Thursday, October 31, 2024

thekhabardarnews; MP की सबसे लंबी रेल टनल; VIDEO:3.33 किलोमीटर की इस सुरंग में लगेंगे 50 CCTV

मध्यप्रदेश की सबसे लंबी सिंगल लेन रेलवे टनल बनकर तैयार है। 3.33 किलोमीटर (3338 मीटर) लंबी सुरंग रीवा के गोविंदगढ़ में छुहिया घाटी को काटकर बनाई गई है। सुरंग रीवा और सीधी के बीच ललितपुर-सिंगरौली रेलवे लाइन पर है। 10 किलोमीटर की घुमावदार चढ़ाई वाले रास्ते को रेलवे ने टनल बनाकर 3.33 किलोमीटर में समेट दिया है। यानी इस टनल से 7 किलोमीटर दूरी कम हो गई है।

MP की सबसे लंबी रेल सुरंग बनकर तैयार है। इसके दोनों ओर रेलवे ट्रैक बिछाने का काम बाकी है। 3.33 किलोमीटर लंबी इस सुरंग की सुरक्षा हाईटेक होगी। यह कई मायनों में प्रदेश की ऐसी पहली सुरंग है।

सुरंग के एक तरफ रीवा का गोविंदगढ़, तो दूसरी तरफ सीधी जिले का बघवार है। सुरंग के अंदर 50 से ज्यादा हाईटेक CCTV कैमरे लगाए जाएंगे। इसमें अलग-अलग तरह की 50 से 100 हाई मास्ट लाइट भी लगाई जाएंगी। एहतियात के तौर पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए बंकर बनाए गए हैं। यदि रेलगाड़ी सुरंग के अंदर रुक जाएगी तो तुरंत कंट्रोल रूम को अलर्ट का मैसेज जाएगा। साथ ही जगह-जगह अनाउंसमेंट की भी व्यवस्था की गई है।

पश्चिम मध्य रेलवे के CPRO राहुल श्रीवास्तव कहते हैं कि रीवा जिले को सिंगरौली से रेल लाइन द्वारा जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना में गोविंदगढ़ स्थित छुहिया घाटी पर बनी रेलवे सुरंग एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। इसके बनने से सड़क मार्ग का दबाव कम होगा। समय की बचत होगी। साथ ही रेलवे के माल भाड़े का आवागमन भी सुगम होगा।

रीवा जिले का गोविंदगढ़ स्टेशन से आगे बढ़ने पर ट्रेन टनल में प्रवेश करेगी। 3.33 किलोमीटर लंबी इस टनल में रेलगाड़ी रुकते ही कंट्रोल रूम को अलर्ट का मैसेज जाएगा। इसके लिए अनाउंसमेंट की भी व्यवस्था की गई है।

रीवा जिले का गोविंदगढ़ स्टेशन से आगे बढ़ने पर ट्रेन टनल में प्रवेश करेगी। 3.33 किलोमीटर लंबी इस टनल में रेलगाड़ी रुकते ही कंट्रोल रूम को अलर्ट का मैसेज जाएगा। इसके लिए अनाउंसमेंट की भी व्यवस्था की गई है।

ब्रॉडगेज सिंगल लाइन की होगी टनल…
रीवा-सीधी के बीच नई रेल लाइन परियोजना के अंतर्गत बनने वाले गोविंदगढ़-बघवार स्टेशनों के बीच 3338 मीटर लंबाई की ब्रॉडगेज सिंगल लाइन अंडरग्राउंड रेलवे टनल का निर्माण पूरा हो गया है। रेलवे लाइन पर ट्रेन चलने से लोडिंग वाहनों का दबाव कम हो जाएगा। अधिकतर परिवहन मालगाड़ियों से होने लगेगा।

रेलवे ने इस टनल को नंबर वन का नाम दिया है। इसका निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसके चालू होने के बाद सड़क मार्ग पर माल भाड़े के आवागमन का दबाव कम होगा। रेलवे अफसर का कहना है कि इससे समय की बचत भी होगी।

रेलवे ने इस टनल को नंबर वन का नाम दिया है। इसका निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसके चालू होने के बाद सड़क मार्ग पर माल भाड़े के आवागमन का दबाव कम होगा। रेलवे अफसर का कहना है कि इससे समय की बचत भी होगी।

सुरंग को मजबूती देने रॉक बोल्ट लगाए गए हैं…
सुरंग को मजबूती देने के लिए अतिरिक्त रॉक बोल्ट लगाए गए हैं। इस निर्माण में इंजीनिरिंग के अलावा भौगोलिक संरचना काे ध्यान में रखा गया है। पश्चिम मध्य रेलवे ने रीवा-सीधी-सिंगरौली की इस 165 किमी लंबी नई रेल लाइन परियोजना को साल 2022 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

टनल के अंदर एक तरफ सड़क बनाई गई है, जिससे आपात स्थिति में टनल के अंदर वाहनों की आवाजाही हो सके। इससे रेलगाड़ी या टनल में कोई गड़बड़ी आने पर सुधार कार्य जल्दी किया जा सकेगा।

टनल के अंदर एक तरफ सड़क बनाई गई है, जिससे आपात स्थिति में टनल के अंदर वाहनों की आवाजाही हो सके। इससे रेलगाड़ी या टनल में कोई गड़बड़ी आने पर सुधार कार्य जल्दी किया जा सकेगा।

सीधी का पहला रेलवे स्टेशन रघुनाथपुर में बन रहा
रीवा-सीधी-सिंगरौली की इस रेलवे लाइन में बांसा के बाद सीधी जिले का पहला रेलवे स्टेशन रघुनाथपुर रहेगा। बांसा और रघुनाथपुर के बाद रामपुर नैकिन, चुरहट और इसके बाद सीधी रेलवे स्टेशन तक का सफर इस मार्ग से किया जा सकेगा।

इस टनल और यहां से बिछाई जाने वाली रेल लाइन से सीधी जिले के 91 गांव प्रभाावित हुए हैं। इसका काम जून 2017 में शुरू किया गया। टनल के अंदर और बाहर अभी रेलवे ट्रैक बिछाने का काम अभी बाकी है। अफसरों का कहना है कि यह कार्य भी जल्दी पूरा किया जाएगा।

इस टनल और यहां से बिछाई जाने वाली रेल लाइन से सीधी जिले के 91 गांव प्रभाावित हुए हैं। इसका काम जून 2017 में शुरू किया गया। टनल के अंदर और बाहर अभी रेलवे ट्रैक बिछाने का काम अभी बाकी है। अफसरों का कहना है कि यह कार्य भी जल्दी पूरा किया जाएगा।

मई 2017 में शुरू हुआ था निर्माण
पश्चिम मध्य रेलवे की महत्वाकांक्षी ललितपुर-सिंगरौली रेलवे परियोजना में सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य छुहिया घाटी में इस सुरंग का ही निर्माण करना था। इसका आदेश मई 2017 में जारी हुआ था। जमीन संबंधी अड़चनों को दूर करने में छह माह लग गए। कंपनी ने जून 2017 में काम शुरू किया। इस रेलवे लाइन से सीधी जिले के 91 गांव प्रभावित हुए हैं। रेलवे ने जमीन अधिग्रहण करने के एवज में 1900 लोगों को नौकरी भी दी है।

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