हिंदी बेल्ट के 3 बड़े राज्यों MP, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा इलेक्शन में कांग्रेस की बुरी हार के बाद इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इनक्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A में सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। एक तरफ जहां PM फेस के लिए खड़गे या नीतीश पर आम राय नहीं बन पाई, वहीं दूसरी तरफ UP, बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला ही नहीं बन पा रहा।

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19 दिसंबर को दिल्ली में I.N.D.I.A. की मीटिंग हुई। PM फेस पर चर्चा हुई तो ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस प्रेसिडेंट मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे बढ़ा दिया। इसके बाद JDU असहज नजर आने लगी, क्योंकि बिहार के CM नीतीश कुमार का नाम पहले से ही PM कैंडिडेट के लिए चल रहा है।पॉलिटिकल एक्सपर्ट के मुताबिक खड़गे के नाम पर लोकसभा चुनाव में OBC और दलित वोटर जोड़ने का प्लान है। हालांकि, इलेक्शन जीते तो खड़गे राजनीतिक त्याग करके नीतीश का नाम PM पद के लिए बढ़ा सकते हैं।

19 दिसंबर, 2023 को दिल्ली में I.N.D.I.A की मीटिंग हुई थी। 28 दलों के नेता इसमें शामिल हुए थे।
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1. UP, बंगाल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा।
2. BJP के सनातन और भगवा जैसे मजबूत मुद्दे की काट क्या होगी।
3. गठबंधन का PM फेस कौन होगा।
19 दिसंबर को दिल्ली में I.N.D.I.A की मीटिंग हुई। इसमें विपक्ष की तरफ से PM कैंडिडेट के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आया। अचानक खड़गे का नाम कैसे उछाल दिया गया, इसे समझने के लिए हमने जनता दल यूनाइटेड यानी JDU नेता केसी त्यागी से बात की
I.N.D.I.A गठबंधन में क्या चल रहा है, लोकसभा चुनाव के लिए क्या रणनीति होने वाली है, सीट शेयरिंग पर कैसे फैसला हो सकता है, अलायंस में शामिल पार्टियां दलित वोटर्स को कैसे साधेंगी, पढ़िए इस रिपोर्ट में…
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कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि I.N.D.I.A में सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय करने दिक्कत आ रही है और इसी पॉइंट पर अभी बात चल रही है। PM फेस के नाम पर भी मीटिंग के अंदर कोई बात नहीं हुई है। कुछ नेता बाहर निकलकर जो बातें कह रहे हैं, वो सही नहीं है। 4 पॉइंट में समझिए I.N.D.I.A. गठबंधन कहां उलझ रहा है-
1. सीट शेयरिंग फॉर्मूला
दिल्ली में चल रही विपक्षी दलों की बैठक का कोर एजेंडा सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय करना है। सभी दलों की सहमति से अगर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला आ गया तो ये I.N.D.I.A की बड़ी कामयाबी होगी, लेकिन इतने दलों के बीच ये टेढ़ी खीर है।
MP, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे राज्यों में कांग्रेस का दावा मजबूत है और इन राज्यों में सारी सीटों पर कांग्रेस ही लड़ेगी, ये बात लगभग तय हो चुकी है। तमिलनाडु में DMK और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर ज्यादा विवाद नहीं है, लेकिन UP, पंजाब, दिल्ली, बिहार, बंगाल और महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग पर पेंच फंसा है।

- अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। ऐसे में कांग्रेस आम आदमी पार्टी को कितनी सीटें देगी, इस पर सहमति नहीं बन पा रही है।
- बंगाल में TMC बड़ी पार्टी है, लेकिन लेफ्ट और कांग्रेस भी चाहेंगी कि उन्हें सीटें मिले। क्या ममता बनर्जी कुछ सीटें देने पर समझौता करेंगी? बिहार में JDU और RJD के बीच कांग्रेस की कितनी चलेगी?
- महाराष्ट्र में शिवसेना (UBT), NCP (शरद पवार) और कांग्रेस के बीच सीटें कैसे बंटेंगी? केरल में कांग्रेस और लेफ्ट के बीच कितनी सीटों पर बात बनेगी?
- इसी तरह UP में अखिलेश यादव की सपा और कांग्रेस के बीच सीटों पर बात नहीं बन पा रही है।
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2. I.N.D.I.A. का चेहरा कौन
I.N.D.I.A का चेहरा यानी PM कैंडिडेट रखा जाए या नहीं, इस पर मुंबई में फैसला हो चुका है। मुंबई में 31 अगस्त से एक सितंबर के बीच हुई मीटिंग में तय हुआ था कि I.N.D.I.A किसी एक नेता को अपना चेहरा नहीं बनाएगा, लेकिन गठबंधन की 19 दिसंबर को दिल्ली में मीटिंग हुई तो ममता बनर्जी और केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का नाम उछाल दिया।
खड़गे के नाम पर शिवसेना, DMK जैसी पार्टियां एकजुट होंगी या नहीं, ये तय नहीं है। चेहरे को लेकर हो रही बहस से I.N.D.I.A की एकजुटता के धागे भी खुलते दिख रहे हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है कि खड़गे का नाम लेना ममता और केजरीवाल की रणनीति भी हो सकती है, क्योंकि वे नीतीश और RJD को आगे नहीं आने देना चाहेंगे।
PM कैंडिडेट का चेहरा देखकर वोट करना वोटर्स को पसंद
पिछले दोनों लोकसभा इलेक्शन में BJP ने जिस तरह से नरेंद्र मोदी का चेहरा रखकर चुनाव अभियान चलाया, उससे पार्टी को उम्मीद से ज्यादा कामयाबी मिली। पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि लोकसभा इलेक्शन में इंडियन वोटर अब PM उम्मीदवार का चेहरा देखकर वोट करना पंसद कर रहे हैं, इसीलिए I.N.D.I.A में भी चेहरे की मांग उठ रही है।
रशीद किदवई का मानना है, ‘I.N.D.I.A उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। राज्यों के विधानसभा चुनाव के पहले विपक्षी पार्टियों के बीच एक सर्वसम्मति थी कि PM पद के लिए कोई चेहरा नहीं होगा और लोकसभा चुनाव के बाद नेता तय किया जाएगा, लेकिन अब घटक दलों को महसूस हुआ है कि मोदी पर हमले के लिए कोई चेहरा होना जरूरी है।’
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