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भविष्य में फिर जिंदा होने के लिए डेड बॉडी फ्रीज करा रहे लोग; क्या है क्रायोनिक्स?

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एडवांस मेडिकल तकनीक और क्रायोनिक्स साइंस के जरिए भविष्य में मरे हुए इंसानों को जिंदा करना संभव है।

सुभब्रत मजूमदार ऐसा करने वाले अकेले शख्स नहीं हैं बल्कि दुनियाभर में 600 से ज्यादा लोगों की डेड बॉडी को इसी तरह से फ्रीज करके रखा गया है।

दुनिया भर में बढ़ रहा है डेड बॉडी को फ्रीज कराने का ट्रेंड
इस वक्त दुनियाभर में करीब 600 लोगों की डेड बॉडी को फ्रीज करके रखा गया है। इनमें से 300 से ज्यादा डेड बॉडी तो सिर्फ दो देश अमेरिका और रूस में हैं। इन लोगों के पूरी तरह से मरने से पहले इनके दिमाग और शरीर को लैब में रखा गया था।

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कानूनी तौर पर भले ही ये लोग मर चुके हैं लेकिन क्रायोनिक्स तकनीक में भरोसा रखने वाले साइंटिस्टों का मानना है कि वो अभी सिर्फ बेहोश हुए हैं।

यही वजह है कि दुनिया में कई सारे लोग मरने से पहले अपने परिवार के सामने ये इच्छा जाहिर कर रहे हैं कि उनके शरीर को हमेशा के लिए खत्म करने की बजाय इस तकनीक के जरिए सुरक्षित रखा जाए।

इसी वजह से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, भारत समेत दुनिया के दर्जनों देशों में प्राइवेट कंपनियों ने लैब बनाई हैं, जो डेड बॉडी को सुरक्षित रखने का दावा करती हैं।

मुर्दे को जिंदा करने वाली क्रायोनिक्स तकनीक क्या है?
अमेरिकी साइंटिस्ट डॉक्टर रिचर्ड गिब्सन के मुताबिक, ‘जब इंसान को कोई तकनीक या साइंस जिंदा रखने में असफल हो जाती है। फिर मौत के बाद उसकी डेड बॉडी को फ्रीजर में इस उम्मीद में रखा जाता है कि भविष्य में विज्ञान और मेडिकल साइंस के डेवलप होने के बाद उस इंसान को फिर से जिंदा करना संभव हो सकेगा।’

मतलब साफ है कि इनलोगों को लगता है कि आने वाले समय में मेडिकल साइंस मौत के बाद इंसानों को जिंदा कर सकेगी।

उन्होंने कहा है कि ‘डिमॉलिशन मैन’ या ‘वनीला स्काई’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी इसी तकनीक के जरिए मरे हुए इंसानों को फिर से जिंदा करने की संभावनाओं को दिखाया गया था।
जानिए कैसे डेड बॉडी को क्रायोनिक्स साइंस से ठंडी जगह पर रखा जाता है…


मृत इंसान को जिंदा करने के लिए डेड बॉडी को फ्रीज़ में रखा जाता है।

क्रायोनिक्स को स्टेप में समझते हैं

स्टेप 1 – किसी इंसान की मौत होते ही क्रायोनिक्स एक्सपर्ट ection में आ जाते हैं

स्टेप -2 डॉक्टर ये निश्चित करते हैं की डेड बॉडी के दिमाग तक morden टेक्नोलॉजी की मदद से ऑक्सीजन और ब्लड की सप्लाई होती रहे।

स्टेप -3 डेड बॉडी को बर्फ में पैक करके ऐसी दवा में रखा जाता है, जो खून को जमने से रोके।

स्टेप -4 शरीर की कोशिकाओं से पानी निकालकर उसकी जगह पर ग्लिसरॉल से बना एक केमिकल डाल दिया जाता है।

स्टेप -5 -130 डिग्री के तापमान पर बॉडी को ठंडा करके जमा दिया जाता है।

स्टेप -6 नाइट्रोजन से भरे एक कंटेनर में शरीर को उल्टा लटका दिया जाता है, ताकि अगर कंटेनर लीक हो तो भी दिमाग बर्फ में रहे।

​हम आपको बता दे की alkor क्रायोनिक्स कंपनी ने बॉडी को फ्रीज करके सुरक्षित रखने की लागत 2 लाख dolor यानि 1 करोड़ 60 लाख रुपये बताई है।

क्या सच में डेड बॉडी का जिंदा होना संभव है?
अमेरिका के टेक्सस स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ बायोएथिक्स एंड हेल्थ ह्यूमैनिटीज के प्रोफेसर रिचर्ड गिब्सन के मुताबिक, इस तकनीक से इंसानों को जिंदा करने की बात पर दुनिया के वैज्ञानिक दो खेमों में बंटे हुए हैं। कुछ लोग इसे संदेह से देखते हैं तो कुछ का मानना है अगले 50 से 100 साल में ऐसा संभव है।

उन्होंने कहा, ‘अगर आप मुझसे पूछेंगे तो मैं कहूंगा ऐसा आने वाले वक्त में संभव है। भले ही अभी ये सब काल्पनिक लग रहा हो, लेकिन मेडिकल साइंस ऐसा कर सकता है।’ हालांकि, रिचर्ड का मानना है कि कई सवालों का जवाब अभी मिलना बाकी है लेकिन रिसर्च जारी है।
रिसर्च में कई सप्ताह बाद भी मरे खरगोश का दिमाग सुरक्षित मिला

अमेरिका के मिशीगन स्थित क्रायोनिक्स इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट डेनिस ने एक इंटरव्यू में बताया कि फरवरी 2016 में एक खरगोश के दिमाग को क्रायोनिक्स तकनीक से बेहद ठंडे माहौल में रखा गया था। कई सप्ताह के बाद जांचने पर देखा गया कि तब भी दिमाग सुरक्षित था।

इसके लिए जेम्स बेडफोर्ड नामक अमेरिकी प्रोफेसर जो किड्नी कैंसर से पीड़ित थे और उनका इलाज संभव नहीं था , ने हामी भर दी थी।
इसके बाद 1967 में इनकी मौत के बाद क्रायो प्रजर्वेसन के जरिए जमाकर रखा गया था, जो आज 51 साल बाद भी मौजूद है।

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