चार वर्ष बाद फिर फरवरी में कांग्रेस के लिए संकट खड़ा हो गया है। कमल नाथ के भाजपा में जाने की सुगबुगाहट है।
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि कमल नाथ का कांग्रेस से किनारा करना लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित होगा।
भोपाल। 4 वर्ष बाद एक बार फिर फरवरी में कांग्रेस पर संकट गहराता नजर आ रहा है। वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा था। अब फिर वही स्थिति बन रही है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस बड़ी टूट की कगार पर खड़ी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के भाजपा में जाने की सुगबुगाहट ने कांग्रेस को बैचेन कर दिया है। उन्होंने अब तक अपने समर्थकों को कोई संदेश नहीं दिया है, जिससे नेताओं को समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्या करें। हालांकि, सज्जन वर्मा सहित कई नेताओं ने अपनी इंटरनेट मीडिया फेसबुक और एक्स पर प्रोफाइल बदल ली है।
*सिंधिया खेमे का दलबदल*
गुना लोकसभा से चुनाव हारने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में हाशिए पर चले गए थे। न तो संगठन में उनकी कोई पूछपरख हो रही थी और न ही कमल नाथ सरकार में कोई सुनवाई हो रही थी। इससे आहत होकर आखिरकार उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया और फरवरी 2020 में उनके समर्थक मंत्री-विधायक इकट्ठे हुए। दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ली और मार्च 2020 में विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। कमल नाथ सरकार अल्पमत में आ गई और अंतत: उन्हें 20 मार्च 2020 को त्यागपत्र देना पड़ा।
*चार वर्ष बाद फिर संकट*
चार वर्ष बाद फिर फरवरी में कांग्रेस के लिए संकट खड़ा हो गया है। कमल नाथ के भाजपा में जाने की सुगबुगाहट है। वे पिछले तीन दिन से लगातार छिंदवाड़ा में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे थे लेकिन भाजपा में उनके जाने की अटकलों का खंडन किसी भी मंच से नहीं किया। इसके उलट वे जो संकेत दे रहे हैं, उससे संदेह गहरा रहा है। शनिवार को ही छिंदवाड़ा जिले में उन्हें नई विकास यात्रा की बात कही। कमल नाथ के भाजपा में जाने की आहट से प्रदेश में कांग्रेस बड़ी टूट की कगार पर खड़ी हो गई है।उनके समर्थक खुलकर कह रहे हैं कि जहां कमल नाथ वहां हम यानी वे भाजपा में जाते हैं तो बड़ी संख्या में नेता व कार्यकर्ता उनके पीछे चल देंगे। इसमें कई विधायक भी शामिल हैं, जिनकी सियासत कमल नाथ से शुरू होती है और उन पर ही खत्म।
*लोकसभा के पहले कांग्रेस के लिए होगा बड़ा झटका*
पार्टी नेताओं का मानना है कि कमल नाथ का कांग्रेस से किनारा करना लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित होगा। जब सिंधिया में कांग्रेस छोड़कर गए थे, तब उनके साथ 22 विधायक भाजपा में चले गए थे। इसके बाद छह विधायकों ने और कांग्रेस छोड़ी। 28 सीटों उपचुनाव हुआ और उसमें कांग्रेस केवल नौ सीट पर ही वापसी कर सकी थी। उधर, पूर्व विधायक, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर पार्टी पदाधिकारी बड़ी संख्या में भाजपा का दामन थाम चुके हैं। पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने इंटरनेट मीडिया पर अपनी प्रोफाइल बदल ली। उन्होंने इंदौर में कहा कि मैं कमल नाथ के साथ 40 वर्षों से जुड़ा हूं। वे ही मेरे नेता हैं। वे जहां रहेंगे, मैं भी उनके साथ रहूंगा।
Top News: कांग्रेस के लिए 4 साल बाद फिर संकट की फरवरी, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के भाजपा में जाने की सुगबुगाहट से पार्टी बैचेन
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