इंदौर जिले में लगातार गिरते भूजल स्तर को देखते हुए प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने पूरे जिले को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया है और 20 मार्च से 15 जून तक नलकूप खनन पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है। इस आदेश के तहत कोई भी निजी या अशासकीय नलकूप खुदाई नहीं कर पाएगा। जल संकट से निपटने और भूजल स्तर को संरक्षित करने के लिए प्रशासन ने यह कठोर कदम उठाया है। खासकर शहरी इलाकों में भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन चिंता का विषय बना हुआ था, जिसे रोकने के लिए यह कार्रवाई की गई है।
मध्य प्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम के तहत जारी इस आदेश के अनुसार, यदि कोई भी व्यक्ति बोरिंग मशीन लेकर जिले में प्रवेश करता है या नलकूप खनन करने का प्रयास करता है, तो उसकी मशीन जब्त कर संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज की जाएगी। इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और नगर निगम के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, अपरिहार्य परिस्थितियों में निगम सीमा क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में केवल पंजीकृत एजेंसियों को प्रशासन की अनुमति से नए नलकूप खनन की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा दिए गए जांच प्रतिवेदन के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
यह आदेश केवल निजी नलकूपों और अशासकीय खुदाई पर लागू होगा, जबकि शासकीय योजनाओं के तहत किए जाने वाले नलकूप उत्खनन को इससे छूट दी गई है। जल संकट को देखते हुए प्रशासन को यह अधिकार होगा कि आवश्यकता पड़ने पर निजी नलकूपों और जल स्रोतों का अधिग्रहण किया जा सके ताकि सार्वजनिक पेयजल आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रह सके। इंदौर जैसे तेजी से बढ़ते शहर में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुका है और इस प्रतिबंध का उद्देश्य भविष्य में पानी की किल्लत को रोकना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है।