साढ़े तीन साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कुछ समर्थकों का मोह अब भंग होने लग गया है। जावद से बागी होकर चुनाव लड़े समंदर पटेल ने कांग्रेस में लौटने का फैसला कर लिया तो कई ओर भी उनकी राह पर चल पड़े है। वे कई बड़े नेताओं के संपर्क में है जो चुनाव के पहले भाजपा को अल विदा कर सकते है।जैसे जैसे विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे है वैसे वैसे राजनीतिक समिकरण बदल रहे है। सबसे ज्यादा बेचेनी कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने वाले समर्थकों में नजर आ रही है जिसका अब असर भी दिखने लग गया। इंदौर में रहकर जावद विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले सिंधिया समर्थक समंदर पटेल ने कांग्रेस में लौटने का मन बना लिया है। सच्चाई ये है कि उन्हें ये अहसास हो गया है कि भाजपा में चुनाव नहीं लगाएगी। वहीं, कांग्रेस में उन्हें मौका मिल सकता है।गौरतलब है कि सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए कई नेताओं की हालत खस्ता है। उन्हें अब अपने वजूद खोने का डर सताने लग गया है। वे बड़ी इमानदारी से भाजपा में आए लेकिन उन्हें तबज्जों नहीं मिल रही या ये भी कह सकते है कि वे मिक्स नहीं हो पाए। उसमें सबसे बुरी स्थिति मोहन सेंगर, विपिन खुजनेरी जैसे कद्दावर नेताओं की है। भाजपा में आने के बाद दोनों ही नेताओं को आइडीए या निगम मंडल में भेजे जाने की चर्चा थी लेकिन कुछ नहीं हुई। दो नंबर भाजपा के विरोध के चलते सेंगर को तो संगठन में भी पद नहीं दिया गया जबकि खुजनेरी को प्रदेश कार्य समिति में सदस्य बनाया गया। इधर, प्रमोद टंडन, पवन जायसवाल, राजू चौहान, दीपक राजपूत व नासिर राजे ऐसे नेता है जो सक्रिय रहकर खुद को बनाए हुए है। समय समय पर वे अपनी उपस्थिति का अहसास भी कराते है। हालांकि सेंगर व खुजनेरी सहित अन्य नेताओं ने अपना दर्द बया नहीं किया लेकिन वे कहीं ना कहीं भाजपा की उपेक्षाओं से दुखी है।पटेल की वापसी का गणितसमंदर पटेल की वापसी के पीछे सारा खेल राऊ विधायक जीतू पटवारी का है। पटेल भाजपा में रहकर उनका चुनाव में बड़ा नुकसान कर सकते है। इसके चलते उन्होंने पटेल के कांग्रेस में वापसी का राह को खोलने का प्रयास किया। बताते है कि विधानसभा चुनाव में टिकट का आश्वासन भी दिलाया गया है।मजे में है सिलावट की टीम
सिंधिया समर्थकों में सबसे ज्यादा भाजपा में किसी ने घूसपेठ की है तो वह मंत्री तुलसीराम सिलावट है। प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक भाजपा की सत्ता और संगठन में उन्होंने अपनी अलग ही पहचान बना ली। वहीं, उनके समर्थक योगेश गेंदर, अजय सेंगर, लक्की अवस्थी, पप्पू शर्मा, महेश मंत्री, हुकूम साखला, भारतसिंह चिमली सहित अन्य का वे समय समय पर कद बढ़ाते रहते है और भाजपा में उनके लिए अड़ते भी जाते है। ध्यान रखने की वजह से समर्थक खुश भी है।