एक गिलास हल्का पीला दूध… जिसे आप प्रेम से ‘गोल्डन मिल्क’ कहते हैं… आयुर्वेद में अमृत तुल्य माना जाता है। लेकिन क्या हो अगर वही अमृत आपको गर्मी में बेचैन कर दे, नींद उड़ा दे, और शरीर को जला दे? जी हां, जिस हल्दी वाले दूध को हम अक्सर सर्दियों में पीते हैं, वही गर्मियों में गलत तरीके से लेने पर नुकसानदायक भी हो सकता है। यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि विशेषज्ञों की चेतावनी है। सवाल ये है कि क्या गर्मी में हल्दी वाला दूध पीना चाहिए या नहीं? और अगर हां, तो कैसे?
सबसे पहले बात करते हैं इसके फायदों की। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल एजेंट है। गर्मियों के मौसम में वायरल संक्रमण और डिहाइड्रेशन से लड़ने में यह मदद करता है। अगर आप धूप और धूल से परेशान हैं, तो हल्दी वाला दूध आपकी त्वचा को भीतर से डिटॉक्स करता है और चमक लौटाता है। साथ ही, गैस, अपच और सूजन जैसी पेट की समस्याओं से भी राहत मिलती है। जो लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं, उनके लिए भी सोने से पहले एक गिलास हल्दी दूध रामबाण हो सकता है।
जहां हल्दी और दूध दोनों ही फायदेमंद हैं, वहीं दोनों की प्रकृति “गर्म” मानी जाती है। यही कारण है कि गर्मियों में इसका अधिक सेवन आपके शरीर को और अधिक गर्म कर सकता है। यदि आपने ज्यादा मात्रा में या गलत समय पर इसे पी लिया तो पेट में जलन, मुंह में छाले, अत्यधिक पसीना और पेट फूला हुआ महसूस हो सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से गर्म तासीर वाले हैं, यह नुकसानदेह हो सकता है। यानी अमृत और ज़हर के बीच की रेखा बस एक गलती जितनी पतली है।
विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मियों में हल्दी वाला दूध रात को सोने से एक घंटे पहले, हल्के गुनगुने रूप में ही पिया जाना चाहिए। इसकी मात्रा भी सीमित होनी चाहिए — एक गिलास दूध में सिर्फ 1/4 चम्मच हल्दी। यह संयोजन न सिर्फ शरीर को नुकसान से बचाता है, बल्कि नींद और पाचन में भी सुधार करता है। कभी भी दिन के तपते समय या दोपहर के भोजन के बाद इसे न लें, नहीं तो यह शरीर में अतिरिक्त गर्मी पैदा कर सकता है।