उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी जिसे धार्मिक नगरी कहा जाता है. यहां भारी संख्या में संत समाज एक जुट होकर मिलके चलते है लेकिन मंगलवार को उस वक्त हड़कंप मच गया ज़ब महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी ने जहर खा लिया.उन्हें गंभीर हालत मे जिला चिकित्सालय अस्पताल पहुंचाया गया.बता दें कि महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी पर एक दिन पहले धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज किय गया था.उनके बाद उन्होंने यह कदम उठाया है.
किन किन के साथ हुई ठगी
अखाडा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपूरी महाराज ने प्रेस से चर्चा कर बताया कि महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी ऐसा करेगी कभी आभास नहीं था.आज मेरे उज्जैन आने पर यह धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. जिसमे महंत सुरेश्वरानंद पुरी महाराज ने आरोप लगाया कि महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी उर्फ ममता जोशी ने उन्हें प्रलोभन दिया की उन्हें श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर की उपाधि दिलवा देंगी जिसके बाद महंत सुरेश्वरानंद ने झांसे में आकर उन्हें 7 लाख 50 हजार रुपए दे दिये थे.जब उपाधि नहीं मिली तो सुरेश्वरानंद ने अपने रुपए वापस मांगे तो महामंडलेश्वर मन्दाकिनी ने रुपए देने से इंकार कर दिया.उन्होंने यह भी बताया एक नहीं करीब 7 लोग सामने आ गए है जिनमे सुरेश्वरानंद पूरी महाराज के बाद भगवान बापू उनसे भी 16 लाख रूपये कि मांग कि गईं और प्रलोभन दिया गया कि महामंडलेश्वर बना देंगे. इसके बाद वर्षा नागर जो कि कुछ समय पहले ही महामंडलेश्वर की उपाधि मिली है. उनसे भी 35 लाख रुपयों कि मांग कि गईं और प्रलोभन दिया गया कि उन्हें गौ सेवा आयुक्त का अध्यक्ष बनाया जायगा. और भी कई नाम सामने लगातार आ रहे है.
साधुओं पर साजिश करने का लगाया आरोप
फिनाइल पीने से कुछ देर पहले साध्वी मंदाकिनी ने बताया कि सुरेश्वरानंद ने अप्रैल माह में हुए सामूहिक विवाह में कन्यादान और यज्ञ के लिए साढ़े सात लाख रुपये दान दिए थे. यह राशि महामंडलेश्वर उपाधि दिलाने के नाम पर नहीं थी,लेकिन बाद में सुरेश्वरानद उन पर पदवी दिलवाने के लिए दबाव बनाने लगा. सुरेश्वरानद ने कमरे में बंद कर गोली मारने की भी धमकी दी.
अखाडा परिषद के अध्यक्ष कहा
रविंद्र पुरी जी महाराज जो की अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष है.उनका यह कहना है के साध्वी मंदाकिनी पुरी को ये कार्य शोभा नबी देता साधु का तो जीवन ही दुसरो के लिए होता है और उन्होंने अपने जीवन का सोचते हुए लोगो के साथ ठगी की है. यह उन्होंने बहुत गलत किया. मैं इसका पूर्णत विरोध करता हूं.और उनको महामंडलेश्वर पद से हटाने के साथ-साथ संत समाज से भी बहिष्कार करता हूं।