2003 से वे कैबिनेट मंत्री ही थे, 2015 में संगठन में शिफ्ट होने पर उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद शहरी इलाके के फैसलों पर उनका हस्तक्षेप घटा था लेकिन इंदौर के फैसलों में सबसे ज्यादा या कहें सिर्फ उन्हीं की चलेगी।
बता दें 2003 से 2015 तक विजयवर्गीय मंत्री रह चुके हैं। 2008 में भी वे मंत्री जरूर बनाए गए लेकिन ग्रामीण सीट महू से विधायक थे। 2018 में पार्टी ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ाया।
इस बार विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने इंदौर-1 से उम्मीदवार घोषित किया था। उन्होंने कांग्रेस के सीटिंग विधायक संजय शुक्ला को 58 हजार से चुनाव हराया। चुनाव के दो बार उनके दो बयान काफी चर्चा में रहे।
कैबिनेट विस्तार पर मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि PM मोदी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश तेजी से विकास करेगा, इस टीम में टेस्ट मैच के खिलाड़ी और टी20 खिलाड़ी भी हैं और इसलिए यह एक बहुत ही संतुलित टीम है।”
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उनके बयानों के मायने अब हुए मौजू
1. भाजपा की सरकार फिर से बन रही है। मैं सिर्फ विधायक बनने नहीं आया हूं। मुझे और भी कुछ बड़ी जवाबदारी मिलेगी। पार्टी की तरफ से और जब बड़ी जवाबदारी मिलेगी तो बड़ा काम भी करूंगा।
2. अब तक मध्य प्रदेश में ऐसा कोई अफसर पैदा नहीं हुआ जो मैं कहूं और काम ना करे।
गृह मंत्री के सबसे बड़े दावेदार
सीनियरिटी के लिहाज से देखा जाए तो कैलाश विजयवर्गीय का नंबर दो का पद यानी गृह मंत्री बनाया जा सकता है। वे पहले नगरीय प्रशासन और पीडबल्यूडी मिनिस्टर रह चुके हैं। चूंकि नरोत्तम मिश्रा चुनाव हार गए हैं, ऐसे में विजयवर्गीय का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। 2028 के सिंहस्थ को देखते हुए भी उन्हें जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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2003 से 2008 के बीच शहर से दो कैबिनेट मंत्री भी रहे
वहीं दूसरी तरफ 2003 से साल 2008 तक इंदौर शहर से दो कैबिनेट मंत्री भी रहे। जिसमें कैलाश विजयवर्गीय और लक्ष्मण सिंह गौड़ शामिल हैं। साल 2008 में गौड़ की असमय मौत हो गई थी। उसके बाद उनकी पत्नी मालिनी गौड़ ने इंदौर-4 से चुनाव लड़ा और तब से वे लगातार विधायक हैं।
2008 में शहर को कैबिनेट की जगह राज्यमंत्री पद मिला, हार्डिया रहे
15 साल में मुख्य शहर से कोई कैबिनेट मिनिस्टर नहीं रहा है। इंदौर मुख्य शहर से पांच नंबर सीट के विधायक महेंद्र हार्डिया को तब राज्यमंत्री बनाया गया। उनके पास 2010 में लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, आयुष, तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण था। विजयवर्गीय भी मंत्री रहे लेकिन महू से विधायक होने के कारण उनका इंदौर शहर में दखल घटा था। 2013 में एकमात्र विजयवर्गीय मंत्री बने लेकिन तब भी वे ग्रामीण सीट महू से जीते थे। 2020 में जब बीजेपी की सरकार तख्तापलट के बाद बनी तो भी महू और सांवेर सीट के विधायकों सिलावट और उषा ठाकुर केा मंत्री बनाया। इंदौर शहर को खाली रखा।
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