कल्पना कीजिए—आपने पूरी उम्र मेहनत की, दिन-रात नौकरी की, हर महीने PF कटता रहा और आपने सोचा कि रिटायरमेंट के बाद सब कुछ ठीक रहेगा। लेकिन जब 60 की उम्र में आप आख़िरी बार ऑफिस से बाहर निकलते हैं, तब असल ज़िंदगी शुरू होती है। वो पेंशन जो कभी काफी लगती थी, अब जरूरतों के सामने छोटी लगती है। ऐसे में सवाल उठता है—क्या सिर्फ़ PPF काफी है? या फिर अब SCSS और SWP जैसे विकल्पों को लेकर सोचना चाहिए?
35 की उम्र के बाद ही हमें ये समझना शुरू कर देना चाहिए कि बुढ़ापा दरवाज़े पर खड़ा है। हर महीने की बचत सिर्फ़ बैंक अकाउंट में नहीं, एक रणनीति के साथ होनी चाहिए। इस रणनीति में शामिल होते हैं तीन बड़े नाम—PPF, SCSS (Senior Citizen Saving Scheme) और SWP (Systematic Withdrawal Plan)। इनमें से SWP जहां म्यूचुअल फंड से जुड़ा है और बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, वहीं SCSS सरकारी गारंटी के साथ आता है और निश्चित ब्याज देता है। लेकिन सही प्लान तभी बनता है जब आप ये तय करें कि PPF की मैच्योरिटी के बाद पैसा कहां लगाएं—SCSS में या SWP में?
मान लीजिए आपने 45 साल की उम्र में PPF में निवेश शुरू किया। हर साल ₹30,000 का निवेश करने पर 15 साल बाद आपको कुल ₹8.13 लाख की राशि मिलती है (7.1% सालाना ब्याज दर पर)। इसमें से ₹4.5 लाख आपका कुल निवेश होता है और ₹3.63 लाख ब्याज के रूप में मिलता है। अब इस राशि को कहां लगाएं कि आने वाले सालों में हर महीने एक स्थिर इनकम बनी रहे? The Khabardar News की सलाह—आगे की रणनीति दो रास्तों में बंटी है: SCSS और SWP। दोनों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं!
अगर आप 60 की उम्र में PPF से मिले ₹8 लाख को SCSS में लगाते हैं तो 8.2% ब्याज दर के हिसाब से आपको हर तीसरे महीने ₹6,000 तक की गारंटीड इनकम मिल सकती है। वहीं, 5 साल बाद कुल ₹4.23 लाख की मैच्योरिटी भी। दूसरी ओर, SWP एक फ्लेक्सिबल लेकिन जोखिम भरा विकल्प है। अगर आप इसमें ₹80 लाख का निवेश करते हैं तो अनुमानित 12% रिटर्न के साथ आपको हर महीने ₹10,000 मिल सकते हैं। मैच्योरिटी पर लगभग ₹6 लाख मिलते हैं। यानी SWP आपको ज़्यादा इनकम दे सकता है, लेकिन गारंटी नहीं देता।







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