thekhabardarnews; हमें जंगल में रखा… पानी तक नहीं दिया:ठेकेदार के चंगुल से छूटकर लौटे 75 मजदूर

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मध्यप्रदेश के मजदूरों को महाराष्ट्र में बंधक बनाकर काम कराने का मामला सामने आया है। पुलिस उनको छुड़ाकर ले आई है। मजदूरों का कहना है कि बिना मजदूरी दिए उनसे काम कराया गया। उनको जंगल में रखा गया।

महाराष्ट्र के सोलापुर में 16 दिन से बंधक 75 मजदूरों की मध्यप्रदेश वापसी हो गई है। जबलपुर पुलिस सभी को शनिवार को ट्रेन से लेकर लौटी। मजदूरों को गन्ने की कटाई के लिए महाराष्ट्र ले जाया गया था। ठेकेदार ने उन्हें वहां बंधक बनाकर रख लिया और बिना रुपए दिए काम कराता रहा। दैनिक भास्कर ने इन मजदूरों से बात की।

पहले जान लेते हैं कि मजदूर कैसे छूटे…

सभी 75 मजदूर जबलपुर की पाटन और सिहोरा विधानसभा के मंझोली व खितोला गांव के रहने वाले हैं। जबलपुर का रहने वाला वीरेंद्र तिवारी गन्ने की फसल काटने के लिए सभी को महाराष्ट्र लेकर गया था। मजदूरों को कहा था कि 400 रुपए दिहाड़ी मिलेगी। वहां ले जाकर मजदूरों से काम करवाया, लेकिन मजदूरी नहीं दी। मजदूरी मांगने पर ठेकेदार ने सभी को बंधक बना लिया। निगरानी के लिए पहरेदार बैठा दिए।

विधायक का नम्बर मिला तो आपबीती बताई
दो-चार मजदूरों के पास मोबाइल थे। उन्होंने रिश्तेदारों को फोन किए और अपना हाल बताया। कहीं से उन्हें विधायक अजय विश्नोई का नंबर मिला, तब जाकर उन्होंने विधायक को अपनी आपबीती बताई। विधायक ने पुलिस से सम्पर्क किया। इसके बाद जबलपुर पुलिस महाराष्ट्र पहुंची। महाराष्ट्र पुलिस और जबलपुर पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन चलाकर सभी मजदूरों को मुक्त करा लिया।

मजदूर 30 घंटे का सफर कर शनिवार को जबलपुर पहुंचे। यहां से बसों के जरिए उन्हें उनके गांवों के लिए रवाना किया गया।

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अब जानते हैं मजदूरों की कहानी, उन्हीं की जुबानी…

हमें जंगल में एक घर में रखा था…
सोलापुर गईं सोना बाई इस सदमे से नहीं निकल पा रहीं कि उन्हें किस तरह वहां बंधक बनाकर रखा गया था। वे बताती हैं कि 400 रुपए दिहाड़ी का कहकर उन्हें ले जाया गया था। गांव के दूसरे लोग भी थे। ठेकेदार के बंधन में ऐसी हालत हो गई थी कि पीने को पानी तक नहीं मिल पा रहा था। ठेकेदार से बोला कि त्योहार में घर जाने दो, तो वह नाराज हो गया। हम सभी को जंगलनुमा जगह ले जाकर एक घर में रखा। वहां ठेकेदार के आदमी हम पर नजर रखते थे। मजदूरी मांगने पर गालियां मिलती थीं।

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सोना बाई और जुगुन सिंह। मजदूरों का कहना है कि जहां उन्हें रखा गया था, वहां ठीक से पानी तक नहीं नसीब होता था।

बोलते थे- दलाल पैसे ले गए हैं, वो लौटाएंगे तभी जाने देंगे
मजदूर जुगुन सिंह को उम्मीद नहीं थी कि वो कभी अपने घर वापस आ सकेंगे। यही वजह है कि वह अपने साथ हो रही हर घटना को कागज में लिख रहे थे। महाराष्ट्र से लौटकर जबलपुर आने के बाद जुगुन ने वह कागज हमें बताया। इसमें वो सब बातें लिखी हुईं थीं, जो हां मजदूरों के साथ हो रही थीं।

जुगुन ने बताया कि हम लोगों को वीरेंद्र तिवारी नाम का व्यक्ति जबलपुर-नागपुर बस में लेकर गया था। हमें नागपुर-कर्नाटक बॉर्डर पर एक गांव में रखा गया था। वहां से आने नहीं दिया जा रहा था। कहा जाता था कि दलाल पैसे ले गए हैं, जब तक वह लोग नहीं आते, तब तक तुम लोग यहीं रहोगे।

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सोलापुर में फंसने के बाद मजदूर जुगुन सिंह को उम्मीद नहीं थी कि वो लौटकर कभी अपने घर वापस आ सकेंगे। यही वजह है कि वह अपने साथ हो रही बातों को कागज में लिख रहे थे।

ठेकेदार भाग निकला…
जबलपुर और महाराष्ट्र पुलिस जब मजदूरों को लेने पहुंची, तो वह भाग निकला। विधायक अजय विश्नोई ने बताया कि उनके पास मजदूरों का फोन आया था। वे कह रहे थे- हमें बचाओ, हम फंस गए हैं।

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