क्या आपने कभी सोचा है कि एक आतंकवादी के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कौन लोग सामने आते हैं? क्या आपने यह सुना है कि जब किसी आतंकी को लेकर गहरी और संवेदनशील पूछताछ शुरू होती है, तो क्या हो सकता है? 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की गहरी पूछताछ अब शुरू हो चुकी है। लेकिन यह पूछताछ इतनी सामान्य नहीं है! राणा को लेकर गुप्त और चौंकाने वाली बातें सामने आ सकती हैं। और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जिनके सामने राणा को अपनी सारी सच्चाई उगलनी पड़ेगी। राणा के खिलाफ पूछताछ शुरू होने के बाद यह सवाल उठता है कि ये अधिकारी कौन हैं और उनका यह मिशन क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा की 18 दिन की हिरासत मिलने के बाद उससे पूछताछ शुरू की है। सूत्रों के मुताबिक, राणा इस वक्त कड़ा विरोध कर रहा है और पूछताछ में पूरी तरह से सहयोग नहीं कर रहा है। राणा, जो एक पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, पर आरोप है कि उन्होंने मुंबई हमलों की साजिश रची और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दिया। उसे हाल ही में अमेरिका से भारत लाया गया और अब वह भारतीय हिरासत में है। 26/11 हमलों से जुड़े उसकी भूमिका का खुलासा करने के लिए एनआईए ने एक विशेष टीम गठित की है।
इस जटिल और उच्चस्तरीय जांच को दो विशेष पुलिस अधिकारियों के हाथों में सौंपा गया है। एनआईए में उप महानिरीक्षक (DIG) जया रॉय और महानिरीक्षक (IG) आशीष बत्रा के नेतृत्व में 12 सदस्यीय एक विशेष टीम राणा से पूछताछ कर रही है। ये दोनों अधिकारी न सिर्फ अपने क्षेत्र में कड़ी पहचान रखते हैं, बल्कि इनकी सख्त और निपुण कार्यशैली ने उन्हें देशभर में चर्चित किया है। जया रॉय, जिनका जन्म 22 अप्रैल 1979 को पश्चिम बंगाल में हुआ था, 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में एनआईए में कार्यरत हैं। वहीं, आशीष बत्रा, जो 1997 बैच के अधिकारी हैं, झारखंड के कैडर से हैं और अब एनआईए में महानिरीक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
जया रॉय की विशेष पहचान झारखंड के साइबर अपराधियों के खिलाफ उनके नेतृत्व में चलाए गए अभियान से बनी, खासकर जामताड़ा में, जहां उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। 2019 में वह एनआईए में प्रतिनियुक्त की गईं। वहीं, आशीष बत्रा का कार्यकाल भी बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्होंने 2018 में झारखंड की एंटी-इंसर्जेंसी यूनिट ‘झारखंड जगुआर’ का नेतृत्व किया था, जिससे यह साबित हुआ कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। इस वक्त, इन दोनों अधिकारियों के नेतृत्व में तहव्वुर राणा के खिलाफ गहन पूछताछ की प्रक्रिया चल रही है, जो कि 26/11 के हमलों से जुड़े अहम सुरागों को उजागर कर सकती है।
यह पूछताछ न केवल देश के सुरक्षा तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे आतंकवाद विरोधी संघर्ष में भी एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। तहव्वुर राणा का केस अब सिर्फ एक व्यक्ति की सजा तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे भारत और दुनिया को यह संदेश जाएगा कि किसी भी आतंकवादी गतिविधि को आसानी से नकारा नहीं किया जा सकता। एनआईए के इन दो वरिष्ठ अधिकारियों की कड़ी मेहनत और सख्त रणनीतियों से हम उम्मीद कर सकते हैं कि राणा के खिलाफ सभी साजिशें और रहस्य जल्द ही सामने आ जाएंगे। क्या इस बार राणा से उसकी पूरी सच्चाई निकल पाएगी? यह सवाल तो अब कई लोगों के मन में उठता है, लेकिन जवाब जल्द ही सामने आने वाला है।