जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भीषण आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह फैसला तब लिया गया जब आतंकवादियों ने भारतीय सुरक्षा बलों पर हमला किया, जिससे 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। इस निलंबन का क्या मतलब है? और क्या यह भारत-पाकिस्तान रिश्तों में एक और बड़ा मोड़ है? जानिए इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी।
भारत सरकार ने इस महत्वपूर्ण फैसले की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक के बाद की। यह फैसला पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के कारण लिया गया, और कहा गया कि जब तक पाकिस्तान इस समर्थन को बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच कोई जानकारी साझा नहीं की जाएगी।
भारत के इस फैसले पर पाकिस्तान ने कड़ा विरोध किया है। पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ (PTI) के नेता चौधरी फवाद हुसैन ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया और कहा कि भारत सिंधु जल संधि को एकतरफा निलंबित नहीं कर सकता। उनका दावा है कि इस तरह का कदम अंतरराष्ट्रीय समझौतों के खिलाफ है।
पाकिस्तान के विरोध के बावजूद, भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह फैसला पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के चलते लिया गया है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस बारे में बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि को तुरंत प्रभाव से स्थगित कर दिया है। यह कदम तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता।
भारत के इस फैसले से पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल मच गई है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान सरकार इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के नेतृत्व में नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक बुलाएगी।
भारत ने सिंधु जल संधि के निलंबन के अलावा कई अन्य कठोर कदम भी उठाए हैं। अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को तुरंत प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भारत यात्रा पर लगी प्रतिबंधों को भी सख्त किया गया है। भारत में पहले से मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।
सिंधु जल संधि के इतिहास को अगर हम देखें तो यह 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक अहम समझौता था। इसके तहत दोनों देशों को सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का पानी साझा करने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन जब पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना शुरू किया, तो यह संधि खतरे में पड़ने लगी। अब भारत ने यह कदम उठाकर इस समझौते की अहमियत और प्रभाव को नये सिरे से परिभाषित किया है।
भारत के इस कड़े फैसले से ना केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हैं। इस फैसले के बाद क्या पाकिस्तान अपनी नीति बदलता है? क्या यह दो देशों के बीच तनाव को और बढ़ाएगा? या फिर भारत के इस फैसले से पाकिस्तान पर दबाव पड़ेगा और वह अपनी आतंकवादी गतिविधियों को रोकने की दिशा में कदम उठाएगा? आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी कई घटनाएँ घट सकती हैं।






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