प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान चर्चा में आए कथित संत ‘IIT वाले बाबा’ का सच सामने आ गया है। जूना अखाड़ा ने उन्हें अपने अखाड़े से बाहर कर दिया है और उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जूना अखाड़े के महंतों का कहना है कि यह व्यक्ति अखाड़े का सदस्य नहीं था और उसकी हरकतें संत समाज की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रही थीं। संत कर्पूरी जी ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया, “वह मवाली जैसा व्यवहार करता था, न कोई साधु था, न किसी का शिष्य। हमने उसे मारकर भगा दिया क्योंकि वह हमारे अखाड़े को बदनाम कर रहा था।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभय सिंह नामक यह व्यक्ति घूमते-फिरते आया था और किसी के माध्यम से नहीं जुड़ा था।
बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर अभय सिंह नाम के इस कथित संत की चर्चा जोरों पर थी। खुद को आईआईटी का पढ़ा-लिखा बताने वाला यह व्यक्ति खुद को जूना अखाड़े से जुड़ा महंत भी कह रहा था। मीडिया में ऐसी भी खबरें आईं कि वह महंत सोमेश्वर पुरी का शिष्य है। हालांकि, जूना अखाड़े ने इन सभी दावों को नकारते हुए कहा कि सोमेश्वर पुरी का नाम केवल दिखावा था। महंत सोमेश्वर पुरी की मृत्यु बीस वर्ष पहले हो चुकी है, ऐसे में उनके शिष्य होने का दावा पूरी तरह झूठा है। अखाड़े ने यह भी कहा कि अभय सिंह की गतिविधियों से पूरा संत समाज सतर्क हो गया था और उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
महंत कर्पूरी जी ने अभय सिंह को लेकर कहा कि वह क्रैक माइंड था, यानी मानसिक रूप से अस्थिर और पूरी तरह से गृहस्थ जीवन जीता था। संत समाज में उसकी हरकतें असहनीय हो गई थीं। उन्होंने बताया, “वह पहचान छिपाकर अखाड़े में कई दिनों तक टिका रहा और साधु होने का नाटक करता रहा। वह यहां-वहां टेंट बदलता, लोगों से खाना खाता और गायब हो जाता। उसकी मक्कारी का सच सामने आते ही सभी ने उसे भगाने का फैसला किया।” जूना अखाड़े ने यह कदम अपनी साख और मर्यादा बनाए रखने के लिए उठाया, और अब इस पूरे प्रकरण को लेकर आक्रोशित हैं।