Friday, December 5, 2025

तीन घंटे की बारिश ने खोली दिल्ली की पोल, स्मार्ट सिटी या सियासी तमाशा?

सोचिए… देश की राजधानी दिल्ली में सिर्फ कुछ घंटों की बारिश कैसे उजागर कर देती है एक दशक से अधिक पुराने सिस्टम की सड़न?
हर सड़क नदी बन गई, हर कार नाव। बारिश की बूंदें आसमान से नहीं, सरकार की नाकामी पर टपकती शर्म की बूंदें बन गईं।
लेकिन असली सवाल ये है — क्या ये सिर्फ मौसम का कहर है, या सिस्टम की नालायकी का सबूत?

दिल्ली-NCR में शुक्रवार सुबह शुरू हुई भारी बारिश ने देखते ही देखते शहर को थाम दिया। जलजमाव के कारण कई गाड़ियाँ सड़कों पर बंद हो गईं, जिससे जगह-जगह जाम की स्थिति बन गई। बारिश इतनी जबरदस्त थी कि दिल्ली फायर सर्विस को एक दिन में कुल 98 कॉल्स आईं — जिनमें अधिकतर कॉल पेड़ गिरने, बिजली के तार टूटने और तेज हवाओं से हुए नुकसान से जुड़ी थीं। वहीं दिल्ली एयरपोर्ट से जुड़ी उड़ानें भी बुरी तरह प्रभावित रहीं — तीन फ्लाइट्स को डायवर्ट करना पड़ा और 100 से अधिक उड़ानों में देरी हुई।

बारिश के बाद, राजनीतिक गलियारे में भी गरज-बरस शुरू हो गई। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हालात को स्वीकार करते हुए इसे ‘सिस्टम के लिए अलार्म’ बताया। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि “केजरीवाल शीशमहल में साउंडप्रूफ घर में सो रहे होंगे, उन्हें नहीं पता कि कहां पेड़ गिरा है।” वहीं, दिल्ली की सड़कों पर खुद को सक्रिय सरकार बताते हुए उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रशासन जनता के साथ खड़ा है।

लेकिन आम आदमी पार्टी ने पलटवार करते हुए इसे “चार इंजन की सरकार की लाचारी” करार दिया। मंत्री गोपाल राय और मनीष सिसोदिया ने सोशल मीडिया पर BJP को घेरते हुए लिखा कि “ट्रिपल इंजन सरकार के सारे इंजन सिर्फ अरविंद केजरीवाल को घेरने में लगे हैं, दिल्ली का हाल देखें।”

राजधानी के कई इलाके जैसे मयूर विहार, लक्ष्मी नगर, द्वारका, पालम और सराय काले खां में जलभराव की वजह से हालात बदतर हो गए। स्थानीय निवासी बाढ़ जैसी स्थिति में फंसे दिखे। दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर भी सेवाएं प्रभावित हुईं — सदर बाजार से टर्मिनल 1 एयरपोर्ट सेक्शन तक देरी की सूचना मिली।

लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया। एक वायरल वीडियो में एक ऑटो पूरी तरह पानी में डूबा दिखा, तो वहीं कई दोपहिया वाहन जलस्रोत में बहते नजर आए।

इस पूरी स्थिति ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या दिल्ली एक स्मार्ट सिटी है या सिर्फ एक सियासी अखाड़ा?
जब राजधानी में सिर्फ 3 घंटे की बारिश इतनी तबाही मचा सकती है, तो फिर सालों के बजट और योजनाओं का क्या हुआ? किसने जल निकासी परियोजनाओं पर नजर डाली? और जनता की आवाज तब क्यों सुनी जाती है जब वह सोशल मीडिया पर ट्रेंड बन जाए?

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