डोनाल्ड ट्रंप जल्द ही संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं। उन्होंने सत्ता संभालते ही कार्यकारी आदेशों की बौछार करने का ऐलान किया है। ट्रंप ने वादा किया है कि वह इन आदेशों के माध्यम से अमेरिकी नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन लाएंगे। उन्होंने बाइडन प्रशासन द्वारा लागू किए गए कई विवादास्पद और तथाकथित ‘विनाशकारी’ आदेशों को पलटने की घोषणा की है। ट्रंप का यह कदम एक बार फिर से उनके आक्रामक प्रशासनिक शैली की झलक दिखाता है। आइए जानते हैं, कार्यकारी आदेश क्या होते हैं और उन्हें कैसे बदला जा सकता है।
कार्यकारी आदेश वह आदेश हैं जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति एकतरफा रूप से लागू कर सकते हैं। यह कानून के समान प्रभावी होते हैं और इनमें किसी भी विधायिका की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में 220 कार्यकारी आदेश जारी किए थे, जिनमें मुस्लिम बहुल देशों पर यात्रा प्रतिबंध और समुद्री जल क्षेत्रों को लीज पर देने जैसे आदेश शामिल थे। वहीं, राष्ट्रपति जो बाइडन ने अब तक अपने कार्यकाल में 155 आदेश जारी किए हैं। कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर के बाद यह आदेश तुरंत या कभी-कभी महीनों बाद प्रभावी हो सकता है, यह उस आदेश की प्रकृति और किसी फेडरल एजेंसी की औपचारिक कार्रवाई पर निर्भर करता है।
अमेरिकी संविधान और कांग्रेस द्वारा दिए गए अधिकारों के बाहर कोई भी कार्यकारी आदेश नहीं बनाया जा सकता। यदि कोई आदेश संघीय कानूनों का उल्लंघन करता है तो अदालतें और कांग्रेस उसे रद्द कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, 2017 में ट्रंप के यात्रा प्रतिबंध आदेश को न्यायालय ने रोक दिया था, और 2023 में बाइडन द्वारा कोविड-19 टीकाकरण को अनिवार्य करने वाले आदेश को भी अदालत ने अवरुद्ध कर दिया था। यह स्पष्ट है कि कार्यकारी आदेशों का प्रभावी क्रियान्वयन शक्ति और संतुलन के सिद्धांतों के अधीन होता है।





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