शुक्रवार शाम जब जबलपुर की सड़कों पर लोग अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे, तभी आकाश में एक ऐसा साया दिखा जिसने पूरे इलाके की सांसें रोक दीं। नगना गांव का रहने वाला 40 वर्षीय ट्रक ड्राइवर लक्ष्मण बमलेन 125 फीट ऊंचे हाईटेंशन टावर पर चढ़ गया। हवा में झूलती उसकी परछाईं और नीचे खड़े लोगों की घबराई हुई नजरें – ये नज़ारा किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था। लेकिन ये कोई सिनेमा नहीं था, बल्कि असल ज़िंदगी की वो त्रासदी थी, जो उस आम आदमी की थी जिसे महीने की तनख्वाह तक नसीब नहीं हुई। सवाल ये है कि जब एक इंसान को उसकी मेहनत की कमाई भी न मिले, तो क्या वो इस सिस्टम से उम्मीद रखे या खुद को मौत के हवाले कर दे?
लक्ष्मण ने जब ऊपर से चिल्लाकर कहा कि उसे 11,000 रुपए की सैलरी नहीं मिली, तो नीचे खड़े ग्रामीणों की आंखों में खौफ साफ दिखाई दे रहा था। जैसे ही बात गंभीर लगी, माढ़ोताल थाना पुलिस, बिजली विभाग और नगर निगम को सूचना दी गई। तत्काल बिजली कंपनी ने हाईटेंशन सप्लाई बंद की और मौके पर टीटीएल मशीन मंगवाई गई। लक्ष्मण लगातार जान देने की धमकी देता रहा। गुस्से में आकर उसने पहले अपना मोबाइल नीचे फेंका, फिर चश्मा और उसके बाद कपड़े। आसपास के लोग चिल्लाते रहे, समझाते रहे, लेकिन लक्ष्मण के अंदर का तूफान शांत नहीं हो रहा था।
इस बीच जैसे ही खबर लक्ष्मण के घर पहुंची, उसकी पत्नी लक्ष्मी और दोनों बच्चे मौके पर आ गए। बच्चों की आंखों में डर और पत्नी की पुकार ने माहौल को और भावुक बना दिया। एक तरफ पूरा गांव उसके आत्मघाती कदम को रोकने की कोशिश कर रहा था, तो दूसरी तरफ उसकी आवाज़ चीख रही थी – “मालिक को बोलो, मेरा हक़ दो।” आखिरकार कई घंटे की कड़ी मशक्कत और बातचीत के बाद जब उसे वेतन देने का आश्वासन मिला, तो लक्ष्मण नीचे उतरा। शाम 4 बजे शुरू हुआ ये हाई वोल्टेज ड्रामा रात 8:30 बजे खत्म हुआ।
जिस टावर पर लक्ष्मण चढ़ा था, वह किसी मौत के कुएं से कम नहीं था। 1,32,000 वोल्ट करंट वाली इस हाईटेंशन लाइन में घर की सामान्य बिजली (220 वोल्ट) से लगभग 600 गुना ज़्यादा ताकत होती है। केवल दो फीट की दूरी से भी करंट लग सकता है। सौभाग्य से टावर के तार इंसुलेटर से सुरक्षित थे, जिससे उसकी जान बच पाई। लेकिन अगर जरा सी चूक होती, तो एक मजदूर की लाश उतरती उस टावर से – और फिर होती सिर्फ एक और ‘जांच’।







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