प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में इस बार एक अद्भुत घटना घटी, जब भारतीय युवक सिद्धार्थ ने अपनी ग्रीक प्रेमिका पेनेलोपे से पारंपरिक वैदिक विधि से विवाह रचाया। इस अनूठे विवाह में स्वामी यतिंद्रानंद गिरी, जो जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं, ने कन्यादान किया। इस पवित्र अवसर पर पेनेलोपे के परिवार और रिश्तेदार भी मौजूद रहे। सिद्धार्थ ने कहा, “हम दोनों ने एक दिव्य और सरल तरीके से शादी का सपना देखा था, और महाकुंभ से बेहतर जगह कोई और नहीं हो सकती थी। यह स्थान न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में दिव्यता और आत्मिक शांति का प्रतीक है। यहाँ महान संतों के आशीर्वाद से हमारी शादी और भी खास बन गई।”
सिद्धार्थ ने विवाह की पवित्रता और परंपराओं के महत्व पर जोर देते हुए इसे जीवनभर का अनुभव बताया। उन्होंने कहा, “विवाह हमें यह समझाता है कि पुरुष और महिला एक-दूसरे के पूरक हैं। प्राचीन परंपराओं को अपनाना कोई गलत बात नहीं है।” पेनेलोपे, जिन्होंने हाल ही में बौद्ध धर्म से हिंदू धर्म में परिवर्तन किया, इस शादी को अपने जीवन का सबसे जादुई अनुभव बताया। उन्होंने कहा, “यह विवाह किसी चमत्कार से कम नहीं था। जब मैं इसे याद करती हूँ, तो ऐसा लगता है जैसे हमने दिव्य ऊर्जा को महसूस किया। सनातन धर्म ने मुझे शांति और उद्देश्य दिया है।”
पेनेलोपे ने सनातन धर्म अपनाने के पीछे अपने आध्यात्मिक अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म ने मुझे सही दिशा दिखाई और मेरे जीवन को नई रोशनी दी। हर चीज की जड़ सनातन धर्म में है।” महाकुंभ मेले में यह विवाह एक अनूठी परंपरा और संस्कृति का संगम था, जिसमें भारतीय संस्कारों ने एक विदेशी हृदय को भी प्रभावित किया। यह शादी न केवल दोनों परिवारों के लिए, बल्कि महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं के लिए भी एक प्रेरणा बनी।





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