Home मध्यप्रदेश रीवा का इतिहास उत्पादन और प्रशासनिक संगठन जाने इस रिपोर्ट में

रीवा का इतिहास उत्पादन और प्रशासनिक संगठन जाने इस रिपोर्ट में

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संभाग में कुल 35 तहसीलें, 101 आर आई सर्किल, 2030 पटवारी हल्के एवं कुल ग्राम 6854 है| रीवा जिले में 11 तहसील 33, आरआई सर्किल, 463 पटवारी हल्के एवं कुल ग्राम 2805 है | सतना जिले में 11 तहसील, 30 आरआई सर्किल, 830 पटवारी हल्के एवं कुल ग्राम 2125 है| सीधी जिला में 07 तहसील, 23 आरआई सर्किल, 411 पटवारी हल्के एवं कुल ग्राम 1092 हैं| सिंगरौली जिला में 06 तहसील, 15 आरआई सर्किल, 334 पटवारी हल्के एवं कुल ग्राम 832 हैं |

संभाग में कुल 25 जनपद पंचायतें 2235 ग्राम पंचायतें हैं | रीवा जिले में 09 जनपद पंचायत एवं 321 ग्राम पंचायत हैं| सतना जिले में 08 जनपद पंचायत एवं 692 ग्राम पंचायत हैं |सीधी जिले में 05 जनपद पंचायत एवं 400 ग्राम पंचायत हैं | सिंगरौली जिले में 03 जनपद पंचायत एवं 316 ग्राम पंचायत हैं|

संभाग में कुल 03 नगर निगम है दो नगर पालिका एवं 24 नगर परिषद है | रीवा जिले में 01 नगर निगम एवं 11 नगर परिषद हैं | सतना जिले में 01 नगर निगम एक नगर पालिका एवं 10 नगर परिषद है | सीधी जिले में 01 नगर पालिका एवं 03 नगर परिषद हैं| सिंगरौली जिले में 01 नगर निगम हैं|

रीवा का इतिहास

रीवा बघेल नरेश की राजधानी रही हैं| सन 1618 में रीवा नरेश विक्रमादित्य सिंह ने बांधवगढ़ को राजधानी का दर्जा ख़त्म कर के रीवा नगर को राजधानी बनाया| तथा इसे विस्तृत और स्थापित किया | तब से 1947 ई. तक रीवा बघेल नरेशो की राजधानी रही|

यहा की कला और संस्कृति काफी समृद्ध थी, प्राचीन काल में इस भू-भाग में कर्चुली नरेशो का लगभग 12वी शताब्दी तक आधिपत्य रहा | कर्चुली नरेशो ने सुंदर मंदिरों और मठो का निर्माण कराया, बाद में बघेल नरेशो के शासनकाल में भी कई खूबसूरत भवन, मंदिर आदि के निर्माण कार्य कराए गये | यहाँ के रहन सहन की झलकियाँ कई प्राचीन मूर्तियों में देखने को मिलती हैं|

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तत्कालीन रीवा राज्य की सीमाये यमुना के किनारों से लेकर अमरकंटक तक रही हैं |यहाँ के जंगल विशाल एवम् घने थे| इन जंगलो में वर्तमान समय में कई प्रकार के जंगली जानवर पाए जाते हैं | देश की आजादी के बाद 1948 में आसपास की कई रियासतों को मिलाकर विन्ध्यप्रदेश का गठन किया गया, जिसकी राजधानी रीवा बनायी गयी |रीवा नरेश महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव को राज प्रमुख बनाया गया|

सन 1956 में मध्यप्रदेश राज्य का गठन हुआ जिसमे विंध्यप्रदेश का विलय कर दिया गया| रीवा संभाग के अंतर्गत चार जिले रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली आते हैं, इस संभाग का संभागीय मुख्यालय रीवा हैं|

यहाँ सदियों से हिन्दू-मुस्लिम रहते चले आ रहे हैं, सभी एक दुसरे के प्रति गहरा सद्भाव रखते हैं | यहाँ के प्रमुख त्योहारो में दीवाली, दशहरा, होली, शिवरात्रि, रामनवमी, बसंत पंचमी, ईद, बकरीद आदि हैं, सभी एक दुसरे के त्योहार में शामिल होते है|

उत्पादन

मध्यप्रदेश का रीवा शहर अपने सुपारी आर्ट के लिए जाना जाता है. यहां सुपारी से कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं | सुपारी सदियों से पूजा सामग्री और खाने के काम आती रही है। लेकिन सुपारी के खिलौने की बात सुनकर आश्चर्य-सा होता है। मध्य प्रदेश के रीवाँ शहर में कुंदेर परिवार के कुछ लोग सुपारियों के तरह तरह के खिलौने की कला में दक्षता हासिल किए हुए हैं। सुपारियों से बने सुंदर और मनमोहक खिलौने देखकर देशी विदेशी पर्यटक सभी आश्चर्य चकित हो जाते हैं। छोटी सी सुपारी को छील छील कर अगर एक टेबललैंप या ताजमहल बनाकर खड़ाकर दिया जाए तो वाकई दाँतों तले उँगली दबाने की बात ही होगी। सुपारी की यह हस्तकला कुंदेर परिवार में पुश्त दर पुश्त विकसित की गई है जो इनके कठिन श्रम और निरंतर अनुसंधान का फल है। पहले इन परिवारों में लकड़ी के खिलौने बनाने का काम होता था। बाद में सुपारी पर प्रयोग करते करते ये लोग सुपारी के खिलौने तैयार करने लगे।

सिंगरौली में बिजली निर्माण की कई इकाईया है सिंगरौली में काम करने वाली सभी प्रमुख कंपनियां भारतीय ऊर्जा उद्योग से संबंधित हैं। कंपनियों के संचालन में बिजली उत्पादन के लिए कोयले का खनन शामिल है। हाल के दिनों में, सिंगरौली में काम करने वाली कंपनियों की लीग में कई निजी कंपनियां भी शामिल हुई हैं।

सिंगरौली में काम करने वाली प्रमुख कंपनियां हैं: एनटीपीसी लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, रिलायंस पावर लिमिटेड, एस्सार पावर लिमिटेड, हिंडाल्को पवेर प्लांट

अरहर तुअर की दाल सीधी में प्रमुख फसल है घर घर ए उपयोग होने वाली अरहर की दाल की बेहतरीन क्वालिटी के लिए सीधी को जाना जाता है, यह की लाल मिटटी में अरहर की बढ़िया किस्म की अरहर का उत्पादन होता है जो प्रदेश सहित देशभर के रसोई का जयका बदती है इसके साथ ही साथ महुए और कटहल उत्पादन में भी सीधी का महत्वपूर्ण सस्थान है यहा पर महुए के जंगल होने से ग्रामीणों के व्यवसाय का प्रमुख साधन भी है. वही कटहल के मामले में भी सीधी 50 किलो तक की कटहल उत्पादन के लिए जाना जाता है

प्याज की बम्पर पैदावार होती है सतना में सीमेंट उत्पादन में टॉप मे. सतना हर साल 10000 क्विंटल के लगभग प्याज का उत्पादन होता है जो देशभर की मंडियों में बेचीं जाती है यह सतना की प्रमुख फसल है इसके साथ ही पुरे रीवा संभाग में प्याज प्रमुख फसल के रूप में लगायी जाती है सतना अपने सीमेंट उत्पादन के कारण देश भर में जाना जाता है तथा मध्यप्रदेश में सबे अधिक सीमेंट का उत्पादन करता है

साभार : rewa pro संग्रहण एवं लेखन अनुपम अनूप

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