साल 1975। बिजनौर के डिग्री कॉलेज में एक प्रोफेसर बच्चों को केमिस्ट्री पढ़ा रहे थे। तभी अचानक कॉलेज के कॉरिडोर में शोर होने लगा। प्रोफेसर ने देखा तो गेट पर कुछ पुलिसकर्मी खड़े थे। पुलिसवाले कॉलेज के प्रिंसिपल के पास चले गए। थोड़ी देर बाद कॉलेज का चपरासी प्रोफेसर की क्लास में आया और बोला कि आपको प्रिंसिपल बुला रहे हैं।
18 नवंबर 1946। बिजनौर जिले के नगीना कस्बे का सरायमीर मोहल्ला। यहां रामेश्वर प्रसाद बंसल और सावित्री देवी के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। नाम रखा चंपत राय। चंपत बचपन से ही शांत स्वभाव के थे। उन्हें पढ़ने-लिखने का भी बहुत शौक था। परिवार भी चाहता था कि वो पढ़ लिखकर उनका नाम रोशन करें। चंपत के पिता रामेश्वर जीवन के शुरुआती दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य थे। उनको अपने पिता की जीवनशैली बहुत प्रभावित करती थी। वे बड़े होकर उनकी तरह ही बनना चाहते थे। बड़े होकर उन्होंने तय किया कि वे भी संघ के सदस्य बनेंगे। चंपत ने RSS जॉइन कर लिया। संघ के लिए काम करने के साथ-साथ वे अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देते थे। चंपत साइंस के स्टूडेंट थे। पढ़ाई करने के बाद वे धामपुर के RSM डिग्री कॉलेज में केमिस्ट्री के प्रोफेसर बन गए।
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चंपत ने पुलिस से कहा- बच्चों को पढ़ा कर आता हूं
प्रिंसिपल रूम में जैसे ही पुलिस ने चंपत को गिरफ्तार करने की बात कही, उन्होंने कहा कि अभी मेरी क्लास का टाइम है। आप लोग चलिए, मैं बच्चों की क्लास पूरी करके थाने आ जाऊंगा। पुलिस को पता था कि अगर उन्होंने चंपत की बात नहीं मानी तो कॉलेज के छात्र विरोध करने लगेंगे। पुलिस वहां से चली गई। चंपत क्लास में गए। बच्चों को पढ़ाया और फिर घर जाने के लिए बोल दिया।
इसके बाद वो अपने घर गए। कुछ कपड़े लिए। मां-पिता का आशीर्वाद लिया। किसी को बिना कुछ बताए घर से निकल गए। चंपत कोतवाली पहुंचे। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। चंपत 18 महीने जेल में कैद रहे। आपातकाल खत्म होने के बाद उनकी रिहाई हो गई।
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अब चंपत राय राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव हैं। वे अपना पूरा जीवन रामलला के चरणों में अर्पित कर चुके हैं। अब लोग प्यार से उन्हें रामलला का पटवारी भी कहते हैं।
22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इससे जुड़े कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभालने वाले लोगों में चंपत राय सबसे मुख्य लोगों में से एक हैं। इस कार्यक्रम में कौन शामिल हो रहा है, कौन नहीं आ रहा है, कार्यक्रम की अवधि, अतिथियों का आगमन स्थल और आम लोगों के लिए दर्शन की तिथि जैसे सवालों के उत्तर चंपत राय दे रहे हैं। कुल मिलाकर इस वक्त प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी चंपत राय के कंधों पर है।