मध्य प्रदेश के रीवा शहर में कोरेक्स नशे की महामारी ने विकराल रूप ले लिया है। यह खतरनाक लत अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं रही, बल्कि किशोर लड़के-लड़कियों से लेकर वयस्क महिलाओं तक फैल चुकी है। स्थानीय लोगों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रीवा में यह नशा ‘माहौल’ के नाम से जाना जाता है, और इसकी खरीद-फरोख्त चोरी-छिपे जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार, कोरेक्स में मौजूद कोडिन एक नार्कोटिक तत्व है, जो शरीर को शिथिल कर देता है और व्यक्ति को धीमा व सुस्त बना देता है। डॉक्टरों का कहना है कि यह धीरे-धीरे शरीर और दिमाग दोनों को कमजोर कर देता है, जिससे युवाओं का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
कोरेक्स नशे के बढ़ते चलन के पीछे इसका चोरी-छिपे बिकना और इसके लिए खास कोड वर्ड्स का इस्तेमाल होना भी एक बड़ा कारण है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यदि कोई व्यक्ति मेडिकल स्टोर पर खड़ा होता है और कहता है, “माहौल चाहिए,” तो दुकानदार तुरंत समझ जाता है कि वह कोरेक्स मांग रहा है। इस गुप्त भाषा का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि पुलिस या किसी अन्य व्यक्ति को इस अवैध व्यापार की भनक न लगे। युवाओं के बीच यह ‘माहौल’ शब्द इतना प्रचलित हो चुका है कि अब यह नशे का पर्याय बन चुका है।
स्थानीय जानकारों के अनुसार, रीवा में कोरेक्स का नशा 2005 के आसपास शुरू हुआ था। पहले लोग पेन किलर या आयोडेक्स जैसी वस्तुओं का नशा करते थे, लेकिन कोरेक्स ने धीरे-धीरे इसे पूरी तरह से रिप्लेस कर दिया। नशे के आदी लोगों के अनुसार, कोरेक्स की खासियत यह है कि इसमें शराब की तरह गंध नहीं आती, जिससे परिवार को आसानी से पता नहीं चलता कि व्यक्ति नशे का आदी हो चुका है। यह नशा धीरे-धीरे युवाओं की जिंदगी तबाह कर रहा है, लेकिन इसके खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए हैं।
एक नशे के आदी युवक से जब पूछा गया कि वह इसे क्यों लेता है, तो उसका जवाब चौंकाने वाला था। उसने कहा, “इससे बेहतर नशा कोई नहीं, इससे शराब जैसी बदबू नहीं आती, और मजा भी ज्यादा आता है।” रिपोर्ट के मुताबिक, 16 साल के किशोरों से लेकर 35 वर्षीय महिलाएं तक इस नशे की गिरफ्त में हैं। यह स्थिति बताती है कि रीवा में नशे की इस महामारी ने पूरे समाज को अपनी चपेट में ले लिया है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रशासन इस नशे की बढ़ती लत को रोकने में पूरी तरह असफल रहा है। स्थानीय मेडिकल स्टोर्स पर यह अवैध रूप से उपलब्ध है, और पुलिस इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। समाज को अब इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा। अभिभावकों को अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखनी होगी, और प्रशासन को इस अवैध व्यापार पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। वरना, आने वाले वर्षों में यह लत और भी गहरी होती जाएगी और रीवा का भविष्य पूरी तरह अंधकारमय हो जाएगा।