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राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पास:शाह बोले- 11 अगस्त को मणिपुर पर चर्चा करें; हमें इशारा नागपुर से आता है, तो आपको चाइना से

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राज्यसभा में सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेश किया गया दिल्ली सर्विस बिल राज्यसभा में पास हो गया। ऑटोमैटिक वोटिंग मशीन खराब होने के कारण पर्ची से वोटिंग कराई गई। पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट डले। बिल अब राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए जाएगा, उसके बाद कानून बन जाएगा।

दिनभर के बहस के बाद गृह मंत्री जवाब देने आए तो उन्होंने विपक्ष को चैलेंज दिया कि इस बिल को गिराकर दिखाओ। उन्होंने कहा- 8 से 10 अगस्त तक लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है, इसलिए विपक्ष मणिपुर पर 11 अगस्त को चर्चा करे।

मैं मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हूं। हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। आप (विपक्ष) ही हैं, जिनके पास छिपाने के लिए कुछ है। आप चर्चा नहीं होने दे रहे हैं। अगर खड़गे जी 11 अगस्त को चर्चा के लिए हां कहते हैं, तो मैं भी इसके लिए तैयार हूं।

इससे पहले दिल्ली सर्विस बिल पर शाह ने कहा- यह बिल पूर्व की तरह प्रधानमंत्रियों की सदस्यता बचाने नहीं लाए। इमरजेंसी लगाने नहीं लाए। शाह के यह कहते ही कांग्रेस के सदस्य भड़क गए। इस पर शाह बोले- कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का अधिकार नहीं है। आपने देश को इमरजेंसी दी थी। AAP का जन्म कांग्रेस को गाली देकर हुआ। खड़गे साहब आप जिस गठबंधन को बचाने के लिए इस बिल का विरोध कर रहे हैं, सदन के बाद केजरीवाल साहब आप से मुंह मोड़ लेंगे।

कांग्रेस को पता है कि अकेले कुछ होने वाला नहीं है। इसलिए गठबंधन बना लिया है। ऐसा गठबंधन जो सैद्धांतिक रूप से एक नहीं है। केरल में कांग्रेस और लेफ्ट एक दूसरे के खिलाफ है, लेकिन गठबंधन में ईलू-ईलू कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस का जन्म ही लेफ्ट के विरोध में हुआ, लेकिन वे भी साथ हैं। मैं इन्हें बता दूं कि 4-5 दल और जोड़ लें, फिर भी 24 मई 2024 को नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे।

शाह ने कहा- इस बिल का उद्देश्य दिल्ली में सुचारु रूप से भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो। बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में एक इंच मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है।

जो लोग कह रहे हैं कि आज दिल्ली है, कल ओडिशा की बारी है, फिर दूसरे राज्य की बारी आएगी। ये गलत है। ये मानसिकता बदलनी होगी। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है। इससे किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए।

दिल्ली में मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज्य, शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं। किसी को केंद्र से कोऑर्डिनेशन में दिक्कत नहीं हुई। किसी को ट्रांसफर पोस्टिंग में दिक्कत नहीं हुई। लेकिन एक आंदोलन से बनी सरकार को इससे दिक्कत आने लगी। उन्हें लगता है कि हम केंद्र के ताकत बढ़ाने के लिए ये बिल लाए हैं। हम आपको बताना चाहते हैं कि इस देश की जनता के आशीर्वाद से हम ताकतवर हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और पब्लिक ऑर्डर पर काम करने का अधिकार केंद्र को दिया, सेवा का अधिकार राज्य को देने की बात कही। इसमें यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है।

संविधान कहता है कि केंद्र को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है। इस किसी भी में सेवाएं भी आती हैं। संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार है।

दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के खिलाफ शुरू से कांग्रेस ही रही है। कांग्रेस ने ही संविधान संशोधन करके दिल्ली के अधिकारों का हनन किया है। कांग्रेस सिर्फ आम आदमी पार्टी की गोद में बैठने के लिए अपने ही बनाए कानून का विरोध कर रही है।

11 मई को 3-4 बजे सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला आया। इस आदेश को रेगुलर पीठ को लागू करना था। आदेश लागू भी नहीं हुआ था कि शाम 5.30 बजे आम आदमी पार्टी की सरकार ने ट्रांसफर करना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी आना शुरू हो गई।

AAP सरकार के मंत्रियों ने सतर्कता विभाग से फाइलें मंगाना शुरू कर दी। उन्होंने सतर्कता विभाग में मौजूद दिल्ली शराब घोटाले के सबूत मिटाने का प्रयास किया। सतर्कता विभाग के पास मुख्यमंत्री के घर पर हुए बेहिसाब खर्च की जांच की फाइल भी थी।

पूरे देश में दिल्ली विधानसभा एकमात्र ऐसी विधानसभा है, जिसका सत्र का कभी समापन ही नहीं हुआ। स्पीकर जब चाहे राजनीतिक भाषणों के लिए सत्र बुला लेते हैं। 2020 से अब तक बजट सत्र के नाम पर ही दिल्ली विधानसभा का सत्र बुलाया गया। ये विधानसभा चलाने का तरीका गलत है।

हमारी पार्टी का जन्म 1950 में हुआ था, इसलिए हमारी पार्टी आजादी की लड़ाई में नहीं थी। हमारी पार्टी के फाउंडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजादी की लड़ाई में शामिल थे। उनकी वजह से ही बंगाल और कश्मीर आज भारत में हैं। आप कहते हैं कि हमें नागपुर से इशारा आता है। नागपुर भारत में ही है। आपको तो रसिया और चाइना से इशारा आता है।

राघव चड्ढा ने कहा कि ये बिल एक संवैधानिक पाप है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अध्यादेश के जरिए पलटकर भाजपा ने मैसेज दिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नहीं मानते।

राघव चड्ढा बोले- नेहरूवादी नहीं, अटलवादी बनिए
इससे पहले AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा- ये बिल एक राजनीतिक धोखा है। भाजपा ने 1989, 1999 और 2013 के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। आज भाजपा के पास मौका है, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दीजिए।

राघव बोले- गृहमंत्री अमित शाह कह रहे थे कि पंडित नेहरू दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे। मैं उन्हें बता दूं कि लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संसद में बिल लेकर आए थे।

अटल जी, आडवाणी जी, सुषमा स्वराज और मदन लाल खुराना ने दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया था। आप ये बिल लाकर उनके संघर्ष का अपमान कर रहे हो। आपके पास मौका है- नेहरूवादी नहीं अटल-आडवाणीवादी बनिए।

गृहमंत्री अमित शाह चर्चा का जवाब देते हुए बोले- बिल का उद्देश्य भ्रष्टाचारविहीन शासन करना है। दिल्ली की सुरक्षा के लिए यह बिल लाया गया है। दिल्ली का चुनाव लड़ने वालों को ये समझना चाहिए कि दिल्ली यूनियन टेरिटरी है।

इसके पहले कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा- ये बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है। इसके बाद मुख्यमंत्री दो सचिवों के नीचे आएगा यानी सचिव फैसला करेगा और मुख्यमंत्री देखेगा। सभी बोर्डों, कमेटियों के प्रमुख सुपर CM यानी गृह मंत्रालय से ही बनाए जाएंगे।

पूर्व CJI रंजन गोगोई आज पहली बार बतौर सांसद राज्यसभा में बोले- उन्होंने दिल्ली सर्विस बिल का समर्थन किया। उन्होंने कहा- अध्यादेश से संबंधित दो प्रश्न सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को भेजे गए हैं, इसका सदन में बहस से कोई लेना-देना नहीं है।

सिंघवी बोले- बिल का मकसद डर पैदा करना है
सिंघवी ने कहा कि बिल का मकसद डर पैदा करना है। जो लोग इसका समर्थन कर रहे हैं या समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि सबका नंबर आ सकता है।

सिंघवी ने कहा- लालकृष्ण आडवाणी जब होम मिनिस्टर थे, तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए बिल लाए थे। भाजपा ने पूर्ण राज्य के मुद्दे पर दिल्ली के दो चुनाव जीते थे। आज हम यह मांग कर रहे हैं कि संविधान ने जो अधिकार दिल्ली को दिए हैं, उन्हें मत छीनिए।

सिंघवी के बोलने का समय खत्म होने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति जगदीप धनखड़ से उन्हें और 10 मिनट देने के लिए कहा। इस पर सभापति ने सिंघवी को कुछ मिनट और बोलने दिया।

भाजपा सांसद बोले- संसद को दिल्ली पर कानून बनाने का अधिकार
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि संसद को दिल्ली पर कानून बनाने का अधिकार है।

उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा- AAP ने पंजाब और दिल्ली से कांग्रेस को साफ कर दिया, गुजरात में वोट हाफ कर दिया, फिर भी कांग्रेस ने इनको माफ कर दिया।

राज्यसभा में पार्टियों का गणित…
विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A के सांसद इस बिल का विरोध किया। NDA, बीजू जनता दल और YSR कांग्रेस के सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया।

लोकसभा में इसे 3 अगस्त को पेश किया गया था और इसी दिन पास भी कर दिया गया।

AAP और कांग्रेस ने जारी किया था व्हिप
कांग्रेस और AAP ने अपने सांसदों को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था। वहीं, AAP सांसद राघव चड्ढा, कांग्रेस सांसद जेबी माथेर और नसीर हुसैन ने राज्यसभा में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए रुल 267 के तहत नोटिस दिया।

एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के 870 पद खाली
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) के 870 पद खाली हैं। इन्हें भरने में कोई बैकलॉग नहीं है। जूनियर एग्जीक्यूटिव (ATC) के 400 पदों को भरने के लिए सीधी भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। चुने गए अभ्यर्थी तीन प्रशिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग ले रहे हैं। भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (AAI) ने जूनियर एग्जीक्यूटिव (ATC) के अन्य 356 पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

रेलवे में ढाई लाख पद खाली
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे के सभी जोन में ग्रुप सी पोस्ट में 2 लाख 48 हजार 895 पद खाली हैं, जबकि ग्रुप ए और बी में 2070 पद खाली हैं।

SC के फैसले को पलटने के लिए लाया गया अध्यादेश
11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था। साथ ही कहा कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे।

एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को बदल दिया और ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया। दिल्ली सर्विस बिल इसी अध्यादेश की जगह लेगा।

3 अगस्त को लोकसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर अमित शाह ने कहा कि 2015 में दिल्ली में जिस दल की सरकार आई, उसका मकसद सेवा करना नहीं, झगड़ा करना था।

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