आदर्श आचार संहिता के लागू होते ही मध्य प्रदेश में संपत्ति निरूपण अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू हो गई है. अब सरकारी संस्थानों से पोस्टर व होल्डिंग को हटाया जा रहा है .
आज निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए आचार संहिता लागू करने के आदेश जारी कर दिए. उसके साथ ही मध्य प्रदेश के कई जिलों में संपत्ति निरूपण अधिनियम के तहत कार्रवाई भी शुरू कर दी गई . जहाँ नगर पालिका निगम , नगर परिषद के माध्यम से सरकारी संस्थानों पर लगाए गए होर्डिंग हटाने की कार्रवाई तेजी से शुरू हो गई. वहीं चुनाव आयोग ने सभी नेताओं को 24 घंटे के अंदर अपने-अपने बैनर- पोस्टर हटाने का निर्देश भी दे दिया.
मध्य प्रदेश में 17 नवंबर २०२३ को मतदान किया जाएगा. वहीं 3 दिसंबर को नतीजे सामने आएंगे. दिसंबर 2023 में नई सरकार मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो जाएगी. हालांकि निर्वाचन आयोग ने जैसे ही तारीखों का ऐलान किया, वैसे ही नियमों का सख्ती से पालन भी शुरू करवा दिया गया. वहीं प्रदेश के धार, इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर, रतलाम, मंदसौर आदि जिलों में संपत्ति निरूपण अधिनियम के तहत कार्रवाई भी शुरू कर दी गई.
अब प्रचार प्रसार करना पड़ सकता है महंगा
आदर्श अचार संहिता के लागू होते ही नगर निगम और अन्य स्थानीय निकाय के माध्यम से सरकारी खंभों पर लगाए गए पोस्टर को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई. इसके अलावा शासकीय दीवारों पर पुताई का काम भी शुरू हो गया है. आचार संहिता के नियमों के अनुसार अब बिना अनुमति सरकारी संस्थानों पर राजनीतिक प्रचार प्रसार करना महंगा पड़ सकता है.
हो सकती है एक साल की सजा और 50000 का जुर्माना
यदि संपत्ति स्वामी कि अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति उस पर स्याही , पोस्टर आदि से कुछ भी अंकित करता है यह लिखता है तो ऐसी स्थिति में संपत्ति निरूपण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. साथ ही आरोप सिद्ध होने पर एक साल तक की सजा या 50000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों से ही दंडित किया जा सकता है. आदर्श अचार संहिता दौरान संपत्ति निरूपण अधिनियम का काफी गंभीरता से पालन कराया जाता है.