सालों की मेहनत और परिजनों के संग बिताए गए समय की एक-एक पल की कीमत चुकानी पड़ी है उन परिवारों को, जो आज युद्ध की आहट से बिखर चुके हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव इतना बढ़ चुका है कि एक देश के नागरिकों को दूसरे देश के नागरिकों से मिलना तक मुश्किल हो गया है। अटारी बॉर्डर पर इस वक्त सैयद इमरान अली और उनकी पत्नी सैयद फिजा के परिवार की जैसी स्थिति है, वैसी ही कई और परिवारों की भी हो गई है। पाकिस्तान की नागरिक सैयद फिजा, जिनके पति और बच्चे भारतीय नागरिक हैं, आज खुद अपने ही घर से बिछड़ने के कगार पर हैं। अटारी बॉर्डर पर भारत-पाकिस्तान के बीच की स्थिति की वजह से उनके लिए भारत में कदम रखना अब मुमकिन नहीं रहा।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया। आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की जान ली और इसके बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। भारत ने पाकिस्तान से सभी नागरिकों को वापस लौटने का आदेश दे दिया, और अब पाकिस्तान से भारतीय नागरिकों को वापस आने का आदेश भी जारी हो चुका है। ऐसे में जिनकी पहचान दोनों देशों से जुड़ी हुई है, उनके लिए अपना घर या परिवार का हिस्सा बनाना अब नामुमकिन हो गया है।
सैयद इमरान अली और उनकी पत्नी फिजा का परिवार इस मुश्किल में फंसा हुआ है। इमरान और उनके बच्चे भारतीय नागरिक हैं, लेकिन फिजा का पासपोर्ट पाकिस्तान का है, और इस वजह से उसे भारत में प्रवेश नहीं दिया जा रहा। यही नहीं, फिजा का परिवार पाकिस्तान में भी अपनी जगह नहीं बना सकता, क्योंकि भारत सरकार ने उन्हें वापस लौटने का आदेश दिया है। सैयद की बहन अब बॉर्डर पर पहुंची हैं और अपनी भाभी को भारत आने की अनुमति दिलवाने की कोशिश कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन किया था, लेकिन इस अचानक हमले ने सबकुछ बदल दिया।
राजस्थान के शैतान सिंह की कहानी भी कम दर्दनाक नहीं है। पाकिस्तान में तय हुई उनकी शादी अब खतरे में है। बारात की पूरी तैयारी हो चुकी थी, लेकिन आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच सीमा बंद कर दी गई। शैतान सिंह की दुल्हन आज भी बारात का इंतजार कर रही है, लेकिन ये सवाल उठता है कि क्या ये शादी कभी हो पाएगी या नहीं?
सीएए के तहत नागरिकता की उम्मीद लेकर भारत आए पाकिस्तानी हिंदू परिवार अब एक और मुश्किल का सामना कर रहे हैं। वे सरकार द्वारा पाकिस्तान वापस भेजे जाने के आदेश का विरोध कर रहे हैं। दिलीप सिंह सोढ़ा जैसे शरणार्थी इस फैसले को पूरी तरह से गलत मानते हैं। उनका कहना है, “हमने पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न और अत्याचार झेले, अपना सब कुछ बेचकर भारत में शरण ली थी, लेकिन अब हमें वापस पाकिस्तान भेजने की बात हो रही है। यह हमारे साथ अन्याय है, हमें यहीं गोली मार दीजिए, कम से कम हमारी अस्थियां हरिद्वार में विसर्जित तो हो सकेंगी।






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