पिछले हफ्ते जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद से लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। इस हमले में 26 बेगुनाह नागरिकों की हत्या की गई थी, और अब यह सामने आया है कि इन आतंकियों को कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) का समर्थन मिल रहा था। इन मददगारों ने आतंकवादियों के साथ एनक्रिप्टेड ऐप्स के जरिए संपर्क किया था। सूत्रों के अनुसार, इन आतंकी गतिविधियों को चलाने में उच्च चीनी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें चीनी सेटेलाइट फोन और ऐप्स का उपयोग किया गया। यह घटना इस बात को और स्पष्ट करती है कि आतंकवादी नेटवर्क में विदेशों से भी सहयोग मिल रहा था।
हमले के बाद जांच में यह तथ्य सामने आया कि इन आतंकवादियों ने खासतौर पर पर्यटकों को निशाना बनाया था। आतंकियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी, जिसमें केवल पुरुषों को ही लक्ष्य बनाया गया था, जबकि महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया गया। हमलावरों ने पीड़ितों से धर्म पूछा, फिर कलमा पढ़वाया और कई लोगों की पैंट उतारकर उन्हें जांचने की कोशिश की। यह हमला समाज में भय और नफरत फैलाने के उद्देश्य से किया गया था, जिससे आतंकवादियों के मंसूबे को और भी क्रूरता से उजागर किया गया।
आतंकी संगठन के बारे में बड़ी जानकारी सामने आई है, जिसमें बताया गया कि इन आतंकियों ने पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इन आतंकियों में से दो पाकिस्तान के ही निवासी थे, जिनकी मदद से यह हमले को अंजाम दिया गया। इस खुलासे ने भारत सरकार को और भी सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है, और इसके मद्देनजर भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त फैसले लेने का निर्णय लिया है।
भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए हैं। पहले सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है, जिससे पाकिस्तान के लिए जल संकट पैदा हो सकता है। इसके अलावा अटारी बॉर्डर को आम आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है, और सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं। उन्हें 48 घंटे के अंदर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसी के साथ, नई दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन के डिफेंस एडवाइजर्स को भी एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है।





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