Friday, December 5, 2025

UPSC 2024: टॉप 10 में आधा स्थान बेटियों के नाम, देश को गौरव से भरने वाली इन पांच बेटियों की कहानी

क्या एक आम लड़की, साधारण परिवार से निकलकर देश की सबसे कठिन परीक्षा को फतह कर सकती है? क्या संघर्ष, दृढ़ निश्चय और जज़्बा किसी भी सपने को हकीकत में बदल सकता है? UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 के नतीजे इस सवाल का जवाब हां में देते हैं—और वो भी पूरे आत्मविश्वास के साथ। इस बार फिर, देश की बेटियों ने न सिर्फ टॉप किया बल्कि पूरे सिस्टम को ये एहसास दिलाया कि वो सिर्फ घर की नहीं, अब देश की भी धुरी बन चुकी हैं। टॉप 10 में पांच बेटियों की मौजूदगी, ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि नए भारत की सोच का प्रतिबिंब हैं।

शक्ति सिर्फ नाम नहीं, हौसले की पहचान बन चुकी हैं। प्रयागराज की शक्ति दुबे ने देशभर में पहला स्थान पाकर यह सिद्ध कर दिया कि सच्चा जुनून किसी भी चुनौती को मात दे सकता है। साइंस बैकग्राउंड की छात्रा शक्ति ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया, और BHU से मास्टर्स पूरी की। पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशंस को ऑप्शनल सब्जेक्ट बनाकर उन्होंने अपनी समझ और विषय चयन में परिपक्वता का परिचय दिया। साल 2018 से तैयारी कर रही शक्ति ने कभी हार नहीं मानी और इस बार सफलता की सबसे ऊंची सीढ़ी पर अपना नाम दर्ज करवा दिया।

हरियाणा की मूल निवासी और अब वडोदरा, गुजरात में रहने वाली हर्षिता गोयल चार्टर्ड अकाउंटेंट थीं। लेकिन उन्होंने समाज सेवा को अपने करियर का हिस्सा बनाने के लिए ग्लैमर और मुनाफे से भरी दुनिया को छोड़ दिया। ‘Belief Foundation’ नामक NGO के साथ मिलकर थैलेसीमिया और कैंसर से पीड़ित बच्चों की मदद की, और वहीं से उनकी प्रेरणा ने उन्हें UPSC की ओर मोड़ा। उनकी सफलता, न केवल शिक्षा बल्कि करुणा और सामाजिक समर्पण की भी जीत है। हर्षिता का दूसरा स्थान एक संदेश है – जब लक्ष्य बड़ा हो और नीयत साफ हो, तो रास्ता खुद-ब-खुद बनता है।

अहमदाबाद की मार्गी शाह ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बावजूद समाजशास्त्र को वैकल्पिक विषय चुना। गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से स्नातक मार्गी का समाज से जुड़ाव इतना गहरा था कि उन्होंने टेक्नोलॉजी की दुनिया छोड़कर सिविल सेवा की राह चुनी। मार्गी की यह कामयाबी यह बताती है कि एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट भी समाज को बेहतर दिशा दे सकता है—बस नजरिया और नीयत साफ होनी चाहिए।

आयुषी की कहानी सच्चे मायनों में प्रेरणा देने वाली है। 2022 में 188वीं और 2023 में 97वीं रैंक हासिल करने के बाद भी वे रुकी नहीं। इस बार उन्होंने सातवां स्थान प्राप्त किया। बचपन में पिता को खो देने के बाद, उनकी मां ही उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा बनीं। आयुषी ने IIT के लिए दिल्ली की राह पकड़ी, मैकेंज़ी जैसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया, और फिर अपनी आत्मा की पुकार सुनते हुए UPSC का रास्ता चुना। आज उनकी यह उड़ान कई बेटियों के लिए आशा की किरण बन चुकी है।

दूसरे प्रयास में सफलता पाने वाली कोमल पूनिया ने सहारनपुर जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रौशन कर दिया। उनके लिए ये यात्रा आसान नहीं रही, लेकिन उनकी मेहनत और दृढ़ता ने सब कुछ संभव बना दिया। कोमल की यह कामयाबी बताती है कि अगर आपके भीतर जुनून हो, तो दोहराव भी अवसर बन सकता है। उनका सफर इस बात का प्रतीक है कि असली जीत सिर्फ पहले प्रयास में नहीं, बल्कि बार-बार प्रयास करने की हिम्मत में छिपी होती है।

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