इंदौर के दिग्गज नेता और बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय मोहन सरकार के मंत्री मंडल में शामिल होने के बाद अब राष्ट्रीय महामंत्री के पद से इस्तीफा दे सकते है। दैनिक भास्कर से बात करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मैं राष्ट्रीय महामंत्री के पद से इस्तीफा दूंगा। मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष के फैसले का इंतजार कर रहा हूं। इस्तीफा मैंने लिखकर तैयार कर लिया है। बता दें कि कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को दोपहर 3.30 बजे कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है।
कैलाश विजयवर्गीय पहली बार जुलाई 2015 में बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए थे। तब विजयवर्गीय शिवराज सरकार में नगरिय प्रशासन एंव विकास, आवास और पर्यावरण मंत्री थे। लेकिन विजयवर्गीय ने 2015 में संगठन में शिफ्ट होने व केंद्र की राजनीति में सक्रीय होने पर 05 जुलाई 2015 को शिवराज मंत्रिमंडल से एक व्याक्ति एक पद के नियम का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के दो दिन बाद राज्यपाल ने 07 जुलाई 2015 को विजयवर्गीय का इस्तीफा स्वीकार किया था। वहीं 2023 में मोहन सरकार में विजयवर्गीय की क्या भूमिका होगी इसको लेकर राजनीति विशेषज्ञों का कहना है कि सीनियरिटी के लिहाज से देखा जाए तो कैलाश विजयवर्गीय को गृह मंत्री बनाया जा सकता है। वह पहले नगरीय प्रशासन और पीडबल्यूडी मिनिस्टर रह चुके हैं। चूंकि नरोत्तम मिश्रा चुनाव हार गए हैं, ऐसे में विजयवर्गीय का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है।
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2015 में पहली बार बनाए गए राष्ट्रीय महामंत्री कुल 4 बार बने महामंत्री
कैलाश विजयवर्गीय को भाजपा के केंद्रीय पदाधिकारियों के बीच पहली बार 2015 में जगह दी गई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पहली पसंद होने के चलते उस साल उन्हें राष्ट्रीय महांमत्री बनाने के साथ ही बंगाल का प्रभारी भी बनाया गया। इसके बाद से वे लगातार चौथी बार पार्टी के राष्ट्रीय महांमत्री नियुक्त किए गए हैं। 2015 में उन्हें केंद्रीय टीम में शामिल करने के पीछे सबसे बड़ी वजह 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिली भारी जीत थी। विजयवर्गीय को हरियाणा विधानसभा चुनावों का चुनाव अभियान प्रभारी बनाया गया था और पार्टी की इस जीत ने विजयवर्गीय के लिए केंद्रीय टीम के दरवाजे खोलने में अहम भूमिका निभाई।
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कैलाश विजयवर्गीय 1990 से 2013 तक लगातार 6 बार विधायक चुने गए। 2023 में वह 7 वी बार विधायक बने है। विजयवर्गीय 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल होने के बाद विजयवर्गीय लगातार 12 साल तक मप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। सरकार चाहे उमा भारती की हो या बाबूलाल गौर की या फिर शिवराज सिंह चौहान की विजयवर्गीय हर सरकार में मंत्री बनाए गए। 2003 में उमा भारती सरकार में उन्हें जन-कार्य, संसदीय मामले, शहरी प्रशासन एवं विकास विभाग (केवल सिंहस्थ -कुम्भ संबंधी कार्य) का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 2004 में उन्हें धार्मिक न्यास, धर्मादा और पुनर्वास विभाग भी दिया गया। अगस्त 2004 में बाबूलाल गौर सरकार में जन-कार्य मंत्री की शपथ दिलाई गई। दिसम्बर 2005 में शिवराज सिंह चौहान सरकार में जन-कार्य, सूचना तकनीकी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में सम्मिलित किया गया। 2008 में शिवराज सरकार के दूसरे कार्यकाल में विजयवर्गीय को आईटी और उद्योग विभाग और 2013 में शिवराज सरकार के तीसरे कार्यकाल में शहरी विकास विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
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मालवा-निमाड़ की सत्ता का केंद्र बिंदु रहेंगे विजयवर्गीय
मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से बीजेपी ने 47 सीट जीती हैं। चुनाव के दौरान विजयवर्गीय ने जहां रूठे नेताओं को मनाया वहीं जो बागी होकर चुनाव लड़ने की तैयारी में थे उन्हें भी पार्टी में बनाए रखा। मालवा-निमाड़ में दौरे किए और पार्टी को यहां पिछले चुनाव से ज्यादा सीटें जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पार्टी ने सीएम डॉ.मोहन यादव (उज्जैन) और डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा (मल्हारगढ़) मालवा-निमाड़ से बनाया है। कैबिनेट मंत्री के तौर पर सत्ता की हिस्सेदारी में वापसी के साथ ही विजयवर्गीय न केवल इंदौर बल्कि मालवा-निमाड़ में भी सत्ता का केंद्र बिंदु रहेंगे। इंदौर में ताई गुट डाउन हो चुका है। ताई खुद अब सक्रिय राजनीति में नहीं है। सांवेर से विधायक तुलसीराम सिलावट सिंधिया खेमे से आते हैं। ऐसे में विजयवर्गीय के कद का अन्य कोई नेता इंदौर में नजर नहीं आता।
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