भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के 337 टन जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट करने के निर्णय ने पूरे क्षेत्र में भारी विरोध और तनाव पैदा कर दिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मामले में गंभीरता से संज्ञान लेते हुए गुरुवार देर रात आपात बैठक बुलाई। बैठक में कई वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार यह कदम उठाया गया है और जनता को किसी भी अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। शुक्रवार को पीथमपुर में प्रदर्शनकारियों ने हिंसक विरोध करते हुए पुलिस पर पथराव किया, जिसमें दो व्यक्तियों ने खुद को आग के हवाले कर दिया। सरकार ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए आगे की कार्रवाई की योजना बनाई है।
मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का 337 टन जहरीला कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही वहां का माहौल उबाल पर है। स्थानीय लोगों ने इस कदम के खिलाफ शुक्रवार को पीथमपुर बंद का आह्वान किया, जिसके चलते पूरे इलाके में तनाव फैल गया। प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर जाम लगाकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया और पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। इस दौरान दो लोगों ने आत्मदाह करने की कोशिश की।
दोनों व्यक्तियों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, और उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। घटना के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार देर रात मुख्यमंत्री आवास में आपात बैठक बुलाई। बैठक में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा, वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय, चीफ सेक्रेटरी अनुराग जैन, एडवोकेट जनरल और लॉ सेक्रेटरी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जनभावनाओं का सम्मान करती है और हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में ही यह कदम उठाया गया है।
यह कचरा 40 साल पहले हुई भोपाल गैस त्रासदी के बाद से जमा था। इसे 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में भरकर पीथमपुर लाया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कचरा अत्याधुनिक चार-परत फिल्टर तकनीक से नष्ट किया जाएगा, ताकि वातावरण में किसी भी प्रकार का प्रदूषण न फैले। नष्ट करने की प्रक्रिया में निकलने वाली राख को भी सुरक्षित रूप से दफनाया जाएगा।






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