कल्पना कीजिए, आप हर महीने ₹20,500 कमाएं… वो भी बिना किसी नौकरी, बिना किसी व्यापार के, और बिना किसी तनाव के। सुनने में सपना लगता है न? लेकिन नहीं, यह कोई झूठी उम्मीद या स्कैम नहीं है। यह एक सरकारी योजना है – भारत सरकार की पोस्ट ऑफिस स्कीम। अब जब महंगाई आसमान छू रही है और बुज़ुर्गों के लिए आर्थिक सुरक्षा एक गंभीर विषय बन चुका है, तो यह योजना उनके लिए एक ‘लाइफलाइन’ साबित हो रही है। Senior Citizen Savings Scheme (SCSS) नामक यह स्कीम न सिर्फ भरोसेमंद है, बल्कि इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। आइए जानते हैं, इस स्कीम की सच्चाई, फायदे और जरूरी शर्तें—बिल्कुल विस्तार से।
पोस्ट ऑफिस की SCSS योजना खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाई गई है जो 60 साल या उससे अधिक आयु के हैं। हालांकि, जिन लोगों ने 55 से 60 वर्ष की उम्र में VRS (स्वैच्छिक रिटायरमेंट) लिया है, वे भी इस योजना में निवेश कर सकते हैं। योजना का खाता आप किसी भी नज़दीकी पोस्ट ऑफिस या अधिकृत बैंक में खोल सकते हैं। यह एक सरकारी गारंटी वाली स्कीम है, जिससे जुड़ने का मतलब है—जोखिम शून्य और रिटर्न निश्चित। इस योजना के तहत आप एकमुश्त राशि का निवेश करते हैं, और फिर हर तिमाही ब्याज के रूप में रकम आपके खाते में आ जाती है, जिसे आप मासिक खर्च के लिए भी उपयोग कर सकते हैं।
SCSS योजना में पहले निवेश सीमा ₹15 लाख थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर ₹30 लाख कर दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति अधिकतम ₹30 लाख का निवेश करता है, तो उसे सालाना लगभग ₹2.46 लाख रुपये का ब्याज मिलेगा। यानी हर महीने करीब ₹20,500 रुपये की गारंटीड इनकम आपके खाते में आएगी। इस स्कीम की ब्याज दर 8.2% है, जो किसी भी अन्य सरकारी योजना से अधिक है। इस दर के चलते यह स्कीम उन लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है जो रिटायरमेंट के बाद बिना किसी तनाव के मासिक आय चाहते हैं।
इस योजना के तहत मिलने वाले ब्याज पर टैक्स तो देना होगा, लेकिन निवेश की गई राशि धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक टैक्स छूट के योग्य होती है। यानी टैक्स में भी राहत मिलती है। SCSS योजना की अवधि 5 साल की होती है, लेकिन आप चाहें तो इसे 3 साल और आगे बढ़ा सकते हैं। हालांकि, समय से पहले पैसा निकालने की सुविधा भी उपलब्ध है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें और जुर्माना लागू होते हैं। इसलिए निवेश से पहले स्कीम की सभी शर्तों को अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए।
SCSS योजना की सबसे बड़ी खासियत है—सुरक्षा, निश्चित आय और सरकारी गारंटी। रिटायरमेंट के बाद जब मासिक आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं होता, तब यह स्कीम एक सशक्त विकल्प बन जाती है। महंगाई, मेडिकल खर्च और रोजमर्रा की जरूरतें—इन सभी को ध्यान में रखते हुए यह योजना बुज़ुर्गों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है। यह महज एक स्कीम नहीं, बल्कि एक इज्ज़त भरी ज़िंदगी जीने का अवसर है।