क्या आपने कभी किसी गंभीर अभिनेता को रंगीनियों में रंगते देखा है? क्या आपने कभी सोचा है कि जो कलाकार पर्दे पर शांति और गहराई से दिल जीतता है, वही किसी शो में दर्शकों को अपनी ठुमकों से हंसने पर मजबूर कर सकता है? ये कहानी है पंकज त्रिपाठी की – एक ऐसे अभिनेता की, जो जमीन से जुड़ा है, लेकिन टैलेंट में आसमान छूता है। आज हम आपको ले चलेंगे एक ऐसे पल की ओर जो न सिर्फ हास्य से भरपूर था, बल्कि ये भी दिखाता है कि कैसे असली कलाकार अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते। पंकज त्रिपाठी का एक पुराना वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर छाया हुआ है, जिसमें वो सिर पर दुपट्टा डालकर मंच पर ऐसी नजाकत से थिरकते हैं कि दर्शक सीटियों और तालियों से गूंज उठते हैं।
यह वायरल वीडियो किसी आम मौके का नहीं, बल्कि ‘द कपिल शर्मा शो’ का है, जहां पंकज त्रिपाठी अपने साथी कलाकारों आयुष्मान खुराना, कृति सेनन और राजकुमार राव के साथ पहुंचे थे। बातचीत के दौरान जब उनके थिएटर के दिनों की चर्चा छिड़ी, तब पंकज ने हंसी-ठिठोली के बीच वो कर दिखाया, जो शायद ही किसी बड़े स्टार ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर किया हो – सिर पर दुपट्टा डालकर, मशहूर ग़ज़ल ‘होंठों से छू लो तुम’ की धुन पर मंच पर उतर आए। ना कोई झिझक, ना कोई संकोच – बस एक कलाकार और उसकी आत्मा से निकली अदायगी। यह दृश्य न केवल हास्य का केंद्र बना, बल्कि इस बात की गवाही भी दी कि थिएटर कलाकारों में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा होता है।
वीडियो वायरल होने के बाद पंकज त्रिपाठी की एक नई छवि सामने आई है – “ठुमकों वाला त्रिपाठी”। फैंस ने जमकर कमेंट किए – किसी ने लिखा, “क्या लचक है जनाब!” तो किसी ने कहा, “पंकज त्रिपाठी का ऐसा रूप पहले कभी नहीं देखा!” वहीं एक यूज़र ने टिप्पणी की, “यह आदमी अभिनय का भंडार है, हर बार कुछ नया कर देता है।”
आज जब सोशल मीडिया अक्सर निगेटिविटी से भर जाता है, ऐसे में पंकज त्रिपाठी जैसे सितारों के वीडियो न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि हमें इस बात की याद भी दिलाते हैं कि कलाकार वो होता है जो कभी खुद को सीमाओं में नहीं बांधता।
पंकज त्रिपाठी का यह वीडियो भले ही हंसी-मजाक से भरा हो, लेकिन इसके पीछे छिपा है एक गहरा संदेश – यह उस कलाकार की यात्रा को बयां करता है जिसने थिएटर के मंच से सिनेमा की बुलंदियों तक का सफर तय किया। उन्होंने ये भी दिखा दिया कि असली अभिनय वही है जो हर रूप में ढल सके – गंभीर, हास्य, राजनीतिक, या भावुक। चाहे ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का काला किरदार हो या ‘मिर्जापुर’ के कालीन भैया का दबदबा – पंकज हर रोल में जान फूंकते हैं। और जब ऐसे कलाकार मंच पर दुपट्टा डालकर नाचते हैं, तो ये महज मज़ाक नहीं, बल्कि कला का उत्सव होता है।





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