अमेरिका के टैरिफ फैसले पर चीन का सख्त विरोध
अमेरिका द्वारा चीन पर अत्यधिक शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों और आर्थिक तर्कों की अनदेखी की है। चीन के वित्त मंत्रालय ने इसे “एकतरफा दबाव और जबरदस्ती” करार देते हुए सख्त विरोध जताया है। मंत्रालय का कहना है कि यह निर्णय न केवल गलत है, बल्कि वैश्विक व्यापार के लिए भी खतरनाक संकेत है।
चीन की चेतावनी: हम अंत तक लड़ेंगे
चीन ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर अमेरिका उसके हितों को नुकसान पहुँचाने की दिशा में आगे बढ़ता है, तो वह इसका मजबूती से जवाब देगा। वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि अगर अमेरिका चीनी सामानों पर अतिरिक्त शुल्क लगाता है, तो चीन इसे नजरअंदाज नहीं करेगा और कड़े कदम उठाएगा।
यूरोपीय संघ से समर्थन की अपील
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यूरोपीय यूनियन से अपील की है कि वह अमेरिका की “एकतरफा दबंगई” के खिलाफ चीन के साथ मिलकर खड़ा हो। उन्होंने कहा कि चीन और यूरोप को मिलकर अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए और अमेरिका की अनुचित नीतियों का विरोध करना चाहिए।
शुल्क दरों की जंग
जहाँ अमेरिका ने चीन पर कुल 145% तक के टैरिफ लगा दिए हैं, वहीं चीन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिकी सामानों पर शुल्क 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में 125% शुल्क की घोषणा की, जिसमें 20% का शुल्क फेंटानिल ड्रग्स को लेकर लगाया गया है। दोनों देशों के बीच टैरिफ की यह लड़ाई अब गंभीर मोड़ पर पहुँच गई है।
बाजारों पर असर और निवेशकों की चिंता
इस आर्थिक युद्ध का असर ग्लोबल मार्केट्स पर भी साफ दिख रहा है। चीनी शेयर बाजार में सरकार की ओर से समर्थन मिलने के बावजूद अमेरिकी निवेशकों में चिंता बढ़ी है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, अमेरिका में चीनी शेयरों से जुड़े तीन प्रमुख ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) में एक ही दिन में लगभग 1 अरब डॉलर की बिकवाली हुई।






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