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पुलिस की विभागीय साक्ष्य बिल्कुल भी विश्वास योग्य नहीं

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पुलिस की विभागीय साक्ष्य बिल्कुल भी विश्वास योग्य नहीं

प्रकरण बनाते समय सिर्फ बेगुनाह को अभियुक्त बनाने की मंशा थी। दोषी निरूपित करने का आधार नदारद है। दोषमुक्त किया जाना चाहिए। एनडीपीएस के मामलों में स्वतंत्र साक्षियाें द्वारा अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं।

पुलिस ने झूठी कहानी गढ़कर फंसाया

दलील दी कि बड़ा पत्थर, रांझी, जबलपुर निवासी शिव उर्फ शिब्बू चौधरी को पुलिस ने झूठी कहानी गढ़कर फंसाया है। इसकी तस्दीक इस मामले में पुलिस की समूची कार्रवाई के दूषित होने से हो गई है। यहां तक कि पुलिस की विभागीय साक्ष्य तक विश्वसनीय नहीं पाए गए हों। इससे साफ है कि प्रकरण बनाते समय सिर्फ बेगुनाह को अभियुक्त बनाने की मंशा थी। लेकिन अदालत में उसे दोषी निरूपित करने का आधार नदारद है। इसलिए दोषमुक्त किया जाना चाहिए। एनडीपीएस कोर्ट ने तर्कों से सहमत होकर आरोपित के पक्ष में फैसला सुना दिया।

एनडपीएस के विशेष न्यायाधीश सुजीत कुमार सिंह की अदालत ने अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि एनडीपीएस के मामलों में यदि स्वतंत्र साक्षियाें द्वारा अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया जाता तो उससे काेई विशेष फर्क नहीं पड़ता बशर्ते पुलिस की विभागीय साक्ष्य विश्वसनीय पाई गई हो। विचाराधीन मामले में पुलिस के जब्तीकर्ता अधिकारी की साक्ष्य बिल्कुल भी विश्वास के योग्य नहीं पाई गई। लिहाजा, आरोपित शिव उर्फ शिब्बू चौधरी को दोषमुक्त किया जाता है। आरोपित की ओर से अधिवक्ता संदीप जैन ने पक्ष रखा।

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