प्रयागराज में आस्था का महाकुंभ जारी है, और श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। करोड़ों लोग इस पावन संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं, जिससे ट्रेनों और हवाई जहाजों की टिकट मिलना मुश्किल हो गया है। लेकिन मुंबई के गौरव सूर्यकांत राणे नाम के एक व्यक्ति ने इस समस्या का अनोखा समाधान निकाला। जब उन्हें ट्रेन या फ्लाइट की टिकट नहीं मिली, तो उन्होंने हार नहीं मानी—बल्कि अपनी स्कूटी उठाई और मुंबई से सीधा प्रयागराज के लिए रवाना हो गए। उनकी स्कूटी पर साफ लिखा था— “Mumbai to Mahakumbh”, ताकि रास्ते में किसी को उनकी यात्रा पर शक न हो। यह सिर्फ एक सफर नहीं, बल्कि आस्था और संकल्प की मिसाल बन गया है, जो अब चर्चा का विषय बन चुका है।
गौरव राणे ने अपने इस धार्मिक सफर की शुरुआत गणतंत्र दिवस के दिन की। बिना किसी को बताए, वह स्कूटी पर अपना सामान बांधकर निकल पड़े और गूगल मैप के सहारे प्रयागराज की ओर बढ़ते गए। उनके इस रोमांचक सफर में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी शामिल रहे—उन्होंने त्र्यंबकेश्वर, ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, काल भैरव, झांसी, ओरछा, चित्रकूट और अन्य जगहों पर भी रुककर दर्शन किए। वे सिर्फ दिन में सफर करते हैं और रात होते ही किसी धर्मशाला या होटल में रुक जाते हैं। अब तक उन्होंने करीब 1400-1500 किलोमीटर का सफर तय कर लिया है और उनका लक्ष्य बसंत पंचमी के दिन महाकुंभ पहुंचने का है। गौरव का मानना है कि यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उनके लिए एक आध्यात्मिक और मानसिक यात्रा भी है, जो उन्हें जीवन में कभी न भूलने वाला अनुभव दे रही है।
लोगों के मन में सवाल उठता है कि इतना लंबा सफर स्कूटी से तय करना कितना कठिन होगा? लेकिन गौरव का जवाब सीधा है—”खर्च ज्यादा आएगा, लेकिन इस तरह का अनुभव दोबारा नहीं मिलेगा!” वे बताते हैं कि इस यात्रा ने उन्हें न सिर्फ भारतीय संस्कृति और आस्था से जोड़ा, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास भी बढ़ाया। स्कूटी से इतनी दूर अकेले सफर करने के बावजूद, उनका हौसला बुलंद है और वे महाकुंभ में संगम स्नान करने का सपना पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। गौरव जैसे श्रद्धालु हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची आस्था और दृढ़ संकल्प के आगे कोई भी मुश्किल मायने नहीं रखती।